पश्चिम बंगाल वोटर लिस्ट संशोधन विवाद: ECI ने राज्य के मुख्य सचिव को दिल्ली किया तलब

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कोलकाता: भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने हाल ही में पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत को एक पत्र भेजकर चुनाव अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा था. इसको लेकर पश्चिम बंगाल सरकार ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा. हालांकि, ऐसा लगता है राज्य सरकार वोटर लिस्ट संशोधन में कथित अनियमितताओं के आरोपी अधिकारियों को अभी निलंबित करने का इरादा नहीं रखती है.

सूत्रों ने बताया कि इसको लेकर चुनाव आयोग ने मंगलवार को राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत को इस फैसले पर स्पष्टीकरण देने के लिए दिल्ली तलब किया. राज्य के शीर्ष नौकरशाह को 13 अगस्त की शाम पांच बजे तक राष्ट्रीय राजधानी स्थित चुनाव आयोग मुख्यालय में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है.

एफआईआर दर्ज करना कठोर
यह कदम पंत के सोमवार को चुनाव आयोग को लिखे पत्र के जवाब में उठाया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि चुनाव आयोग के निर्देशानुसार, चिन्हित अधिकारियों को निलंबित करना और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करना कठोर कदम होगा और बंगाल में अधिकारी समुदाय पर निराशाजनक प्रभाव डालेगा.

बनर्जी सरकार और चुनाव आयोग के बीच टकराव का मुद्दा
इसके बजाय सरकार ने चुनाव आयोग द्वारा चिन्हित पांच अधिकारियों में से दो को फिलहाल एक्टिव इलेक्शन ड्यूटी से हटाने और मामले की आंतरिक जांच शुरू करने का फैसला किया. पर्यवेक्षकों द्वारा इसे ममता बनर्जी सरकार और चुनाव आयोग के बीच चल रहे टकराव का एक नया मुद्दा माना जा रहा है. राज्य सचिवालय ‘नबन्ना’ के सूत्रों ने बताया कि मुख्य सचिव के बुधवार को दिल्ली जाकर निर्देशानुसार आयोग से मिलने की संभावना है.

निलंबन आदेश को लेकर जवाब दिया
पंत ने सोमवार को पांच अधिकारियों दो निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (ERO) और दो सहायक निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (AEROs) और एक अस्थायी डेटा एंट्री ऑपरेटर के खिलाफ निलंबन आदेश को निष्पादित करने के लिए चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित समय सीमा का जवाब दिया था.

इन अधिकारियों पर क्रमशः दक्षिण 24 परगना और पूर्व मेदिनीपुर जिलों में बरुईपुर पूर्व और मोयना विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता सूची तैयार करते समय कथित रूप से अनियमितताएं करने का आरोप है. चुनाव आयोग ने मुख्य सचिव को सभी पांचों आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का भी निर्देश दिया और शीर्ष नौकरशाह से जल्द से जल्द कार्रवाई रिपोर्ट मांगी थी.

मुख्य सचिव ने चुनाव आयोग को अपने जवाब में लिखा कि राज्य सरकार के उन अधिकारियों, जिन्होंने लगातार ईमानदारी और योग्यता का प्रदर्शन किया है पर गहन जांच किए बिना कोई भी अनुशासनात्मक कार्रवाई अनुपातहीन रूप से कठोर होगी.

दो कर्मियों पर एक्शन
सरकार ने आयोग को सूचित किया कि उसने कथित अनियमितता के लिए जिम्मेदारी सौंपने की प्रक्रिया में पहले कदम के रूप में दो कर्मियों – मोयना विधानसभा क्षेत्र के एईआरओ सुदीप्त दास और बरुईपुर पूर्व विधानसभा क्षेत्र के डेटा एंट्री ऑपरेटर सुरजीत हलदर – को चुनावी पुनरीक्षण और चुनाव संबंधी कर्तव्यों से हटा दिया है.

राज्य के जवाब में चुनाव आयोग द्वारा चिन्हित तीन अन्य अधिकारियों, जिनमें से दो पश्चिम बंगाल सामाजिक सेवा आयोग (कार्यकारी) रैंक के अधिकारी हैं, के खिलाफ की गई किसी कार्रवाई का उल्लेख नहीं किया गया है और कहा गया है कि जांच पूरी होने के बाद आगे की कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आयोग के अधिकार क्षेत्र और इस कदम की वैधता पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया था कि भाजपा चुनाव आयोग का इस्तेमाल राज्य सरकार के अधिकारियों को डराने के लिए कर रही है.

पिछले हफ़्ते झारग्राम में एक जनसभा में बनर्जी ने कहा, “हम उन्हें निलंबित नहीं करेंगे. हम आपकी रक्षा करेंगे. मैं आपकी ‘पहरेदार’ बनी रहूंगी.” उन्होंने चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए उस पर भाजपा के बंधुआ मजदूरों की तरह काम करने का आरोप लगाया.

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