देहरादून: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर उत्तरकाशी के सिल्क्यारा के पास सुरंग में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए जारी राहत और बचाव कार्यों के बारे में जानकारी ली. प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र और राज्य की एजेंसियों के परस्पर समन्वय से श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा. फंसे श्रमिकों का मनोबल बनाए रखने की जरूरत है.
मुख्यमंत्री ने स्थिति की जानकारी देते हुए बताया कि राज्य और केंद्रीय एजेंसियां परस्पर समन्वय और तत्परता के साथ राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं. सुरंग में फंसे श्रमिक सुरक्षित हैं. उन्हें आक्सीजन, पौष्टिक भोजन और पानी उपलब्ध करवाया जा रहा है. अब तक प्रधानमंत्री मोदी सिलक्यारा टनल की अपडेट के लिए सीएम धामी को तीन बार फ़ोन कर चुके हैं.
गडकरी ने कही ये बात
इससे पहले रविवार को उत्तरकाशी पहुंचे केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मीडिया से बात करते हुए गडकरी ने कहा, ‘हम सफल होंगे. प्रधानमंत्री ने भी इसे लेकर चिंता जाहिर की है. राज्य सरकार हमारी मदद कर रही है. भारतीय सरकार की कई एजेंसियां इस काम में मदद कर रही हैं. निजी एजेंसियों को भी इसमें शामिल किया गया हैं. अमेरिकी विशेषज्ञों से भी संपर्क किया गया. हमारी प्राथमिकता उनकी जान बचाना है. काम युद्धस्तर पर चल रहा है.हम 6 इंच के पाइप के जरिए ज्यादा खाना पानी ऑक्सीजन भेजने की कोशिश कर रहे हैं. 42 मीटर का काम हो चुका है और जल्द ही उन तक पहुंच जाएगा. अभी तक केवल काजू पिस्ता और मेवे ही भेजे जा रहे हैं. अब हम 6 इंच पाइप के माध्यम से रोटी सब्जी और अन्य खाद्य पदार्थ भेज सकते हैं.’
सुरंग में कैसे हुआ हादसा?
बता दें कि ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिल्क्यारा और डंडालगांव के बीच सुरंग बन रही थी. इसका एक हिस्सा रविवार की सुबह ढह गया था, जिसमें 40 मजदूर सुरंग के अंदर ही फंस गए. इस सुरंग की कुल लंबाई 4.5 किलोमीटर है. इसमें सिल्क्यारा के छोर से 2,340 मीटर और डंडालगांव की ओर से 1,750 मीटर तक निर्माण किया गया है.
सुरंग के दोनों किनारों के बीच 441 मीटर की दूरी का निर्माण होना था. अधिकारियों ने कहा था कि सुरंग सिल्क्यारा की तरफ से ढही है. सुरंग का जो हिस्सा ढह गया, वह एंट्री गेट से 200 मीटर की दूरी पर था.
बनाए गए हैं पांच प्लान
रेसक्यू ऑपरेशन के लिए जो पांच प्लान बनाए गए हैं उनकी जिम्मेदारी एनएचआईडीसीएल (राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड), ओएनजीसी (तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम), एसजेवीएनएल (सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड), टीएचडीसी और आरवीएनएल को दी गई है. इसके अलावा बीआरओ और भारतीय सेना की निर्माण शाखा भी बचाव अभियान में सहायता कर रही है.