द्रोण वाटिका रेसिडेंट सोसाइटी के सदस्यों ने छबील लगाकर बुझाई राहगीरों की प्यास, करीब 1500 लोगों को पिलाया शरबत

खबर उत्तराखंड

देहरादून: आज 12 मई 2024 को सहस्त्रधारा रोड स्थित द्रोण वाटिका कॉलोनी द्वारा कॉलोनी के मुख्य द्वार पर छबील लगाकर मीठे शरबत का वितरण किया गया समिति के गणमान्य अध्यक्ष राजदेव सिंह यादव कॉलोनी के सचिव सुधीर  मेहता एवं अन्य पदाधिकारी द्वारा सुबह 10:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक 1500 से अधिक लोगों को मीठे शरबत का वितरण कर पुण्य कार्य किए गए कॉलोनी वासियों ने कॉलोनी के मुख्य द्वार पर टेंट लगाकर सहस्त्र धारा मुख्य मार्ग पर आने जाने वाले सभी पर्यटकों को राहगीरों को बुजुर्गों को बच्चों को विनम्र आग्रह कर रोक कर ठंडे पानी का शरबत पिलाने का कार्य किया। कॉलोनी के गणमान्य सदस्यों द्वारा व्यक्तिगत रूप से सहयोग कर  भयंकर गर्मी मे जनसामान्य को राहत दिलाने के उद्देश्य से द्रोण वाटिका सोसायटी के मुख्य द्वार पर पर छबील लगाकर शर्बत पिलाने का कार्य किया। सोसाइटी द्वारा  मोटरसाईकिल, स्कूटर, ट्रेक्टर, बसो से जा रहे लोगो से  हाथ जोड़कर शरबत पीने की गुजारिश की।

आपको यह भी बताते चले कि द्रोण वाटिका कॉलोनी लगभग एक दशक से अधिक समय से कॉलोनी के हितों के साथ-साथ समाज के हितों पर भी काम करते आई है। स्वास्थ्य जागरूकता संदेश /कोरोना महामारी के समय कॉलोनी के सदस्यों द्वारा धन इकट्ठा कर मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा किया गया था। समय-समय पर कॉलोनी के सौंदरीकरण एवं वृक्षारोपण का वृहद आयोजन के साथ साथ कॉलोनी में साफ सफाई के लिए समय-समय पर विशेष अभियान के साथ-साथ मानव मूल्य के हितों की रक्षा के लिए भी सोसाइटी बढ़-चढ़कर आगे आई है ।स्थानीय स्तर पर भी जनहित के कार्य करने में द्रोण वाटिका सोसायटी को कई बार जन सामान्य के मंच से उसके कार्य को सराहा गया है। इस सोसाइटी में रहना शहर वासियों के लिए एक सम्मान का विषय भी है।।

छबील का इतिहास और नुस्खा

छबील एक मीठा गैर-अल्कोहल ऊर्जावान पंजाबी पेय है जिसे सिख समुदाय 5वें सिख गुरु, गुरु अर्जुन देव जी के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए सदियों से जनता को पेश करता रहा है। वह ही थे, जिन्होंने सिखों को ईश्वर की इच्छा को आशीर्वाद और मिठाई के रूप में स्वीकार करना सिखाया। गुरु अर्जुन देव जी को तब दंडित किया गया जब उन्होंने मुगलों के आदेशों का पालन करने से इनकार कर दिया। जब वह जल रहे थे, तो उसे लाल-गर्म प्लेट पर बैठाकर उसके ऊपर गर्म रेत डाली गई। सिख समुदाय गर्मी की दोपहर में जरूरतमंदों को छबील भेंट करके गुरु की शहादत का सम्मान करते है।

छबील ​एक स्वास्थ्यवर्धक पेय

मई जून की चिलचिलाती गर्मी में, छबील का एक गिलास निश्चित रूप से एक आशीर्वाद के रूप में कार्य करता है जब यह आपको काम पर जाते समय अचानक पेय दिया जाता है। यह शीतलक न केवल ठंडा करता है, बल्कि ऊर्जा भी देता है। छबील अपने ठंडे गुणों के कारण शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करता है और पाचन तंत्र का भी ख्याल रखता है। यह पेय यूरिक एसिड को कम करने में मदद करता है और सूजन का इलाज है। कई लोग इस छबील को अपनी पानी की बोतलों में भी भरकर अपने साथ ले जाते हैं।

कैसे बनती है छबील

छबील बनाना बहुत आसान है. आपके पास बस दूध, ठंडा पानी, गुलाब का शरबत और सबसे महत्वपूर्ण – प्यार से भरा एक बड़ा, देखभाल करने वाला दिल होना चाहिए।

उत्तम छबील बनाने की कुंजी 80% प्रतिशत पानी और 20% दूध मिलाना है। यह शीतलक ठंडा और पानीदार होना चाहिए। रेसिपी में रूह अफ़ज़ा का उपयोग किया जाता है क्योंकि यह बाज़ार में उपलब्ध सबसे आम गुलाब सिरप है।

ये रहे मौजूद

छबील पिलाने के इस कार्यक्रम में समिति के अध्यक्ष सचिव एवं पूरी कार्यकारिणी ने सक्रियता से भाग लिया इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से कॉलोनी के अध्यक्ष राजदेव सिंह यादव सचिव सुधीर मेहता के साथ-साथ मुकेश वर्मा अमित अग्रवाल ,अखिलेश गुप्ता ,मनीष अरोड़ा ,चेतन रावत ,रविंद्र कुमार जोशी, डॉक्टर दिनेश जोशी, राजेंद्र काला,एसपी खाती, डॉक्टर राकेश रंजन, ध्रुव अरोड़ा, दीपिका मेहता, रेनू नागर, दीप्ति अरोड़ा, आशी , प्रियंका सिंह राखी अग्रवाल, ध्रुव अरोरा युवराज अरोड़ा अभिनव शाह सहित कॉलोनी के सैकड़ो सदस्य उपस्थित रहे

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