नई दिल्ली: साइड इफेक्ट को लेकर उठ रहे सवालों के बीच एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड कोविड-19 वैक्सीन कंपनी ने अपनी वैक्सीन बाजार से वापस लेने का फैसला किया है. कंपनी ने कहा है कि वह यूरोप से वैक्सीन वैक्सजेवरिया (कोविड वैक्सीन) वापस लेने के क्रम में आगे बढ़ेगी.
हालांकि, एस्ट्राजेनेका ने वैक्सीन वापस लेने की वजह कुछ और ही बताई है. कंपनी का कहना है कि महामारी के बाद जिस तरह से कोविड वैक्सीन की सप्लाई की गई, उससे मार्केट में जरूरत से ज्यादा वैक्सीन हो गई थी. इसलिए कंपनी ने वैक्सीन वापस लेने का फैसला किया है.
कंपनी ने कहा कि जब से कई प्रकार की कोविड-19 वैक्सीन मार्केट में आई हैं. तब से एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की डिमांड में गिरावट आई है. इसका प्रोडक्शन और एक्सपोर्ट पहले ही बंद कर दिया गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कंपनी ने वैक्सीन वापस लेने के लिए 5 मार्च को आवेदन किया था. यह 7 मई को सामने आया था.
हाल ही में एंग्लो-स्वीडिश दवा निर्माता कंपनी ने ब्रिटेन के हाई कोर्ट में पहली बार स्वीकार किया था कि उनकी कोरोना वैक्सीन से खून के थक्के और कम प्लेटलेट होने जैसे दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ सकता है.
कैसे सामने आया था मामला
ये पूरा मामला तब सामने आया था, जब एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) ने ब्रिटेन की हाईकोर्ट में माना था कि उसकी कोविड-19 वैक्सीन से थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) जैसे साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम से शरीर में खून के थक्के जमने (Blood Clot) लगते हैं या फिर शरीर में प्लेटलेट्स तेजी से गिरने लगते हैं. बॉडी में ब्लड क्लॉट की वजह से ब्रेन स्ट्रोक की भी आशंका बढ़ जाती है.
सीरम इंस्टीट्यूट ने किया लॉन्च
भारत में इस AstraZeneca की इस वैक्सीन का प्रोडक्शन अदार पूनावाला की कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने किया था. कंपनी ने इस वैक्सीन को कोविशील्ड के नाम से बाजार में लॉन्च किया था. भारत में ये वैक्सीन करोड़ों लोगों को लगाई गई थी.