दिल्ली में किसानों का मार्च शुरू, आखिर किस बात से नाराज हैं किसान, क्या हैं उनकी मांगें?

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दिल्ली:  प्रदर्शनकारी किसानों ने केंद्र सरकार पर अपनी मांगों को पूरा करने के लिए दबाव डालने के लिए आज अपना ‘दिल्ली चलो’ मार्च शुरू किया है। किसानो ने इन मांगों में सबसे महत्वपूर्ण है फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी वाला कानून बनाना – जो बाजार की अनिश्चितताओं का सामना कर रहे किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण जीवन रेखा है। किसानों की नाराजगी के अन्य प्रमुख बिंदु हैं बिजली अधिनियम 2020 को निरस्त करने, लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों के लिए मुआवजे और किसान आंदोलन में शामिल लोगों के खिलाफ मामलों को वापस लेने सहित अन्य मुद्दे शामिल हैं।

अपनी मांगो ंके लिए जिद पर अड़े किसान

सरकार के मंत्रियों के साथ हुई बैठक के बाद किसानों की तरफ से कहा गया है कि, साल 2020-21 के आंदोलन के दौरान दर्ज किसानों के खिलाफ मामलों को वापस लेने की सरकार की इच्छा का पता चला, इसपर भी बात हुई। हालांकि, किसान एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी पर जोर देते हैं, जो उनकी मांगों में सबसे ऊपर है।

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के जगजीत सिंह दल्लेवाल और किसान मजदूर संघर्ष समिति के सरवन सिंह पंढेर जैसे किसान नेताओं ने अपनी सभी मांगों को पूरा करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता के बारे में संदेह व्यक्त किया है। बता दें कि सरकार ने एमएसपी, कर्ज माफी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन के लिए कानूनी गारंटी पर विचार-विमर्श के लिए एक समिति के गठन का प्रस्ताव रखा है। इन सबके अलावा, किसानों की मांगों में भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 की बहाली, विश्व व्यापार संगठन से वापसी और पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों के लिए मुआवजा सहित कई मुद्दे शामिल हैं।

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