बांसवाड़ा: बांसवाड़ा राजस्थान में एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जिस बात के लिए विपक्ष ने उनकी आलोचना की और उनके आरोप को तथ्यहीन करार दिया था, ठीक एक दिन बाद ही प्रधानमंत्री ने फिर उसी बात को दुहरा कर एक तरह से अपनी बात को सही साबित करने दावा कर दिया है. अलीगढ़ में बीजेपी की रैली में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘कांग्रेस के शहजादा कहते हैं कि इसकी जांच कराई जाएगी कि कौन कितना कमाता है, आपके पास कितनी संपत्ति है, आपके पास कितना पैसा है, आपके पास कितने घर हैं. सरकार आपकी इस संपत्ति पर कब्ज़ा करेगी और इसे सभी को वितरित करेगी. हमारी माताओं और बहनों के पास सोना है, यह स्त्री धन है, इसे पवित्र माना जाता है, कानून भी इसकी रक्षा करता है. उनकी नज़र आपके मंगलसूत्र पर है. सवाल यह है कि क्या कांग्रेस के घोषणापत्र में वास्तव में इस तरह की बातें हैं क्या? आखिर पीएम मोदी किस आधार पर लगातार कांग्रेस और राहुल गांधी को टार्गेट कर रहे हैं. हालांकि पीएम ने अलीगढ में कांग्रेस मेनिफेस्टो की जगह शाहजादा कहते हैं शब्द का इस्तेमाल किया.
कांग्रेस का दावा कितना जायज
कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री के इस दावे का विरोध किया है. पार्टी कहना है कि उनके घोषणापत्र में ऐसा कुछ नहीं है.वह मोदी के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए चुनाव आयोग से संपर्क किया है.पार्टी की घोषणापत्र समिति के अध्यक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने पीएम मोदी की टिप्पणी को “अपमानजनक” बताया. उन्होंने एक्स पर लिखा कि प्रत्येक वाक्य अपने पूर्ण झूठ और बेशर्म झूठ में पिछले वाक्य से आगे निकल गया. क्या भाजपा दुनिया को बताएगी: ए) कांग्रेस ने कब और कहां कहा था कि हम लोगों की जमीन, सोना और अन्य कीमती चीजें मुसलमानों के बीच बांट देंगे? बी) कांग्रेस ने कब और कहां कहा था कि व्यक्तियों की संपत्ति, महिलाओं के पास मौजूद सोने और आदिवासी परिवारों के पास मौजूद चांदी के मूल्य के लिए एक सर्वेक्षण किया जाएगा? सी) कांग्रेस ने कब और कहां कहा कि सरकारी कर्मचारियों की जमीन और नकदी भी वितरित की जाएगी?
दरअसल आज की राजनीति में किसने क्या कहा , उसका आधार क्या है? यह सब बातें अब पूछने वाली नही रह गईं हैं.हर पार्टी और हर बड़ा नेता अपने विरोधियों पर निराधार आरोप लगा रहा है. किसकी कौन सी बात सही है यह अंदाजा लगाना मुश्किल है. पार्टियां भी समझ गईं हैं इससे कुछ होने वाला नहीं है. इसलिए हर झूठ के खिलाफ कोई कोर्ट केस करने की बात भी नहीं करती हैं. अभी कुछ दिनों पूर्व की बात है जब सीएए कानून लागू हुआ तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कम से कम 3 बार प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि इस कानून के लागू होने से पाकिस्तान से करोड़ों लोग भारत आ जएंगे. ( जबकि कानून स्पष्ट रूप से दिन और साल का जिक्र है कि कब से कब तक भारत आए लोगों को ही इस कानून का लाभ मिल सकेगा.) .राहुल गांधी भी आरोप लगाते रहते हैं देश की संपत्ति मुट्ठी भर लोगों के हाथ में , पूरे देश की शासन व्यवस्था में 90 प्रतिशत से अधिक अधिकारी सवर्ण तबके से हैं. सीधा सा सवाल है कि क्या ऐसा पिछले 10 साल में हुआ है? कहने का मतलब यह है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ओर से खुलकर ऐसी बातें हो रही हैं जिनका कोई आधार नहीं है.
कांग्रेस मेनिफेस्टो में क्या है
कांग्रेस के घोषणापत्र में धन के पुनर्वितरण का सीधा उल्लेख नहीं है, लेकिन वादा किया गया है कि अगर पार्टी सत्ता में आती है, तो नीतियों में उपयुक्त बदलावों के माध्यम से धन और आय की बढ़ती असमानता को कम करने पर ध्यान देगी. घोषणापत्र का पहला अध्याय जिसका शीर्षक समानता है इस चैप्टर में यह बताया गया है कि ओबीसी, एससी और एसटी भारत की आबादी का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा हैं, उच्च रैंकिंग वाले व्यवसायों, सेवाओं और सेवाओं में उनका प्रतिनिधित्व अनुपातिक रूप से कम है.
