नई दिल्ली : चुनाव आयोग ने मंगलवार को लोकसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग के 11 दिन और दूसरे चरण के मतदान के चार दिन बार आधिकारिक आंकड़े जारी किए। इन आंकड़ों को लेकर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी, तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद डेरेक ओब्रायन और राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव ने सवाल उठाए हैं। इन्होंने पूछा कि प्रारंभिक आंकड़ों के मुकाबले वोटिंग प्रतिशत इतना कैसे बढ़ गया और मतदाताओं की संख्या क्यों नहीं दी।
चुनाव आयोग के मुताबिक, पहले चरण में 66.14 फीसद और दूसरे चरण में 66.71 फीसद मतदान हुआ है। आयोग के मुताबिक, चुनाव के पहले चरण में 102 सीट के लिए हुए मतदान में 66.22 फीसदी पुरुष और 66.07 फीसदी महिला मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जबकि पंजीकृत ट्रांसजेंडर मतदाताओं में 31.32 फीसद ने मतदान किया है। वहीं, 26 अप्रैल को दूसरे चरण का मतदान संपन्न हुआ, जिसमें 88 सीट के लिए 66.99 फीसद पुरुष मतदाताओं ने और 66.42 फीसदी महिला मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। दूसरे चरण में ट्रांसजेंडर पंजीकृत मतदाताओं में से 23.86 फीसद ने मतदान किया।
Finally ECI has put out the final voter turnout figures for the first 2 phases which are substantially, not marginally as is normal, higher than the initial figures.
But why are the absolute numbers of voters in each Parliamentary constituency not put out? Percentages are… pic.twitter.com/WolBmyfnDa— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) April 30, 2024
“नतीजों में हेरफेर की आशंका”
चुनाव आयोग के इन आंकड़ों को लेकर सीताराम येचुरी ने ‘एक्स’ पर लिखा, “आखिरकार चुनाव आयोग ने पहले दो चरणों के लिए मतदान के अंतिम आंकड़े पेश कर दिए हैं, जो सामान्य रूप से मामूली नहीं, बल्कि प्रारंभिक आंकड़ों से अधिक हैं। लेकिन प्रत्येश संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं की पूर्ण संख्या क्यों नहीं बताई? जब तक यह आंकड़ा ज्ञात न हो, मतदान फीसद निरर्थक है।” उन्होंने लिखा, “नतीजों में हेरफेर की आशंका बनी हुई है, क्योंकि गिनती के समय कुछ मतदान की संख्या में बदलाव किया जा सकता है। 2014 तक प्रत्येक नर्वाचन क्षेत्र में मतदादाओं की कुल संख्या हमेशा चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध होती थी। आयोग को पारदर्शी होना चाहिए और इस आंकड़े को सामने रखना चाहिए।”
“चुनाव आयोग को जवाब देना होगा”
एक अन्य पोस्ट में येचुरी ने लिखा, “मैं प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में पंजीकृत मतदाताओं की पूर्ण संख्या की बात कर रहा हूं, डाले गए वोटों की संख्या नहीं, जो डाक मतपत्रों की गिनती के बाद ही पता चलेगा। प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं की कुछ संख्या क्यों नहीं बताई जा रही है? चुनाव आयोग को जवाब देना होगा।”
“वोटिंग प्रतिशत में 5.75% की बढ़ोतरी”
ओब्रायन ने एक्स पर लिखा, ” महत्वपूर्ण, दूसरे चरण के समाप्त होने के चार दिन बाद चुनाव आयोग ने अंतिम मतदान आंकड़े जारी किए। चुनाव आयोग द्वारा चार दिन पहले जारी की गई संख्या से 5.75 फीसदी की बढ़ोतरी (मतदान में उछाल)! क्या यह सामान्य है? मुझे यहां क्या समझ नहीं आ रहा है?”
“आंकड़ा 24 घंटों के भीतर मिल जाता था”
वहीं, राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव ने एक्स पर लिखा, मैंने 35 वर्षों से भारतीय चुनाव को देखा और अध्ययन किया है। प्रारंभिक (मतदान दिवस शाम) और अंतिम मतदान आंकड़ों के बीच 3 से 5 फीसदी अंकों का अंतर असामान्य नहीं होता था, हमें अंतिम आंकड़ा 24 घंटों के भीतर मिल जाता था। इस बार असामान्य और चिंताजनक है, वह यह है कि पहला और अंतिम आंकड़े जारी करने में 11 दिनों में देरी। दूसरा प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र और उसके खंडों के लिए मतदाताओं और डाले गए वोटों की वास्तविक संख्या का खुलासा न करना। मतदान फीसदी चुनावी ऑडिट में मदद नहीं करता। हां, यह जानकारी प्रत्येक बूथ के लिए फार्म 17 में दर्ज की जाती है और उम्मीदवार के एजेंट के पास उपलब्ध होती है, लेकिन डाले गए वोटों और गिने गए वोटों के बीच हेराफेरी या विसंगति की किसी भी संभावना को खत्म करने के लिए चुनाव आयोग ही समग्र डेटा दे सकता है, देना ही चाहिए। आयोग को इस अत्यधिक देरी और रिर्पोटिंग प्रारूप में अचानक बदलाव के लिए भी स्पष्टीकरण देना चाहिए।”