नई दिल्ली: उत्तराखंड में इन दिनों नैनीताल हाईकोर्ट की शिफ्टिंग को लेकर गहमा-गहमी चल रही है. नैनीताल हाईकोर्ट द्वारा इसके लिए वोटिंग कराई जा रही है. इस मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय की अवकाशकालीन पीठ के न्यायाधीश न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा व न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाते हुए विपक्षियों को नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से भी जवाब मांगा है. आज हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की SLP पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता पीवीएस सुरेश बहस ने की. हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष डीसीएस रावत ने इसकी पुष्टि की है. ये मामला अब छुट्टियों के बाद यानी 8 जुलाई के बाद लिस्टेट है.
अपना पक्ष रखने के लिए देहरादून बार एसोसिएशन ने केविएट भी दाखिल किया था. सभी पक्षों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी है. हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता पीबी सुरेश, विपिन नैर, बी विनोद कन्ना, एडवोकेट ऑन रिकार्ड, डॉक्टर कार्तिकेय हरि गुप्ता, पल्लवी बहुगुणा, हाई कोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष डीसीएस रावत, सचिव सौरभ अधिकारी, बीड़ी पांडे, कार्तिक जयशंकर, रफत मुंतजिर अली, इरुम जेबा, विकास गुगलानी, योगेश पचोलिया, शगूफा खान, डॉक्टर सीएस जोशी और मीनाक्षी जोशी ने पक्ष रखा. वहीं, देहरादून बार एसोसिएशन की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा व सुप्रिया जुनेजा ने अपना अपना पक्ष रखा. देहरादून बार एसोसिएशन की तरफ से कहा गया कि नैनीताल में उच्च न्यायालय के विस्तार के लिए जगह कम है. उच्च न्यायालय में 70 प्रतिशत केस गढ़वाल डिवीजन के हैं. वादकारियों व अधिवक्ताओं के लिए प्रयाप्त सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. इसलिए इसे शिफ्ट किया जाए.
क्या था हाईकोर्ट का आदेश
इससे पहले बीती 8 मई को उत्तराखंड उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने एक आदेश पारित किया था, जिसमें हाईकोर्ट को नैनीताल से किसी अन्य स्थान पर शिफ्ट करना आवश्यक बताते हुए सरकार को निर्देश दिए गए थे कि एक माह के अंदर हाईकोर्ट के लिए स्थान का चुनाव करें.