राजस्थान में ‘जिंदा व्यक्ति को अर्थी पर लेटा कर शव यात्रा’, वजह भी ऐसी की सोच में पड़ जाएंगे आप, देखें Video

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भीलवाड़ाः राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में शीतला सप्तमी का त्यौहार देश भर से अलग अनूठे अंदाज में मनाया जाता है। शीतल सप्तमी के दिन भीलवाड़ा के मुख्य बाजार में जीवित व्यक्ति को अर्थी पर लेटा कर उसकी शव यात्रा निकाली  जाती है। इसमें हजारों युवा, बड़े व बुजुर्ग शामिल होते हैं। लोग रंग-गुलाल उड़ाकर जश्न भी बनाते हैं।

अर्थी पर लेटा व्यक्ति करता है ये हरकत

मिली जानकारी के अनुसार, अर्थी पर लेटा जिंदा व्यक्ति कभी अपना एक हाथ बाहर निकालता है तो कभी हिलता डुलता है।  यहां तक कि अपने उड़ते कफ़न को भी खुद ही ठीक कर लेता है तो कभी  उठ कर पानी पी लेता है। अर्थी जब अंतिम पड़ाव पर पहुंचती है तो वह उठ कर भागने की कोशिश करता है। तब शव यात्रा में शामिल लोग उसे जबरन बिठा देते हैं।

200 साल से जारी है यह परंपरा

यह अनूठी परंपरा वस्त्रनगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा में शीतला सप्तमी को पिछले 200 सालों से निभाई जा रही है। इस मुर्दे  की सवारी में बड़ी संख्या में लोग  रंग गुलाल उड़ाते हुए शामिल होते हैं। शीतला सप्तमी के दिन भीलवाड़ा जिले में जिला कलेक्टर की ओर से स्थानीय अवकाश भी घोषित किया जाता है। शहर के लोगों ने बताया कि यह मुर्दे की सवारी निकालने की परंपरा मेवाड़ रियासत के समय से चली आ रही है। इस मुद्दे को लोक देवता ईलो जी के रूप में बताया जाता है।

जानकीलाल भांड ने दी ये जानकारी

वहीं पदम श्री पुरस्कार के लिए घोषित व अंतर्राष्ट्रीय बहरूपिया कलाकार जानकीलाल भांड ने कहा कि भीलवाड़ा में मुर्दे की सवारी की यह परंपरा 200 साल से अधिक पुरानी है। यह परंपरा रियासत काल से शुरू की थी जो अनवरत रूप से जारी है। इस मुर्दे की सवारी में मैं भी शरीक होता हूं जहां बहरूपिया का सॉग कर लोगों को हंसाने का काम करता हूं।

वहीं शहर के रहने वाले वरिष्ठ नागरिक मुरली मनोहर सेन ने कहा कि होली के बाद शीतला सप्तमी का त्योहार भीलवाड़ा जिले में अनुठे अंदाज में मनाया जाता है। जहां दिन में मुर्दे की सवारी निकाली जाती है जिसको देखने प्रदेश भर से काफी लोग आते हैं। इस सवारी में रंग गुलाल उड़ाते हुए हंसी ठिटौली भी की जाती है।

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