ओडिशा ट्रेन हादसे मे अब तक गई 280 की जान, रेलवे ने प्रेस कांफ्रेंस में किया खुलासा, नहीं हुई थी तीन ट्रेनों की टक्कर, पढ़ें मुख्य बातें…

देश की खबर

ओडिशा: बीते दो जून को ओडिशा के बालासोर में भयानक ट्रेन एक्सीडेंट में 280 लोगों की जान चली गई. इस हादसे को लेकर आज रेलवे बोर्ड ने प्रेस कान्फ्रेंस की और पूरी घटना को विस्तार से समझाया. रेलवे बोर्ड की सदस्य जया वर्मा ने कहा कि सिर्फ कोरोमंडल एक्सप्रेस हादसे की शिकार हुई है. ओवरस्पीडिंग जैसी कोई बात नहीं है. रेलवे बोर्ड की सदस्य जया वर्मा ने कहा कि सिर्फ कोरोमंडल एक्सप्रेस हादसे का शिकार हुई है. उन्होंने कहा कि हम कुछ गलतफहमियों को लेकर जानकारी देना चाहते हैं, ताकि स्थिति स्पष्ट हो. उन्होंने कहा कि सबसे पहले रिलीज फॉर रेस्क्यू किया और जब यह कंप्लीट हो गया, तब हमने रीस्टोरेशन प्रक्रिया शुरू की. 

उन्होंने कहा कि बालासोर जिले में बहनगा बाजार रेलवे स्टेशन है. यह हादसा 2 जून की शाम 6:55 बजे हुआ. कोरोमंडल एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हो गई. इस स्टेशन पर जो दूसरी गाड़ियां खड़ी थीं, वह इसकी चपेट में आ गईं. उस समय स्टेशन से दो मेल एक्सप्रेस गाड़ियों को अलग-अलग दिशाओं से गुजरना था. स्टेशन पर दो मेन लाइन हैं, जहां ट्रेन बिना रुके जाती है और बगल में जो 2 लाइन हैं, उन्हें लूप लाइन कहा जाता है, जहां हम गाड़ी को रोकते हैं.

लूप लाइन पर खड़ी थीं दो गाड़ियां

रेलवे बोर्ड के मुताबिक, लूप लाइन पर 2 गाड़ियां खड़ी थीं, गाड़ियों को वहां रोका गया था, ताकि बाकी लाइन पर ना रुकने वाली गाड़ी गुजर सके. चेन्नई की तरफ से यशवंतपुर एक्सप्रेस बेंगलुरु से आ रही थी और उसकी आवाज आ रही थी. यह गाड़ी कोरोमंडल से कुछ सेकंड पहले आ रही थी.

हावड़ा की दिशा से शालीमार रेलवे स्टेशन से कोरोमंडल एक्सप्रेस चेन्नई जाने के लिए आ रही थी, जिसके लिए सिग्नल ग्रीन थे और सब कुछ सेट था. ओवरस्पीडिंग की कोई बात नहीं थी और पायलट को सिग्नल ग्रीन दिख रहा था, इसलिए उसे सीधा जाना था.

ग्रीन सिग्नल के मुताबिक, ड्राइवर को अपनी तय स्पीड के अनुसार बिना रुके आगे जाना था, इसलिए वह 128 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से जा रहा था. यशवंत एक्सप्रेस भी 126 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आ रही थी. ओवरस्पीडिंग की कोई बात नहीं थी. पायलट को सिग्नल ग्रीन दिख रहा था, इसलिए उसे सीधा जाना था.

36 घंटे से मौके पर हैं रेल मंत्री, बचाव कार्य की कर रहे निगरानी

रेलवे बोर्ड की सदस्य ने कहा कि रेल मंत्री पिछले 36 घंटे से मौके पर हैं और सभी तरह के ऑपरेशन और मदद बचाव कार्य को मॉनिटर कर रहे हैं. प्राथमिक जांच के मुताबिक जो कारण अब तक सामने आए हैं. उसमें सिग्नलिंग में कोई परेशानी पाई गई है और रेलवे सेफ्टी के कमिश्नर की निगरानी में जांच चल रही है. उनकी जांच पूरी हुए बिना हम ज्यादा कुछ नहीं कह सकते.

रेलवे सेफ्टी के कमिश्नर की विस्तृत रिपोर्ट का है इंतजार

रेलवे बोर्ड ने कहा कि हम इंतजार कर रहे हैं कि रेलवे सेफ्टी के कमिश्नर की विस्तृत रिपोर्ट मिले. दुर्घटना सिर्फ कोरोमंडल एक्सप्रेस की हुई है, जो सबको समझने की आवश्यकता है. यह कहना गलत होगा कि और ज्यादा ट्रेनों के बीच टक्कर हुई है. सिर्फ कोरोमंडल एक्सप्रेस का एक्सीडेंट हुआ है. किस वजह से यह हुआ है, हम उसका पता लगा रहे हैं.

