उत्तराखंड: मंदिर और गुरुद्वारों के बाद मजारों में भी शुरू हुआ स्वच्छता अभियान, वक्फ बोर्ड अध्यक्ष ने लगाई झाड़ू

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देहरादून: अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर देश भर के लोगो में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी के आह्वान पर देश भर के सभी मंदिरों और गुरुद्वारों में स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है. उत्तराखंड में सीएम धामी के साथ ही कैबिनेट मंत्री और नेता मंदिरों के आसपास सफाई अभियान चला रहे हैं. इसी क्रम में उत्तराखंड के मजारों में भी स्वच्छता अभियान की शुरुआत हो चुकी है. बुधवार को देहरादून स्थित मजार में वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने साफ सफाई की.

देवभूमि उत्तराखंड में अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के भव्य समारोह का उत्साह बढ़ने लगा है. सीएम मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी सभी जिलों के जिलाधिकारी को पहले ही दिशा निर्देश दे चुके हैं कि 22 जनवरी तक उत्तराखंड के सभी धार्मिक स्थलों पर स्वच्छता अभियान संचालित किए जाएंगे. साथ ही मुख्यमंत्री ने सांस्कृतिक उत्सव मनाने के लिए भी सभी जिलों के जिलाधिकारियों को दिशा निर्देश दिए. मुख्यमंत्री के दिशा निर्देशों के अनुपालन में स्वच्छता अभियान और संस्कृत उत्सव की धूम देखने को मिल रही है, जिला मुख्यालय के साथ-साथ राजधानी देहरादून में भी तमाम धार्मिक स्थलों के साथ-साथ अब मजारों में भी स्वच्छता अभियान शुरू हो गया है.

वहीं, उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह को देखते हुए सभी लोग धार्मिक स्थलों के आसपास सफाई अभियान चलाएंगे. जिसके चलते प्रदेश के तमाम मजारों मस्जिदों में सफाई अभियान शुरू किया गया है. ऐसे में प्रदेश के सभी दरगाह में सफाई अभियान चलाया जाएगा. बीते दिन रुड़की स्तिथ कलियर शरीफ में सफाई अभियान चलाया गया था. एक सकारात्मक माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है. लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जो गंदी राजनीति कर रहे हैं और कह रहे है कि 15 जनवरी से 22 जनवरी तक मुस्लिम समुदाय के लोग घर से बाहर न निकले, अपने घरों में रहे.
उन्होंने कहा कि खुदा से डरने वाले समुदाय के चंद लोग, लोगों को डरा रहे हैं. लेकिन देश का मुसलमान न किसी से डरता है और ना ही डर रहा है. क्योंकि देश की कमान मजबूत हाथों में है. पीएम मोदी के नेतृत्व में देश आगे बढ़ रहा है और सब लोग साथ आ रहे हैं. हालांकि, भूतकाल में कुछ गलतियां हुई हैं जिसके चलते मुस्लिम समाज ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान किया. ऐसे में इस राम मंदिर निर्माण में मुस्लिमों का भी योगदान है. मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों का कहना है कि उनका बाबर से कोई लेना देना नहीं है. लेकिन बाबरी मस्जिद के शहादत का दुख है. लेकिन उस दुख को दबाकर, इस खुशी के मौके पर शामिल होने की जरूरत है.

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