जबलपुर: एमपी के जबलपुर में 40 जिंदा लोगों को कागजों पर मरा बताकर सरकारी लाभ लेने का मामला सामने आया है. यहां सरकारी दस्तावेजों में 40 जिंदा महिला- पुरुषों को मरा साबित कर दिया गया और उनके नाम पर सरकारी सहायता राशि ले लिया गया. इस वारदात को एमपी ऑनलाइन चलाने वाले युवकों ने नगर निगम के कर्मचारियों के साथ मिलकर अंजाम दिया है. एक महिला मजदूर को उसके प्रमाणपत्र के गलत इस्तेमाल का शक हुआ तो वह नगर निगम कार्यालय पहुंची इसके बाद फर्जीवाड़ा करने वाले इस गिरोह का भंडाफोड़ हुआ. बताया जा रहा है कि इस गिरोह के तार छत्तीसगढ़ तक फैले हुए हैं.
दरअसल जबलपुर पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का खुलासा किया है जो जिंदा लोगों का फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनाकर सरकार की योजनाओं के तहत मिलने वाली राशि को निकाल लेते थे. पुलिस ने न्यू नेता कॉलोनी अधारताल निवासी शेख शहजाद, न्यू आनंद नगर हनुमानतल निवासी आकिब रफीक एवं मक्का नगर हनुमंत निवासी सलमान और मोहम्मद शेख सद्दाम को गिरफ्तार किया है. इनके पास पुलिस को 40 फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र मिले हैं .
महिला मजदूर की शिकायत पर हुआ भंडाफोड़
पुलिस के मुताबिक हनुमानताल थाना क्षेत्र की निवासी सैयदा रिजवाना रिजवी ने शिकायत दर्ज कराई जिसमें बताया गया कि साल 2020 में उसने मजदूरी कार्ड बनवाने के लिए शेख शहजाद नाम के शख्स को आधार कार्ड, और दूसरे दस्तावेज और पासपोर्ट साइज की फोटो दी थी. इसके साथ ही 5000 रुपए भी दिए थे. 6 महीने बाद शेख शहजाद ने उसे मजदूरी कार्ड बनवाकर दे दिया. लेकिन कुछ महीने बाद उसे पता चला कि शेख शहजाद मजदूरी कार्ड का गलत इस्तेमाल कर रहा है. इस संदेह पर वह नगर निगम कार्यालय में पहुंची तो पता चला कि उसके नाम का मृत्यु प्रमाण पत्र बनाकर संबल योजना के तहत मिलने वाली अंत्येष्टि की राशि 6 हजार और सहायता राशि के 2 लाख रुपए निकाल लिए गए हैं. तब उसकी शिकायत पर पुलिस ने जांच पड़ताल की तो आधारताल थाना क्षेत्र में एमपी ऑनलाइन की दुकान चलाने वाले शेख शहजाद और उसके दोस्त आकिब रफीक को हिरासत में लिया गया.
40 से ज्यादा फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बरामद
आरोपियों ने पुलिस को बताया कि उन्होंने अब तक 40 से ज्यादा फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनाए हैं और इन मृत्यु प्रमाण पत्र के जरिए मध्य प्रदेश शासन द्वारा चलाई जा रही संबल योजना के जरिए मिलने वाली राशि को बैंक खातों में ट्रांसफर कराया है. आरोपियों का एक साथी सलमान बैंक खातों की दस्तावेजों में एडिटिंग कर दूसरे दस्तावेज लगा दिया करता था और सरकार की ओर से मिलने वाली राशि उन बैंक खातों में ट्रांसफर की जाती थी.