देहरादूनः नैनीताल-उधमसिंह नगर लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा मतों से जीतने वाले अजय भट्ट को इस बार मोदी कैबिनेट का हिस्सा बनने का मौका नहीं दिया गया है. उनकी जगह नैनीताल लोकसभा सीट से ही लगती हुई अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ लोकसभा सीट से जीतने वाले अजय टम्टा को कैबिनेट में लिया जा रहा है. माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री की टीम में अजय टम्टा को लिए जाने के पीछे तमाम समीकरणों को साधने की कोशिश की गई है. इसीलिए पांच लोकसभा सीटों से जीते सांसदों में से अजय टम्टा को चुना गया है.
बताया जा रहा है कि इस बार भी अजय भट्ट सबसे ज्यादा मतों से जीतकर मोदी कैबिनेट में शामिल होने की उम्मीद लगा रहे थे. इससे पहले उन्हें पर्यटन एवं रक्षा राज्य मंत्री की अहम जिम्मेदारी दी गई थी. लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद तीसरी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बन रही टीम में उन्हें मौका नहीं दिया गया है. बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद तमाम कैबिनेट मंत्री रहे सांसदों की परफॉर्मेंस का आकलन किया था. और इसके बाद बेहतर परफॉर्मेंस देने वाले सांसदों को ही इस बार तीसरे कार्यकाल में रिपीट किया गया है. हालांकि, रिपीट होने के मामले में अजय भट्ट पीछे रह गए और उन्हें इस बार तवज्जो नहीं मिल पाई.
जातिगत समीकरणों को साधने की कोशिश: मोदी कैबिनेट को लेकर उत्तराखंड के लिहाज से जातिगत समीकरणों को साधने की कोशिश की गई है. माना जा रहा है कि इस बार उत्तराखंड में अनुसूचित जाति के सांसद को प्राथमिकता देकर प्रदेश में जातिगत बैलेंस करने के प्रयास किए गए. दरअसल, उत्तराखंड में मुख्यमंत्री के तौर पर पुष्कर सिंह धामी सत्ता में हैं. इस तरह सरकार में एक ठाकुर नेता को कमान सौंपी गई है. उधर भारतीय जनता पार्टी में महेंद्र भट्ट के चेहरे को पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के रूप में ब्राह्मण चेहरे को तवज्जो दी गई है. जबकि राज्यसभा के लिए कल्पना सैनी के जरिए ओबीसी समाज को भी प्रतिनिधित्व दिया गया है. ऐसे में जातिगत समीकरणों को बैलेंस करने के लिए अब अनुसूचित जाति समाज से आने वाले अजय टम्टा को मौका दिया गया है.
इस तरह अनिल बलूनी और त्रिवेंद्र सिंह रावत को लेकर लगाए जा रहे सभी कयास गलत साबित हुए हैं. हालांकि, अजय टम्टा पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में काम कर चुके हैं. अजय टम्टा को पहले कार्यकाल में मोदी कैबिनेट के भीतर राज्य मंत्री के तौर पर जिम्मेदारी दी गई थी.