नई दिल्ली: क्षेत्रीय भाषाओं में मेडिकल की पढ़ाई शुरू करने की घोषणा की गई थी. लेकिन अब केंद्र सरकार के इसी फैसले पर सवाल उठने लगे हैं. मेडिकल की पढ़ाई हर तरफ हिंदी में शुरू होने के डॉक्टर्स का मानना है कि इससे सिलेबस पर प्रभाव पड़ेगा. डॉक्टर्स ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार के हिंदी में Medical Education देने के फैसले से शुरुआत में ग्रामीण छात्रों को मदद मिल सकती है, लेकिन इससे उनका विकास और जानकारियों का दायरा गंभीर रूप से सीमित हो जाएगा.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिंदी में मेडिकल एजुकेशन देने के लिए मध्य प्रदेश सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना के हिस्से के रूप में पेश किया था. MBBS Course के प्रथम वर्ष के छात्रों के लिए अक्टूबर में हिंदी में तीन विषयों की किताबों को जारी किया. शाह ने कहा कि देश भर के छात्रों को अपनी भाषाई हीन भावना से बाहर आना चाहिए और अपनी भाषा में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करना चाहिए.
IMA ने उठाए सवाल
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ जेए जयलाल के अनुसार शाह ने भले ही यह कहा हो कि छात्रों की क्षमता बढ़ेगी लेकिन, इसके विपरीत यह उनके विकास को रोक सकता है. डॉ जयलाल ने मीडिया को बताया कि हम जिस बारे में बात कर रहे हैं वह आधुनिक औषधि है, यह सार्वभौमिक औषधि है.
उन्होंने कहा कि यह न केवल भारत में इस्तेमाल होती है, यह दुनिया भर में प्रचलित है, यदि आप एक क्षेत्रीय भाषा में प्रशिक्षित हैं, तो आप अध्ययन करने और अपनी जानकारी बढ़ाने और कौशल बढ़ाने के लिए विदेश जाने की उम्मीद नहीं कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि मेडिकल एजुकेशन केवल किताबों के माध्यम से नहीं सिखाई जा सकती है, इसके लिए अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रों, पत्रिकाओं और लेखों को बार-बार पढ़ना भी पड़ता है. ये सभी अंग्रेजी में लिखे गए हैं.
क्षेत्रीय भाषाओं में मेडिकल की पढ़ाई
पहले चरण में मेडिकल बायोकेमिस्ट्री, एनाटॉमी और मेडिकल फिजियोलॉजी पर हिंदी पाठ्यपुस्तकें जारी की गई हैं. मध्य प्रदेश की अगुवाई के बाद, उत्तराखंड सरकार ने भी अगले शैक्षणिक सत्र से इसी तरह के उपायों को लागू करने की घोषणा की है.
राज्य के चिकित्सा शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत के अनुसार, मध्य प्रदेश के सरकारी महाविद्यालयों में MBBS हिंदी पाठ्यक्रम का अध्ययन कर उत्तराखंड के लिए नए पाठ्यक्रम का प्रारूप एक समिति तैयार करेगी. पिछले हफ्ते, तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री के. पोनमुडी ने भी कहा था कि राज्य सरकार अब तमिल में एमबीबीएस पाठ्यक्रम शुरू करने जा रही है तथा इस संबंध में तीन प्राध्यापकों की एक समिति बनाई गई थी.