नई दिल्ली : अमेरिका में रह रहे भारतीय मूल के 78 साल के इंजीनियर को नौकरी से सिर्फ इसलिए निकाल दिया गया क्योंकि वह अपने एक मरणासन्न रिश्तेदार से हिंदी में बात कर रहे थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वीडियोकॉल पर हिंदी में हो रही बातचीत को एक अन्य कर्मचारी ने सुना और शिकायत कर दी। मीडिया के मुताबिक, अनिल वार्ष्णेय अलाबामा में मिसाइल डिफेंस कांट्रैक्टर के साथ लंबे समय से काम कर रहे थे और नौकरी से निकाले जाने के फैसले को उन्होंने अदालत में चुनौती दी है।
पिछले साल अक्टूबर में बेरोजगार हो गए थे वार्ष्णेय
अनिल वार्ष्णेय हंट्सविली मिसाइल डिफेंस कांट्रैक्टर पार्सन्स कॉरपोरेशन में बतौर सीनियर सिस्टम इंजीनियर काम करते थे। उन्होंने फेडरल कोर्ट में दाखिल वाद में आरोप लगाया है कि उनके साथ व्यवस्थागत भेदभाव किया गया जिसकी वजह से पिछले साल अक्टूबर में उन्हें बेरोजगार होना पड़ा। एएल डॉट कॉम ने सोमवार को खबर दी कि श्वेत सहकर्मी ने वार्ष्णेय को भारत में मरणासन्न अपने रिश्तेदार से फोन पर हिंदी में बात करते हुए सुना था। वार्ष्णेय को 26 सितंबर 2023 को ‘उनके मरणासन्न रिश्तेदार केसी गुप्ता का भारत से फोन आया जो अंतिम बार वार्ष्णेय से बात करना चाहते थे।’
रक्षामंत्री लॉयड जे ऑस्टीन को भी नामजद किया गया
वाद में कहा गया,‘स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कि हो सकता है कि अब वार्ष्णेय को दोबारा गुप्ता से बात करने का मौका कभी नहीं मिले, वह एक खाली स्थान पर गए और फोन पर बात की। फोन उठाने से पहले उन्होंने सुनिश्चित किया कि कोई गोपनीय सामग्री या MDA (मिसाइल डिफेंस एजेंसी) या पार्सन्स के काम से जुड़ी कोई सामग्री उनके नजदीक नहीं हो।’ इममें MDA के प्रतिनिधि के तहत रक्षामंत्री लॉयड जे ऑस्टीन को भी नामजद किया गया है।
गुप्ता और वार्ष्णेय के बीच वह आखिरी बातचीत सबित हुई
जून में अलाबामा की उत्तरी जिला अदालत में दाखिल वाद के मुताबिक, दोनों ने हिंदी में करीब 2 मिनट तक बात की होगी तभी अन्य कर्मी वार्ष्णेय के पास आया और पूछा कि क्या वह वीडियो कॉल पर बात कर रहे हैं जिसका जवाब उन्होंने ‘हां’ में दिया। वाद के मुताबिक, ‘अन्य कर्मी ने वार्ष्णेय से कहा कि फोन कॉल की इजाजत नहीं है जिसके तुरंत बात उन्होंने फोन काट दिया और यह गुप्ता से उनकी आखिरी बातचीत थी।