नई दिल्ली: घर से निकलने के बाद अक्सर लोग पब्लिक प्लेस पर अपने मोबाइल फोन को चार्जिंग पर लगा देते हैं. हालांकि, यह जरूरी है कि आप सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों का उपयोग करते समय सावधान रहें. दरअसल, इन दिनों कुछ स्कैमर्स ‘जूस जैकिंग’ स्कैम के जरिए लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. इस स्कैम को लेकर RBI ने भी अलर्ट जारी किया है. वित्तीय सेक्टर में वित्तीय धोखाधड़ी के बारे में आरबीआई की एक बुकलेट के अनुसार, जूस जैकिंग स्कैम एक तरह का घोटाला है. इसके माध्यम से साइबर अपराधी आपके मोबाइल से महत्वपूर्ण डेटा चुरा लेते हैं, जिससे आपको वित्तीय नुकसान हो सकता है.
क्या है जूस जैकिंग स्कैम ?
जूस जैकिंग स्कैम एक ऐसा तरीका है जिसमें साइबर क्रिमिनल्स मोबाइल और लैपटॉप जैसे डिवाइस में से महत्वपूर्ण डेटा चुराने का उपाय अपनाते हैं. इस प्रकार के स्कैम को संभालने के लिए, साइबर अपराधियों द्वारा पब्लिक चार्जिंग स्टेशन पर मैलवेयर वाले सॉफ्टवेयर या हार्डवेयर को इंस्टॉल किया जा रहा है. ये साइबर क्रिमिनल्स सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन, जैसे USB पोर्ट या चार्जिंग कियोस्क के जरिए लोगों को अपना शिकार बनाते हैं.
आपको ध्यान रखना चाहिए कि मोबाइल के चार्जिंग पोर्ट का उपयोग फाइल/डेटा ट्रांसफर के लिए भी किया जा सकता है. साइबर बदमाश सार्वजनिक चार्जिंग पोर्ट का उपयोग वहां से जुड़े फोन में मैलवेयर ट्रांसफर करने के लिए करते हैं और किसी व्यक्ति के मोबाइल फोन से डेटा संवेदनशील जानकारी जैसे ईमेल, एसएमएस, सहेजे गए पासवर्ड इत्यादि पर नियंत्रण प्राप्त कर लेते हैं या उन्हें चोरी कर लेते हैं.
कैसे बचा जाए
जूस जैकिंग से बचने के लिए, सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों का उपयोग करने से बचें. यदि आप सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन का उपयोग करने के लिए मजबूर हैं, तो सुनिश्चित करें कि आपके डिवाइस को चार्ज करने से पहले यूएसबी केबल को सावधानी से जांच लें. यदि आप किसी भी असामान्य चीज को देखते हैं, तो यूएसबी केबल का उपयोग न करें.
जूस जैकिंग से बचने के लिए आप कुछ अन्य उपाय भी कर सकते हैं, जैसे:
– अपने डिवाइस को पासवर्ड से सुरक्षित रखें.
– अपने डिवाइस को एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर से अपडेट रखें.
– अपने डिवाइस को अनधिकृत उपयोग से बचाने के लिए फ़िंगरप्रिंट स्कैनर या फेस आईडी का उपयोग करें.
– सार्वजनिक Wi-Fi नेटवर्क का उपयोग करने से बचें.