रामपुर तिराहा कांड 1994: उत्तराखंड के आंदोलनकारियों पर गोली बरसाने वाले PAC के दो जवानों को आजीवन कारावास

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देहरादून/मुजफ्फरनगर: यूपी के मुजफ्फरनगर जिले के चर्चित रामपुर तिराहा कांड-1994 में तीन दशक बाद अदालत ने पीएसी के दो सिपाहियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. अदालत ने दोनों सिपाहियों पर 25-25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है.

अलग राज्य की मांग को लेकर चला था आंदोलन

मुजफ्फरनगर कोर्ट ने दुष्कर्म के मामले में पीएसी सिपाही मिलाप सिंह और वीरेंद्र प्रताप पर आरोप साबित किया गया. इसमें 25 जनवरी 1995 को सीबीआई ने पुलिस कर्मियों के खिलाफ मामले दर्ज किए थे. मामले के तहत, एक अक्टूबर 1994 को अलग राज्य (उत्तराखंड) बनने की मांग को लेकर देहरादून से बसों में सवार होकर आंदोलनकारी दिल्ली जा रहे थे. देर रात मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा पर पुलिस ने आंदोलनकारियों को रोकने का प्रयास किया था.

पुलिस फायरिंग में सात आंदोलनकारियों की हुई थी मौत

इस दौरान जब आंदोलनकारी नहीं माने तो पुलिसकर्मियों ने आंदोलनकारियों पर फायरिंग कर दी थी. इसमें 7 आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी. इस पूरे मामले की सीबीआई ने जांच की और आरोपी अधिकारियों और पुलिसकर्मियों पर मामले दर्ज कराए थे. इसमें पीएसी गाजियाबाद में सिपाही पद पर तैनात मिलाप सिंह निवासी एटा और दूसरा आरोपी सिपाही वीरेंद्र प्रताप निवासी सिद्धार्थनगर आरोप साबित हुए.

30 साल बाद मिला न्याय

18 मार्च 2024 को करीब 30 साल बाद रामपुर तिराहा कांड में मुजफ्फरनगर कोर्ट ने फैसले सुनाते हुए दोनों आरोपी सिपाहियों को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही दोनों दोषियों पर 25-25 हजार का जुर्माना भी लगाया गया है.

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