UP में अब मैरिज सर्टिफिकेट बनवाते समय देना होगा दहेज का विवरण, सरकार ने जारी किए आदेश

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विवाह प्रमाण पत्र बनवाते समय अब वर-वधु को दहेज का भी विवरण देना होगा. इस संबंध में शासन ने निबंधन विभाग को निर्देश जारी किया है.जानकारी के मुताबिक, विवाह प्रमाण पत्र बनाने के लिए हजारों की तादाद में आवेदन किए जाते हैं. नियमों के मुताबिक, वर-वधु पक्ष की ओर से विवाह का कार्ड ,आधार कार्ड, हाई स्कूल की मार्कशीट के साथ दो गवाहों के दस्तावेज भी लगाए जाते हैं .

अब उनके साथ में दहेज के शपथ पत्र को भी अनिवार्य कर दिया गया है और इसके लिए कार्यालय में नोटिस भी लगा दिया गया है. इस शपथ पत्र में शादी के लिए दिए गए दहेज का ब्याौरा देना होगा. अधिकारी दीपक श्रीवास्तव के मुताबिक, शासन की ओर से विवाह प्राप्त के लिए शपथ पत्र अनिवार्य किया गया है और सभी को यह निर्देशित कर दिया गया है कि डॉक्यूमेंट के साथ दहेज का प्रमाण पत्र भी दें.

कहां काम आता है शादी का सर्टिफिकेट?

– शादी के बाद अगर आप ज्वाकइंट बैंक अकाउंट खुलवाना चाहते हैं, तो मैरिज सर्टिफिकेट लगाना होगा.

– पासपोर्ट के लिए अप्लावई करते समय भी शादी के प्रमाण पत्र की जरूरत पड़ेगी.

– अगर आप शादी के बाद बीमा कराना चाहते हैं, तो अपना मैरिज सर्टिफिकेट लगाना जरूरी होगा.

– अगर दंपति ट्रैवल वीज़ा या किसी देश में स्था ई निवास के लिए आवेदन करना चाहते हैं, तो मैरिज सर्टिफिकेट लगाना होगा.

– अगर महिला शादी के बाद सरनेम नहीं बदलना चाहती, तो ऐसे में मैरिज सर्टिफिकेट के बगैर सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिलेगा.

– शादी के बाद किसी नेशनल बैंक से लोन लेने के लिए शादी का सर्टिफिकेट जरूरी होता है.

– किसी भी प्रकार के कानूनी मामले में मैरिज सर्टिफिकेट जरूरी होगा. जैसे अगर दंपति में से कोई एक शादी के बाद धोखा देकर भाग जाता है, तो शिकायत दर्ज कराने के लिए शादी का सर्टिफिकेट काम आएगा.

– तलाक की अर्जी लगाने के लिए भी मैरिज सर्टिफिकेट काम आएगा. सिंगल मदर या तलाकशुदा महिलाओं को नौकरी में रिज़र्वेशन लेने के लिए तलाक का डॉक्यूोमेंट दिखाना होता है.

शादी को कई साल बीत गए हैं तो क्या रजिस्ट्रेोशन होगा?

सामान्य  तौर पर, दंपति को शादी के 30 दिन के भीतर मैरिज रजिस्ट्रेाशन के लिए आवेदन करना होता है. हालांकि, दंपति अतिरिक्ति फीस के साथ 5 वर्ष तक मैरिज रजिस्ट्रेोशन के लिए आवेदन कर सकते हैं. लेकिन अगर शादी को 5 वर्ष से अधिक का समय बीच चुका है तो मैरिज रजिस्ट्रेबशन की छूट संबंधित जिला रजिस्ट्रार ही दे सकता है.

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