मेनिफेस्टो में कहा गया है कि जातियों और उप-जातियों और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थितियों की गणना करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना आयोजित करने का वादा करता है. इसके साथ ही डेटा के आधार पर, हम सकारात्मक कार्रवाई के एजेंडे को मजबूत करेंगें. जहां तक अल्पसंख्यकों का सवाल है, इसमें कहा गया है कि अल्पसंख्यकों का आर्थिक सशक्तिकरण एक आवश्यक कदम है और यह सुनिश्चित करने का वादा किया गया है कि बैंक बिना किसी भेदभाव के अल्पसंख्यकों को संस्थागत ऋण प्रदान करेंगें. कांग्रेस पार्टी सरकार में आने पर यह सुनिश्चित करेगी कि अल्पसंख्यकों को शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, सार्वजनिक रोजगार, सार्वजनिक कार्य अनुबंध, कौशल विकास, खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों में बिना किसी भेदभाव के अवसरों का उचित हिस्सा मिले.
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस मेनिफेस्टो की व्याख्या उसी तरह कर रहे हैं जिस तरह कांग्रेस पार्टी वर्तमान सरकार की नीतियों की कर रहे हैं. कांग्रेस अपने मेनिफेस्टो में जिस तरह अल्पसंख्यकों को शिक्षा, स्वास्थ्य , रोजगार आदि में बिना भेदभाव के उचित हिस्सा देने की बात कर रही है वो तो अभी भी मिल रहा है. यूपीएससी की परीक्षा में , क्रिकेट टीम में , बॉलीवुड में कहीं भी अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव नहीं हो रहा है. जिस तरह कांग्रेस वर्तमान सरकार की नीतियों की व्याख्या अपने चश्मे से कर रही है, ठीक उसी तरह बीजेपी भी कांग्रेस मेनिफेस्टो को अपने हिसाब से डिफाइन कर रही है.
राहुल गांधी इस तरह की बातें करते रहे हैं
राहुल ने इस चुनाव अभियान के दौरान अक्सर जाति जनगणना और उसके बाद इकॉनमी मैपिंग की आवश्यकता के बारे में बात की हैं. 9 मार्च को, उन्होंने एक ट्वीट किया जिसमें कहा गया कि बिहार में किए गए जाति सर्वेक्षण से पता चला है कि 88% गरीब दलित, आदिवासी, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों से आते हैं, उन्होंने कहा: बिहार से जो आंकड़े आए हैं, वे सिर्फ एक छोटी सी झलक हैं. देश की असली तस्वीर. देश की गरीब आबादी किन हालातों में जी रही है, इसका हमें अंदाज़ा ही नहीं है. इसलिए हम दो ऐतिहासिक कदम उठाने जा रहे हैं – जाति गणना, इकनॉमिक मैपिंग, जिसके आधार पर हम आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा को उखाड़ फेंकेंगे.
इस ट्वीट करने के आसपास ही अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान, राहुल ने कांग्रेस के सत्ता में आने पर जाति जनगणना के बाद वित्तीय और आर्थिक सर्वेक्षण कराने का वादा किया. 12 मार्च को महाराष्ट्र के आदिवासी बहुल नंदुरबार जिले में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि जाति जनगणना और आर्थिक और वित्तीय सर्वेक्षण ये क्रांतिकारी कदम हैं. कांग्रेस इन्हें अपने घोषणापत्र में शामिल करेगी.
6 अप्रैल को हैदराबाद में कांग्रेस का घोषणापत्र जारी करते हुए राहुल ने कहा कि जाति जनगणना से पिछड़े वर्गों, दलितों, आदिवासियों और सामान्य जातियों के गरीबों के साथ-साथ अल्पसंख्यकों को भी पता चल जाएगा कि इस देश में उनकी हिस्सेदारी कितनी है. उनकी भागीदारी कितनी है. उन्होंने कहा: हम उसके बाद एक वित्तीय और संस्थागत सर्वेक्षण करेंगे. ये पता लगाएंगे कि हिंदुस्तान का धन किसके हाथों में है, कौन से वर्ग के हाथों में है. और इस ऐतिहासिक कदम के बाद हम क्रांतिकारी काम शुरू करेंगे… जो आपका हक बनता है, वो हम आपके लिए आपको देने का काम करेंगे.
इसके बाद राहुल गांधी ने तेलंगाना में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पार्टी के ‘जितनी आबादी उतना हक’ नारे का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो यह पता लगाने के लिए एक वित्तीय और संस्थागत सर्वेक्षण कराएगी कि देश की अधिकतर संपत्ति पर किसका नियंत्रण है. राहुल गांधी ने कहा कि इसके लिए राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना के अलावा वेल्थ सर्वे (संपत्ति के बंटवारे का सर्वेक्षण) कराया जाएगा, यह हमारा वादा है.