राज्य आंदोलनकारियों के आरक्षण का मामला: प्रवर समिति ने स्पीकर को सौंपी रिपोर्ट, जल्द विशेष सत्र बुलाकर रखा जाएगा बिल

खबर उत्तराखंड

देहरादूनः उत्तराखंड राज्य के गठन को आज 23 साल पूरे हो चुके हैं. वहीं इस मौके पर उत्तराखंड के राज्य आंदोलनकारियों के आश्रितों और परिजनों को राजकीय नौकरियों में क्षैतिज आरक्षण को लेकर प्रवर समिति द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी को सौंप दी गई है. इससे पहले राज्य आंदोलनकारियों के आरक्षण बिल की रिपोर्ट विधानसभा ने प्रवर समिति को सौंपी थी. समिति ने भी रिपोर्ट पर तमाम बदलाव कर रिपोर्ट फिर से विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दी है.

प्रवर समिति के अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल का कहना है कि समिति ने बेहद विचार विमर्श और कई चर्चाओं के बाद इस बिल के ड्राफ्ट को तैयार किया है. आज इसे विधानसभा अध्यक्ष को सौंपा गया है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से उत्तराखंड राज्य गठन के लिए तमाम राज्य आंदोलनकारी ने अपने बलिदान दिए, उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए उत्तराखंड सरकार ने राज्य आंदोलनकारियों के आश्रितों और उनके परिजनों को राजकीय सेवाओं में क्षैतिज आरक्षण देने के लिए पूरे प्रयास किए हैं. प्रवर समिति ने अपना पूरा योगदान दिया है.

प्रवर समिति के अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल का कहना है कि समिति ने बेहद विचार विमर्श और कई चर्चाओं के बाद इस बिल के ड्राफ्ट को तैयार किया है. आज इसे विधानसभा अध्यक्ष को सौंपा गया है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से उत्तराखंड राज्य गठन के लिए तमाम राज्य आंदोलनकारी ने अपने बलिदान दिए, उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए उत्तराखंड सरकार ने राज्य आंदोलनकारियों के आश्रितों और उनके परिजनों को राजकीय सेवाओं में क्षैतिज आरक्षण देने के लिए पूरे प्रयास किए हैं. प्रवर समिति ने अपना पूरा योगदान दिया है.

विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने कहा कि प्रवर समिति की रिपोर्ट उन्हें बंद लिफाफे में मिल गई है. जल्द ही इस बंद लिफाफे को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर खोला जाएगा. उन्होंने कहा कि जिस तरह से सदन में बिल को पेश किया गया था, इस पर तमाम आपत्तियों खड़ी की गई थी. लेकिन अब प्रवर समिति ने अपने तमाम प्रयासों और विचार विमर्श के बाद इस बिल को वापस लौटाया है. विधानसभा अध्यक्ष का कहना है कि जल्द ही सरकार से बातचीत कर एक विशेष सत्र नवंबर या दिसंबर माह में बुलाया जाएगा. सत्र में इस बिल को पास करवाया जाएगा, ताकि उत्तराखंड के राज्य आंदोलनकरियों को बेहतर सम्मान और लाभ मिल सके.

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