देहरादून: उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल भाजपा में शामिल हो गए हैं. कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों को देखते हुए उन्हें स्टार प्रचारक भी बनाया था. इससे पहले दिनेश अग्रवाल को कांग्रेस कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया गया था. अग्रवाल को कैबिनेट मंत्री बनाए जाने पर विधायक मयूख महर जैसे तेज तर्रार विधायक की नाराजगी भी पार्टी को झेलनी पड़ी थी. 2017 में विधानसभा चुनाव हारने के बावजूद विश्वास जताते हुए कांग्रेस ने उन्हें मेयर का चुनाव भी लड़वाया. इन सबके बाद भी दिनेश अग्रवाल ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया है.
बीजेपी ज्वाइन करते हुए दिनेश अग्रवाल ने कहा उन्हें पार्टी में तवज्जो नहींं दी जा रही थी. साथ ही उन्होंने कहा लोकसभा चुनाव के दौरान लिए जा रहे तमाम फैसलों को लेकर भी वे नाराज थे. जिसके कारण उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दिया है. दिनेश अग्रवाल ने इस्तीफे पर बोलते हुए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा दिनेश अग्रवाल को यह बताना चाहिए कि क्या वह अंकिता के वीआईपी का नाम नहीं जानना चाहते हैं? उन्हें बेरोजगारों पर हुए लाठी चार्ज, भर्ती घोटालों, पटवारी पेपर लीक, महिला अपराधों पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए.
कांग्रेस अनुशासन समिति ने दिनेश अग्रवाल और नगर निगम पार्षद रहे राजेश परमार को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने पर तत्काल प्रभाव से पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से 6 वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया है. दिनेश अग्रवाल का कहना है कि कांग्रेस में नेतृत्व की कमी बनी हुई थी, इसलिए उन्हें पार्टी छोड़नी पड़ी. इसके जवाब में करन माहरा ने कहा कई सालों तक अग्रवाल इसी नेतृत्व के साथ काम करते रहे, तब उन्हें दिक्कत नहीं हुई. दिनेश अग्रवाल पर विश्वास करते हुए कांग्रेस ने कई बार उन्हें चुनाव लड़वाया. उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया. इसके बाद भी अगर वे कह रहे हैं कि उन्हें तवज्जो नहीं दी जा रही थी तो कुछ नहीं कहा जा सकता है.
बता दें दिनेश अग्रवाल ने कांग्रेस छोड़कर पार्टी को तगड़ा झटका दिया है. दिनेश अग्रवाल कांगेस से सात बार विधायक चुनाव लड़ चुके हैं. 2019 में हुए नगर निकाय चुनाव में टिकट पाने वाले नेता थे. राज्य गठन के बाद 2002 और 2007 में लगातार चुनाव में उन्होंने लक्ष्मण चौक सीट पर नित्यानंद स्वामी को भी हराया. उसके बाद 2012 में धर्मपुर विधानसभा सीट पर उन्होंने जीत दर्ज की.