देहरादून: हाल ही में संसद सत्र के दौरान गृह मंत्रालय द्वारा पेश किए गए तीन बिलों पर भी गृहमंत्री अमित शाह ने उत्तराखंड में अपनी बात रखी. इस दौरान अमित शाह ने स्पष्ट किया कि अंग्रेजो के कानून को बदलकर अब देश के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को ज्यादा बेहतर बनाने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने यूपीए सरकार के 10 सालों की भी मोदी सरकार के 9 सालों से तुलना कर आंतरिक सुरक्षा के मामले में हुए बेहतर प्रयासों को सबके सामने रखा.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह उत्तराखंड के दौरे पर रहे. उन्होंने मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक के साथ अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस समय दूसरे कुछ कार्यक्रमों में भी हिस्सा लिया. अमित शाह के महत्वपूर्ण कार्यक्रम राज्यों में आंतरिक सुरक्षा को बेहतर बनाने से ही जुड़े थे. खास बात यह है कि उन्होंने अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस के कार्यक्रम के दौरान केंद्र सरकार के उन तीन बिलों का भी जिक्र किया जो हाल ही में हुए संसद सत्र के दौरान पेश किए गए.
केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से यह तीनों बल सदन में पेश किए गए जो फिलहाल गृह विभाग की स्टैंडिंग कमेटी के पास विचाराधीन है. दरअसल, देश के 100 साल से भी पुराने कानून को बदलने के लिए इन बिलों को लाया गया है. जिसमें आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट को बदलने के प्रयास हो रहे हैं. अमित शाह ने कहा एक अध्ययन बताता है कि 50 साल के बाद किसी भी कानून की तार्किकता कम हो जाती है. आज अपराध का तरीका भी बदल गया है और तकनीक भी बदल गई है, इसके बाद भी कानून वहीं 100 साल पुराने अंग्रेजों के ही हैं. ऐसे में गृह मंत्रालय तीन कानून को बदलकर देश में तारीख पर तारीख के सिस्टम को खत्म करना चाहता है. इन कानून के पास होने के बाद गृह विभाग ने पिछले 5 साल के दौरान जो तकनीक की पृष्ठभूमि तैयार की है. उसे इसे जोड़कर इस व्यवस्था को मजबूत किया जाएगा.
इस नए कानून में आतंकवाद की व्याख्या, ऑर्गेनाइज्ड क्राईम की व्याख्या और अंतर राज्य गृह को लेकर कड़े प्रावधान किए जाएंगे. यही नहीं फॉरेंसिक साइंस के उपयोग को 6 साल से ज्यादा वाले मामलों में अनिवार्य किया जाएगा. इसके अलावा दो सिद्धि के प्रमाण को बढ़ाने के लिए भी समयबद्ध योजना इसमें रखी गई है. इसमें डायरेक्टर प्रॉसीक्यूशन पर बोल दिया गया है. फॉरेंसिक साइंस के उपयोग, सीसीटीएनएस, आईटीजी का इंट्रोडक्शन, और टेक्नोलॉजी को कानूनी जामा पहनने की कोशिश भी हो रही है. देश में एक बड़ा डाटा तैयार किया जा चुका है जिसके तहत 16733 पुलिस स्टेशन को कंप्यूटराइज किया गया है. 22000 ई कोर्ट के माध्यम से अदालतें जोड़ी गई हैं. 2 करोड़ कैदियों का डाटा भी तैयार कर लिया गया है. 90 लाख फिंगरप्रिंट्स भी रिकॉर्ड में रखे गए हैं. नार्को ऑफेंडर का भी 5 लाख से ज्यादा का डाटा मौजूद है. ह्यूमन ट्रैफिकिंग से लेकर फॉरेंसिक डाटा तक भी तैयार हो चुका है.
इस दौरान अमित शाह ने कहा देश में तीन हॉटस्पॉट पर पिछले 9 सालों में काम किया गया है. इसमें जम्मू कश्मीर, वामपंथ आतंकवाद वाले क्षेत्र और नॉर्थ ईस्ट का इलाका शामिल है. जम्मू कश्मीर में 370 के उन्मूलन के बाद अब जम्मू कश्मीर हमेशा के लिए भारत का मजबूत हिस्सा बन चुका है. वामपंथी उग्रवादी क्षेत्र में भी हिंसा की घटनाएं बेहद कम हो गई हैं. नॉर्थ ईस्ट में भी शांति बहाली की कोशिश की जा रही है. अमित शाह ने आंकड़ों के जरिए भी केंद्र सरकार के कामों को बताया. उन्होंने कहा साल 2004 से 2014 तक 10 सालों में 33200 हिंसक घटनाएं इन तीन हॉटस्पॉट पर हुई, जिसमें 11947 लोग मारे गए. इसके बाद एनडीए की सरकार में साल 2014 से 2023 तक पिछले 9 सालों में करीब 12358 घटनाएं हुई हैं. जिसमें 3244 लोगों की मौत हुई. अमित शाह ने कहा आने वाले 5 सालों में इस आंकड़े को बेहद कम करने का प्रयास है. अमित शाह ने कहा राज्य पुलिस को साथ लेकर गृह विभाग से थानों तक के लिए काम किया जा रहा है. इसका असर भी दिखाई दे रहा है.