मौसम विशेषज्ञ क्यों नहीं कर पा रहे सटीक भविष्यवाणी ? आखिर क्यों हो रही इतनी बरसात, सामने आई ये बात !

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नई दिल्ली: दिल्ली समेत उत्तर भारत में पिछले कई दिनों से हो रही बारिश से बुरा हाल है. मौसम विभाग ने आने वाले कई दिनों तक ऐसी ही बारिश होने की संभावना जताई है. आसमान पर लदे काले बादल इसकी पुष्टि भी कर रहे हैं, सबसे ज्यादा समस्या हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा में है. यूपी के भी कुछ जिले भारी बारिश से प्रभावित नजर आ रहे हैं. मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है तो बाढ़ के हालात भी नजर आने लगे हैं. पंजाब के कुछ इलाकों में तो पानी इतना भर चुका है कि सेना को अलर्ट मोड पर रखा गया है. दिल्ली भी जल भराव से जूझ रही है.मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अब तक हुई बारिश ने पिछले कई साल का रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिया है, खास बात ये है कि उत्तर भारत में हो रही मूसलाधार का केदारनाथ कनेक्शन भी है, मौसम विशेषज्ञ खुद इसकी पुष्टि करते हैं.

क्यों हो रही इतनी बारिश

उत्तर भारत में हो रही मूसलाधार बारिश का कारण पश्चिमी विक्षोभ को माना जा रहा है. एचटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक IMD प्रमुख एम महापात्र का कहना है कि मानसून से पश्चिमी विक्षोभ के टकराने की वजह से उत्तर भारत में इस कदर बरसात हो रही है. ऐसा होने से खासकर पहाड़ी क्षेत्रों मसलन जम्मू कश्मीर, उत्तरी पंजाब, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में ज्यादा बरसात होती है. उन्होंने अनुमान जताया है अब तक जुलाई की अवधि में होने वाली बारिश से 24 प्रतिशत अधिक बरसात हो चुकी है.

ये है केदारनाथ कनेक्शन

IMD प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि उत्तर भारत में दो वेदर कंडीशन बन गई है. एक मानसून है और दूसरा पश्चिमी विक्षोभ. ऐसे सिसटम पहाड़ी क्षेत्रों के लिए बेहदर खतरनाक होते हैं, क्योंकि जब हवा पहाड़ी से टकराती है तो ऊपर उठती है, जिससे जोरदार बारिश होती है. 2013 में जून माह के समय ऐसा हुआ था जब मानसून समय पर पहुंच गया था और उससे पश्चिमी विक्षोभ टकराने की वजह से खूब बारिश हुई थी. दो वेदर कंडीशन की वजह से ही केदारनाथ में बादल फटा था, जिससे हजारों लोगों की मौत हो गई थी.

बारिश ने तोड़ा रिकॉर्ड

उत्तर भारत में अब तक हुई बारिश ने अब तक हुई कुल बारिश का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. पीटीआई की एक रिपोर्ट में IMD के हवाले से दावा किया गया है कि अब तक जुलाई माह में 243.2 मिमी से अधिक बारिश हो चुकी है जो सामान्य 239.1 मिमी से अधिक है. दिल्ली की सफरदगंज वेधशाला के मुताबिक पिछले रविवार सुबह तक ही दिल्ली में 153 मिमी बारिश दर्ज की गई जो 1982 में 25 जुलाई को हुई 169 मिमी बारिश के बाद सर्वाधिक है.

दिल्ली में सामान्य से 49 मिमी अधिक बारिश

देश की राजधानी दिल्ली में हो रही बारिश की बात करें तो पिछले 24 घंटे में यह सामान्य से 49 मिमी ज्यादा हो चुकी है. इसके अलावा गुजरात में सामान्य से 11मिमी प्रतिशत, राजस्थान में 8 मिमी, मध्य प्रदेश में 6 और यूपी में 4.9 मिमी सामान्य से अधिक बारिश हुई है. खास बात ये है कि IMD की ओर से इन प्रदेशों के लिए और बारिश का अलर्ट जारी किया गया है.

क्या अत्यधिक बारिश होना असामान्य है?

उत्तर भारत में हो रही इतनी बारिश को मौसम विज्ञानी आसामान्य नहीं मानते, पर्यावरणविद् और iFOREST के सीईओ चंद्रभूषण कहते हैं कि यह असामान्य नहीं है, क्योंकि मानसून चल रहा है. अधिक बारिश करना, फिर रुक जाना ये इसका ट्रेंड है. वह कहते हैं कि इस बार उत्तर भारत तक मानसून कुछ देरी से पहुंचा, लेकिन इसके बाद इसमें एकदम से तेजी आई. मौसम पर इसका प्रभाव दिख रहा है.

कैसी बारिश फायदेमंद होती है?

मौसम विशेषज्ञ मानते हैं कि उत्तर भारत में जिस तरह से बारिश हो रही है यह किसी भी तरह से फायदा पहुंचाने वाली नहीं मानी जा सकती. विशेषज्ञों के मुताबिक बारिश तेज होगी तो एक निश्चित समय के बाद बंद हो जाएगी. इससे इसका फायदा नहीं मिलेगा. यदि बारिश धीमी तो इसका फायदा भी होगा और ये लंबे समय तक होगी.

मौसम में क्यों हो रहा बदलाव?

विशेषज्ञ मौसम में आ रहे बदलाव का कारण ग्लोबल वार्मिंग को मान रहे हैं. हालांकि कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह बस मानसून है. हालांकि मौसम विभाग भी इसका सही अनुमान नहीं लगा पा रहे हैं. विशेषज्ञ कहते हैं कि ये ठीक है कि मौसम पुर्वानुमान के क्षेत्र में हमारी क्षमता का विकास हो रहा है, लेकिन हम सटीक भविष्यवाणी इसलिए नहीं कर पा रहे क्योंकि मौसम लगातार खुद को बदल रहा है. फरवरी में हीट वेब आना, मानसून की शुरुआत में ही अत्यधिक बारिश हो जाना ये इसी का उदाहरण हैं.

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