लोकसभा अध्यक्ष ने जस्टिस वर्मा को हटाने के लिए नोटिस स्वीकार किया, तीन सदस्यीय समिति गठित

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नई दिल्ली: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के नोटिस को स्वीकार कर लिया और उनके खिलाफ आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया. लोकसभा में यह घोषणा करते हुए ओम बिरला ने कहा कि जस्टिस वर्मा को हटाने की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए क्योंकि उनके खिलाफ लगे आरोप गंभीर प्रकृति के हैं.

लोकसभा अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अरविंद कुमार, मद्रास हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव और कर्नाटक हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता बी वी आचार्य की तीन सदस्यीय समिति का गठन किया. बिरला ने कहा, “समिति जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी. (न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने का) प्रस्ताव जांच समिति की रिपोर्ट प्राप्त होने तक लंबित रहेगा.”

सांसदों ने महाभियोग नोटिसों पर हस्ताक्षर किए
हाल ही में लोकसभा के कम से कम 149 सांसदों और राज्यसभा के 63 सांसदों ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ दो अलग-अलग महाभियोग नोटिसों पर हस्ताक्षर किए थे, जिससे जज को हटाने की प्रक्रिया शुरू हुई. जस्टिस वर्मा पर दिल्ली स्थित उनके घर से कैश बरामद होने के बाद भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं.

कितने सांसदों के हस्ताक्षर की जरूरत होती है?
गौरतलब है कि किसी भी कार्यरत जज को हटाने के लिए लाए गए प्रस्ताव पर लोकसभा में 100 और राज्यसभा में 50 सांसदों के हस्ताक्षर आवश्यक होते हैं. प्रस्ताव पारित होने के लिए, उसे सदन के कुल सदस्यों के बहुमत, सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई बहुमत का समर्थन प्राप्त करना होता है.

आधिकारिक आवास पर आग लगने से सामने आया मामला
बता दें कि 14 मार्च को रात करीब 11 बजकर 35 मिनट पर तुगलक रोड स्थित जस्टिस वर्मा के आधिकारिक आवास पर कथित तौर पर आग लग गई थी. इस घटना के बाद उनके आधिकारिक आवास से कथित तौर पर बड़ी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी. बाद में जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था.

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