लखनऊ: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा अपनी विश्वसनीयता पर सवाल उठाए जाने पर मायावती ने उनको जवाब दिया है. उन्होंने सपा प्रमुख को बसपा पर टिप्पणी करने से पहले खुद की गिरेबान में झांकने की नसीहत दी है. बसपा सुप्रीमो ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट में लिखा, ‘अपनी व अपनी सरकार की खासकर दलित-विरोधी रही आदतों, नीतियों एवं कार्यशैली आदि से मजबूर सपा प्रमुख द्वारा बीएसपी पर अनर्गल तंज कसने से पहले उन्हें अपने गिरेबान में भी झांककर जरूर देख लेना चाहिए’.
1. अपनी व अपनी सरकार की ख़ासकर दलित-विरोधी रही आदतों, नीतियों एवं कार्यशैली आदि से मजबूर सपा प्रमुख द्वारा बीएसपी पर अनर्गल तंज़ कसने सेे पहले उन्हें अपने गिरेबान में भी झांँककर जरूर देख लेना चाहिए कि उनका दामन भाजपा को बढ़ाने व उनसे मेलजोल के मामले में कितना दाग़दार है।
— Mayawati (@Mayawati) January 7, 2024
मायावती ने कहा कि समाजवादी पार्टी का दामन भाजपा को बढ़ाने व उससे मेलजोल के मामले में दागदार रहा है. उन्होंने एक्स पर अपने पोस्ट में लिखा, ‘तत्कालीन सपा प्रमुख (मुलायम सिंह यादव) द्वारा भाजपा को संसदीय चुनाव जीतने से पहले व उपरांत आर्शीवाद दिए जाने को कौन भुला सकता है. और फिर भाजपा सरकार बनने पर उनके नेतृत्व से सपा नेतृत्व का मिलना-जुलना जनता कैसे भूला सकती है. ऐसे में सपा साम्प्रदायिक ताकतों से लडे़ तो यह उचित होगा’. मायावती का इशारा दिवंगत मुलायम सिंह यादव द्वारा संसद में पीएम मोदी को दूसरे कार्यकाल के लिए आशीर्वाद देने की ओर था.
अखिलेश यादव ने मायावती को लेकर क्या कहा था?
दरअसल, अखिलेश यादव कल बलिया दौरे पर थे. यहां पत्रकारों ने जब उनसे इंडिया ब्लॉक में मायावती और बसपा को शामिल करने के बारे में सवाल किया तो उन्होंने तंज भरे लहजे में पूछा, ‘उसके बाद का (2024 लोकसभा चुनाव) भरोसा आप दिलाओगे. बात भरोसे का है. अगर वह आती हैं तो आप में से कौन भरोसा दिलाएगा?’ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हाल ही में हुई इंडिया ब्लॉक की बैठक में अखिलेश यादव ने बीएसपी को शामिल करने के प्रति असहमति जताई थी.
बता दें कि बसपा और सपा ने यूपी में 2019 का लोकसभा चुनाव गठबंधन में लड़ा था. उनके गठबंधन की तीसरी पार्टी रालोद थी. बीएसपी ने 10 सीटें जीती थीं, जबकि सपा को 5 सीटों पर जीत मिली थी. आरएलडी खाता भी नहीं खोल सकी थी. चुनाव के तुरंत बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर दिया था. इसके बाद आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव में बसपा ने अपने उम्मीदवार खड़े किए थे. आजमगढ़ से सपा के धर्मेंद्र यादव को भाजपा के दिनेशलाल यादव उर्फ निरहुआ के हाथों हार झेलनी पड़ी थी. रामपुर में भी बीजेपी के घनश्याम लोधी ने जीत दर्ज की थी.