देहरादून: जिले में एडीएम रहे रामजी शरण शर्मा का निलंबन हुए कई दिन बीत चुके हैं. लेकिन अब तक अधिकतर लोगों को यह पता ही नहीं चल पाया है कि आखिरकार ऐसा क्या हुआ कि वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी को भारत निर्वाचन आयोग की तरफ से निलंबित करने के आदेश देने पड़े.
मजे की बात यह है कि पीसीएस संगठन के कई पदाधिकारी सोमवार को अपर मुख्य सचिव कार्मिक आनंद वर्धन के कार्यालय में भी पहुंच गए. अपने पीसीएस साथी के हक में बात रखने लगे. हालांकि इस दौरान चौंकाने वाली बात ये थी कि इनमें से कई अधिकारियों को खुद यह पता नहीं था कि आखिरकार रामजी शरण शर्मा के मामले हुआ क्या था. बहरहाल इस पूरी जानकारी के बिना ही पीसीएस संगठन के सदस्यों का एक दल अपर मुख्य सचिव के यहां पहुंचा और उन्होंने रामजी शरण शर्मा के पक्ष में अपनी बात रख दी.
पीसीएस संगठन के 8 से 10 पीसीएस अधिकारी अपर मुख्य सचिव कार्मिक से मिलने वालों में शामिल रहे. इस दौरान पीसीएस अधिकारियों ने यह मांग की कि रामजी शरण शर्मा का निलंबन वापस लिया जाए. उन्होंने कहा कि इस वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी के खिलाफ जरूरत से ज्यादा कड़ी कार्रवाई की गई है. ऐसे में इनका निलंबन वापस होना चाहिए.
वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी रामजी शरण शर्मा का निलंबन होने के बाद अब उन्हें आरोप पत्र भी सौंप दिया गया है. जल्द ही प्रकरण में उनके खिलाफ जांच भी शुरू की जाएगी. रामजी शरण शर्मा पर निर्वाचन ड्यूटी में लापरवाही बरतने और अपने उच्चस्थ अधिकारी के साथ खराब व्यवहार करने समेत उनके आदेशों को न मानने का भी आरोप है.
वैसे तो पीसीएस अधिकारियों ने अपर मुख्य सचिव आनंद वर्धन के सामने अपनी बातों को रखा, क्योंकि इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया के आदेश पर वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी रामजी शरण शर्मा का निलंबन हुआ है. ऐसे में फिलहाल इस स्तर पर उनके निलंबन को वापस नहीं लिया जा सकता है. मामले में जल्द ही जांच अधिकारी नामित कर दिया जाएगा. इसके बाद प्रकरण पर जांच के बाद यह रिपोर्ट भारत निर्वाचन आयोग को भी भेजी जाएगी.
पीसीएस एसोसिएशन के गिरधारी सिंह रावत से ईटीवी भारत ने इस मामले पर बात की तो उन्होंने बताया कि अपर मुख्य सचिव आनंद वर्धन से निलंबित अधिकारी रामजी शरण शर्मा के संदर्भ में बातचीत हुई थी. उनसे निलंबन वापस किए जाने को लेकर मांग भी रखी गई थी.