नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कलकत्ता हाई कोर्ट की पोर्ट ब्लेयर बेंच के एक आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। दरअसल, हाई कोर्ट ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के मुख्य सचिव केशव चंद्रा को निलंबित करने और श्रमिकों को लाभ जारी करने पर पहले के आदेश का पालन नहीं करने के लिए उपराज्यपाल डीके जोशी पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी।
‘दिशा-निर्देशों पर कायम रहेंगे‘
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने मुख्य सचिव और उपराज्यपाल की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की दलीलों पर ध्यान दिया और उच्च न्यायालय की पोर्ट ब्लेयर पीठ के आदेश पर रोक लगा दी। पीठ ने कहा, “हम इन दिशा-निर्देशों पर कायम रहेंगे। आप (याचिकाकर्ता) इसे पाने के लिए न्यायाधीशों को वास्तव में नाराज कर चुके होंगे। हम इसे अगले शुक्रवार को रख रहे हैं।” पिछले साल 19 दिसंबर को पारित एक आदेश ने द्वीप प्रशासन द्वारा नियोजित लगभग 4,000 दैनिक रेटेड मजदूरों (डीआरएम) को उच्च वेतन और डीए प्रदान किया था।
मुख्य सचिव को निलंबित करने का दिया था आदेश
भारत के अटॉर्नी जनरल, आर वेंकटरमणी ने कलकत्ता उच्च न्यायालय की पोर्ट ब्लेयर पीठ के आदेश के खिलाफ एक अपील का उल्लेख किया। जिसमें अंडमान और निकोबार के मुख्य सचिव केशव चंद्रा को निलंबित करने का निर्देश दिया गया था।
राज्यपाल पर लगा था जुर्माना
राज्यपाल 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था। केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) के उपराज्यपाल, एडमिरल डीके जोशी को अदालत के पहले के आदेश का पालन करने में विफल रहने के लिए दोषी ठहराया गया है।