ट्रेन पर आ गया था स्पीड में हुए टकराव का इंपैक्ट

जया वर्मा ने कहा कि कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन बेहद सुरक्षित है और आमतौर पर यह पलटती नहीं है. इस केस में ऐसा हुआ है कि इस स्पीड में जब टकराव का पूरा इंपैक्ट्स ट्रेन पर आया तो दुनिया में ऐसी कोई टेक्नोलॉजी नहीं है, जो इसके इंपैक्ट को रोक सके. आयरन से भरी हुई मालगाड़ी की सेंटर ऑफ ग्रेविटी और उसके भार के चलते इंपैक्ट पैसेंजर ट्रेन पर आया. मालगाड़ी अपनी जगह से बिल्कुल नहीं हिली.

टकराने के बाद इधर-उधर बिखर गईं ट्रेन की बोगियां

रेलवे बोर्ड की सदस्य ने कहा कि टकराव की वजह से ट्रेन के डिब्बे इधर-उधर बिखर गए. इसकी वजह से कुछ डिब्बे डाउन लाइन पर गुजर रही यशवंतपुर एक्सप्रेस से टकरा गए. इससे यशवंतपुर एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे डिरेल होकर दूसरी तरफ चले गए.

उन्होंने कहा कि स्पॉन्टेनियस रिएक्शन के चलते ही दूसरी ट्रेन में भी कुछ लोगों को गंभीर चोट आई. एक और मालगाड़ी खड़ी थी, इस पर भी उन बिखरे हुए डिब्बों का थोड़ा सा प्रभाव हुआ. इस तरह की घटना में रेलवे का एक प्रोटोकॉल है, जिसके तहत स्टेशन मास्टर ने तुरंत सूचना दी और तुरंत मेडिकल रिलीफ ट्रेन दो जगहों से तुरंत चल पड़ीं.

रेलवे ने अपने बयान में कहीं ये बातें…

लूप लाइन में दो मालगाड़ियां खड़ी थीं।

कोरोमंडल एक्सप्रेस मालगाड़ी से टकराई।

कोरोमंडल एक्सप्रेस 128 की स्पीड से जा रही थी।

यशवंतपुर 126 स्पीड से जा रही थी।

दोनों ट्रेनों के लिए ग्रीन सिग्नल था।

यशवंतपुर के आखिरी दो डब्बे टकराए।

सिर्फ कोरोमंडल एक्सप्रेस हादसे का शिकार हुई।

कोरोमंडल एक्सप्रेस मालगाड़ी से टकराई।

टक्कर में मालगाड़ी अपनी जगह से हिली भी नहीं।

खड़ी मालगाड़ी में लोहा लदा हुआ था।

सिग्नल में गड़बड़ी होना संभव हो सकता है।

दो लाइन सीधी है जो मेन लाइन है।

दो साइड में हैं जिनको लूप लाइन कहते हैं।

ऊपर वाले लूप लाइन में मालगाड़ी खड़ी थी।

इंटरलॉकिंग सिस्टम में छेड़छाड़ संभव नहीं है।

हेल्प डेस्क नंबर 1929 पर ले सकते हैं जानकारी

बीएमसी ने एक हेल्पलाइन नंबर 1929 जारी किया है। इसके अलावा, सभी प्रवेश बिंदुओं – कटक रेलवे स्टेशन, बसस्टैंड और एससीबी मेडिकल कॉलेज, भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन, बारामुंडा बस स्टैंड और भुवनेश्वर हवाई अड्डा – पर हेल्प डेस्क स्थापित किए गए हैं।

मृतक व्यक्तियों के परिवार/मित्र/रिश्तेदार और दु:खद ट्रेन दुर्घटना में फंसे यात्री सहायता के लिए टोल फ्री नंबर – 18003450061/1929 पर संपर्क कर सकते हैं।

इसके अलावे लोग जानकारी के लिए नोडल अधिकारियों से भी संपर्क कर सकते हैं जिनके नाम और टेलीफोन नंबर इस प्रकार हैं – राजेश प्रधान: 6370946287; आशीष पात्रा: 7978095293; देबाशीष मिश्रा: 6370585221; दीपक कुमार राउत: 8249217415 और संदीप मोहराणा: 8847822559।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *