संसद में ‘स्मोक अटैक’ के पीछे क्या था मकसद? दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में दिया ये बयान

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नई दिल्ली: संसद भवन में स्मोक अटैक मामले आरोपी ललित झा को दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया. यहां कोर्ट ने उसे 7 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है. ललित संसद की सुरक्षा में सेंध के मामले में आरोपी है. ललित से पहले अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया था.

अदालत ने नियुक्त किया वकील

बता दें कि शुक्रवार की शाम दिल्ली पुलिस संसद में स्मोक अटैक मामले में आरोपी ललित झा को पटियाला हाउस कोर्ट में लेकर पहुंची थी. यहां अदालत ने ललित के लिए एक वकील नियुक्त किया. बतौर वकील एडीवी उमाकांत कटारिया इसके लिए नियुक्त हुए हैं. उन्हें ही अन्य आरोपियों के लिए भी वकील नियुक्त किया गया था.

कोर्ट में बहस के दौरान क्या बोली पुलिस

कोर्ट में बहस के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा कि ललित झा मास्टर माइंड है इसलिए इसकी कस्टडी चाहिए कि पता करना है कि इस साजिश के पीछे कितने लोग थे. दिल्ली पुलिस ने कहा कि सबूतों को इकट्ठा करने के लिए कई राज्य जाना है. साजिश में इस्तेमाल हुए मोबाइल भी रिकवर करने हैं. दिल्ली पुलिस के वकील ने कोर्ट में कहा कि ललित झा को गुरुवार रात गिरफ्तार किया गया. उसके बाद विस्तृत पूछताछ की गई.

दिल्ली पुलिस ने बताया कि ललित ने पूरी संलिप्तता का खुलासा करते हुए बताया कि कैसे वो पूरे मामले का मास्टरमाइंड है. दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में कहा कि आरोपी ललित ने इस साजिश का जो मकसद बताया है उसे वो इस कोर्ट में पढ़ना नहीं चाहते हैं. दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया कि हम उनकी संलिप्तता के दावे और स्वीकारोक्ति की असलियत देखना चाहते हैं. सभी आरोपी एक-दूसरे के संपर्क में कैसे आए इसका भी पता लगाना है.

दिल्ली पुलिस ने मांगी थी 15 दिन की पुलिस हिरासत

दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने अपने रिमांड आवेदन में 15 दिन की पुलिस हिरासत मांगी थी. संसद की सुरक्षा में सेंध के मामले में ललित झा को गुरुवार रात को गिरफ्तार किया गया था. उसके बाद उससे विस्तृत पूछताछ की गई थी.

इन सवालों के जवाब जानना चाहती है पुलिस

गुरुवार को हुई पुलिस पूछताछ में ललित ने इस मामले में अपनी संलिप्तता का खुलासा किया है. उसने बताया कि वह कैसे पूरे मामले का मास्टरमाइंड बना है. पुलिस के मुताबिक सामने आया है कि उन्होंने पुलिस को मकसद बताया है, हालांकि पुलिस ने अभी इसका खुलासा नहीं किया है. बकौल पुलिस, हम उनकी भागीदारी देखना चाहते हैं और साथ ही ये भी जानना चाहते हैं कि सभी एक-दूसरे के संपर्क में कैसे आए, उनका समर्थन करने वाले लोग कौन हैं, उन्हें फंडिंग कैसे मिली इसकी भी जानकारी जुटानी है.

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