नई दिल्ली: देश में वर्तमान में लगभग 60 स्कूल परीक्षा बोर्ड हैं. विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अलग अलग बोर्ड हैं. लेकिन सच पूछिए तो सबका एक ही लक्ष्य है. वो है बच्चों को एक जैसी शिक्षा प्रदान करना. लेकिन ऐसा देखा गया कि अलग-अलग बोर्ड अपने अपने करिकुलम, अपने स्कूल मूल्यांकन और अपनी अलग परीक्षा प्रणाली से चलते हैं. अब सरकार इसे समरूपता में ढालने का काम कर रही है. इसके लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और नेशनल असेसमेंट रेगुलेटर ‘परख’ द्वारा तैयारी कर रही है.
क्या है परख?
परख का फुल फॉर्म है- Performance Assessment, Review, and Analysis of Knowledge for Holistic Development, अर्थात समग्र विकास के लिए प्रदर्शन मूल्यांकन, समीक्षा और ज्ञान का विश्लेषण. इसके जरिये भारत में सभी मान्यता प्राप्त स्कूल बोर्ड परख की गाइडलाइंस के अनुसार ऑब्जर्व करेंगे. इसी के अनुसार स्कूलों में पढ़ाएंगे और मूल्यांकन करेंगे. परख के अनुसार, छात्रों को इंडस्ट्री स्पेसिफिक शिक्षा प्रदान करने के लिए इवैल्यूएशन स्टैंडर्ड और असेसमेंट को तैयार करने पर जोर दिया जाता है.
क्यों है इस ‘चेंज‘ की जरूरत?
केंद्र सरकार की एक स्टडी में सामने आया था कि देश के कई शिक्षा बोर्डों में कक्षा 10 और कक्षा 12 में अलग अलग पाठ्यक्रम (Syllabus) और मूल्यांकन मानदंड (Assessment Criteria) है. राज्य बोर्ड और सीबीएसई, आईसीएसई, आईबी सबका तरीका अलग है. ऐसे में राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने वाले छात्रों के सामने एक असमानता की स्थिति पैदा होती है. इससे कुछ छात्रों को इसका फायदा मिलता है, वहीं कुछ को इसका नुकसान उठाना पड़ता है.
NEP 2020 से हो रहा ये बदलाव
बीते माह मई 2023 में शिक्षा मंत्रालय ने स्टडी का हवाला देते हुए कहा था कि देश में साल 2021-22 में 60 एजुकेशनल बोर्ड थे. इसके पीछे उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की उस सिफारिश को लागू करना था जिसमें कहा गया है कि देश के सभी स्कूल बोर्डों के स्टूडेंट्स के लिए एक समान बेंचमार्क होना चाहिए. इसका उद्देश्य स्टूडेंटस का समग्र विकास है. यह स्टडी ‘परख’ को देश के सभी मान्यता प्राप्त स्कूल बोर्डों के लिए छात्र मूल्यांकन और मूल्यांकन के लिए मानदंड, मानक और दिशानिर्देश निर्धारित करने में सक्षम बनाने की कवायद का हिस्सा था. निश्चित रूप से शिक्षा राज्य का विषय है और सभी राज्यों ने NEP 2020 को अभी अपनाया भी नहीं है.
सभी बोर्ड एक जैसा पैटर्न करें
भारत की टॉप स्कूल सिलेबस सेटिंग बॉडी देश के सभी बोर्डों में क्लास 10 व 12 के लिए एक नेशनवाइड स्टैंडर्ड असेसमेंट प्रोटोकॉल तैयार करने में साथ आने के लिए तैयार है. इसके जरिये अलग अलग बोर्ड में क्लास 10 व 12 में पास रेट एक समान हो. साथ ही परफॉर्मेंस में भी समानता नजर आए.
नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) संस्था सभी बोर्ड्स के लिए सिलेबस और टेक्स्ट बुक तैयार करती है. एनसीईआरटी की ओर से तैयार किया गया रेगुलेटर परख अब देश भर के बोर्ड को सलाह देगा कि एग्जॉस में क्वैश्चन पैटर्न और पेपर्स के असेसमेंट आदि में यह सजेशन दें कि कैसे इस सभी बोर्ड के प्रोसेस को एक स्टैंडर्ड तरीके से समानता दी जा सकती है.
आंकड़ों से जानिए- कैसे अलग अलग हैं बोर्ड
शिक्षा मंत्रालय की एक स्टडी के अनुसार अलग बोर्डों के बीच छात्रों की पास दर बेहद भिन्न है. माध्यमिक स्तर (कक्षा 10) की पास दर मेघालय में 57 प्रतिशत और मध्य प्रदेश में 61 प्रतिशत थी, जबकि केरल और तेलंगाना ने 99.85 प्रतिशत और 97.6 प्रतिशत पास दर दर्ज की. वहीं सीबीएसई और उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार और बंगाल के स्कूल बोर्ड कुल छात्रों का लगभग 50 प्रतिशत कवर करते हैं जबकि शेष 50 प्रतिशत 55 बोर्डों में पढ़ते हैं.
सीबीएसई के पूर्व अध्यक्ष अशोक गांगुली कहते हैं कि दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं में पास प्रतिशत में व्यापक अंतर से पता चलता है कि मूल्यांकन पैटर्न में एकरूपता नहीं थी. कई ऐसे बोर्ड हैं जो अंकों को बढ़ाने में विश्वास करते हैं क्योंकि उनकी यह गलत धारणा है कि इससे उनकी पोजिशन मजबूत होगी, जो सच नहीं है.
बदलाव जरूरी मानते हैं शिक्षाविद
सीबीएसई के पूर्व चेयरमैन सभी बोर्डों में मूल्यांकन प्रक्रिया में एकरूपता को जरूरी मानते हैं. उनका कहना है कि परख काफी हद तक भारत में विभिन्न स्कूल बोर्डों का एक संघ होगा, जहां पूरे भारत में मूल्यांकन में एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक दिशानिर्देश तैयार किए जाएंगे और उन्हें अंतिम रूप दिया जाएगा.
शिक्षा के क्षेत्र में नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 आने के बाद से प्री प्राइमरी, आंगनबाड़ी से लेकर यूनिवर्सिटी लेवल तक कई तरह के बदलाव सामने आए हैं. परख की पहल के बाद मुमकिन है कि कुछ सालों में ही बोर्ड एजुकेशन सिस्टम में भी एकरूपता सामने आएगी. फिलहाल इसे लेकर सरकार जोर शोर से तैयारी कर रही है.
खबर (साभार – आजतक)