कांग्रेस के हंगामे के बीच पहले दिन पेश हुए 9 विधेयक, दूसरे दिन  सभी हुए पारित, विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित

खबर उत्तराखंड

गैरसैंण: उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र गैरसैंण में चल रहा था. आज सत्र के दूसरे दिन ही विधानसभा की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया. पहले दिन यानी मंगलवार को विधानसभा में 9 विधेयक पेश किए गए. जिनमें धर्मांतरण विरोधी विधेयक, अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक और 5,315 करोड़ रुपए का अनुपूरक बजट भी शामिल है. वहीं, विपक्षी कांग्रेस ने पंचायत चुनावों में कथित धांधली और बिगड़ती कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर हंगामा किया, लेकिन उनके हंगामे के बीच बजट और विधेयक पेश किए गए. वहीं, आज सभी विधेयक पास कर दिए गए हैं.

ऐसा रहा सत्र का पहला दिन: दरअसल, गैरसैंण मानसून सत्र के पहले दिन सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष के नेता यशपाल आर्य और कांग्रेस नेता प्रीतम सिंह ने हाल ही में हुए पंचायत चुनावों में कथित धांधली एवं बिगड़ती कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर नियम 310 के तहत तत्काल चर्चा की मांग की. जिसका अन्य विपक्षी सदस्यों ने भी समर्थन किया. इसके बाद सभी विपक्षी विधायक नारेबाजी करने लगे. जिस पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने विपक्षी विधायकों से अपनी सीटों पर लौटने का अनुरोध किया.

वहीं, विपक्षी सदस्य लगातार नारे लगाते रहे. ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने सदन की कार्यवाही 30 मिनट के लिए स्थगित कर दी. जब कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो विपक्षी नेताओं ने फिर हंगामा किया. इस दौरान उन्होंने विधानसभा सचिव की टेबल पलटने की कोशिश की. जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने कार्यवाही को फिर स्थगित कर दिया.

सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने के बाद भी हंगामा जारी रहा. विपक्षी सदस्यों ने फिर से विधानसभा सचिव की मेज पलटने की कोशिश की. इतना ही नहीं उन्होंने कागज फाड़कर अध्यक्ष के आसन के सामने हवा में उछाल दिए. साथ ही माइक को उठाकर पटक दिया. इस पर स्पीकर ने सदन की कार्यवाही फिर स्थगित कर दी, जिसके चलते प्रश्नकाल के लिए आवंटित समय हंगामे के कारण पूरी तरह बाधित हो गया.

इस तरह से सदन की कार्यवाही चार बार स्थगित हुई. सदन स्थगित होने के बाद भी नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य के नेतृत्व में विपक्षी सदस्य, विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी के आसन के सामने बैठे रहे और नारे लगाते रहे. हालांकि, दिन की कार्यवाही के दौरान राज्य सरकार उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक और उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक समेत 8 विधेयक पेश करने में सफल रही. इसके साथ ही 5,315 करोड़ रुपए का अनुपूरक बजट भी पेश किया गया.

विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले पूर्व कांग्रेस विधायकों ने पंचायत चुनावों में कथित धांधली और बिगड़ती कानून-व्यवस्था के खिलाफ विधानसभा के बाहर धरना भी दिया. वहीं, विपक्षी विधायक विधानसभा सदन से बाहर नहीं निकले. विपक्षी विधायकों ने भराड़ीसैंण विधानसभा भवन के अंदर धरना देते हुए पूरी रात सदन में ही गुजार दी.

सभी 9 विधेयक पास: वहीं, सदन में कांग्रेस के हंगामे के बीच पास अनुपूरक बजट किया कर दिया गया है. इसके साथ ही अन्य सभी 9 विधेयक भी पारित हो गए हैं. जिनमें धर्मांतरण विरोधी विधेयक, अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक शामिल हैं. इसके साथ ही समान नागरिक संहिता संशोधन विधेयक भी सदन में पारित कर दिया है. जिसके तहत गलत तरीके से लिव इन रिलेशनशिप में रहने वालों के लिए सजा बढ़ाई गई है.

विधानसभा में पास हुए ये सभी 9 विधेयक-

  1. उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर अधिनियम 1939) (संशोधन) अध्यादेश 2025
  2. उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता एवं विधि विरुद्ध प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक 2025
  3. समान नागरिक संहिता उत्तराखंड (संशोधन) अध्यादेश 2025
  4. उत्तराखंड पंचायती राज (संशोधन) अध्यादेश 2025
  5. उत्तराखंड ग्राम पंचायत क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत (स्थान-पदों का आरक्षण और आवंटन) नियमावली 2025
  6. उत्तराखंड निजी विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक
  7. उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक 2025
  8. उत्तराखंड लोकतंत्र सेनानी सम्मान विधायक 2025
  9. उत्तराखंड साक्षी संरक्षण (नीरसन) विधायक

उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक पारित: सदन में उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक 2025 पेश किया, जिसका उद्देश्य सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी समुदायों की ओर से संचालित संस्थानों को अल्पसंख्यक दर्जा प्रदान करना है. वर्तमान में अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान का दर्जा केवल मुस्लिम समुदाय को ही दिया जाता है. अब अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक पास हो गया है.

ऐसे में अब उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक 2025 के लागू होने के बाद उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2016 और उत्तराखंड गैर सरकारी अरबी एवं फारसी मदरसा मान्यता नियम 2019 आगामी 1 जुलाई 2026 से निरस्त हो जाएंगे. इस अधिनियम के लागू होने के बाद मान्यता प्राप्त अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों में गुरुमुखी और पाली भाषाओं का अध्ययन भी संभव हो सकेगा.

यह विधेयक एक प्राधिकरण के गठन का प्रावधान करता है, जिससे सभी अल्पसंख्यक समुदायों की ओर से स्थापित शैक्षणिक संस्थानों के लिए उससे मान्यता प्राप्त करना अनिवार्य हो जाएगा. यह प्राधिकरण इन संस्थानों में शैक्षिक उत्कृष्टता को सुगम बनाने और बढ़ावा देने के लिए कार्य करेगा. ताकि, अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके और उनका शैक्षिक विकास हो सके.

शादीशुदा व्यक्ति के लिव-इन रिलेशनशिप में रहने पर सजा: यूसीसी में दो नई धाराएं भी जोड़ी गई हैं. जिसमें धारा 380(2) के तहत अगर पहले से शादीशुदा कोई व्यक्ति धोखे से लिव-इन रिलेशनशिप में आता है तो उसे भी 7 साल की सजा और जुर्माना भरना होगा, लेकिन यह प्रावधान उन पर लागू नहीं होगा. जिन्होंने लिव-इन रिलेशन को खत्म कर दिया हो या जिसके साथी का 7 साल या इससे ज्यादा समय से कुछ पता न हो.

जबरदस्ती, दबाव या धोखाधड़ी से सहवास संबंध बनाने पर 7 साल की सजा: इसके अलावा समान नागरिक संहिता की धारा 387 में की उप धाराओं में संशोधन कर नए प्रावधान भी जोड़े गए हैं. जिसमें अगर कोई व्यक्ति बल, दबाव या धोखाधड़ी से किसी व्यक्ति की सहमति हासिल कर सहवास संबंध स्थापित करता है तो उसे 7 साल तक की कारावास हो सकता है.

पंचायती राज अधिनियम में संशोधन विधेयक: वहीं, सदन में पंचायती राज अधिनियम में संशोधन विधेयक भी पेश किया गया. जिसके तहत पंचायत चुनाव में वो लोग भी चुनाव लड़ सकेंगे, जिनकी पहली संतान के बाद दूसरी संतान जुड़वा हुई हो. इसे अब एक इकाई माना जाएगा. अभी तक वही व्यक्ति पंचायत चुनाव लड़ सकता है, जिसकी दो संतान हों.

डिजिटली धर्म परिवर्तन कराने पर भी सजा: इसके अलावा धर्मांतरण विरोधी विधेयक भी पारित कर दिया गया है. जिसके तहत धर्मांतरण कानून को और ज्यादा सख्त कर दिया गया है. इसके तहत अब डिजिटली धर्म परिवर्तन कराने पर भी सजा होगी. इसके लिए उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता एवं विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध संशोधन विधेयक सदन में पेश कर पारित कर दिया गया.

बीकेटीसी में होंगे दो उपाध्यक्ष: बीकेटीसी यानी बदरी केदार मंदिर समिति में दो उपाध्यक्ष होंगे. सरकार ने पहले ही अध्यादेश के जरिए बदरी केदार मंदिर समिति में उपाध्यक्ष का एक अतिरिक्त पद सृजित कर बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर अधिनियम में संशोधन किया था. इससे संबंधित संशोधन विधेयक पारित होने के साथ ही समिति में उपाध्यक्ष पदों की संख्या 2 हो गई है.

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