देहरादून: राजधानी में काठबंगला सहित तमाम मलिन बस्तियों में जहां एक तरफ सरकार द्वारा अतिक्रमण हटाया जा रहा है, तो वहीं सरकार के ही विधायक इस कार्रवाई पर सवाल खड़े कर रहे हैं. भाजपा के धर्मपुर विधानसभा सीट से विधायक विनोद चमोली अतिक्रमण के लिए अफसरों को दोषी ठहरा रहे हैं.
उत्तराखंड में आज-कल में मानसून दस्तक देने वाला है. वहीं इसी बीच उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन करते हुए उत्तराखंड सरकार के निर्देश पर देहरादून नगर निगम, एमडीए और मसूरी नगर पालिका द्वारा 400 से ज्यादा अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई जारी है. एक तरफ मलिन बस्तियों पर मानसून की मार तो वहीं दूसरी तरफ सरकार की यह कार्रवाई गरीब झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले लोगों के लिए दोहरी आफत लेकर आया है. सोमवार को काठ बंगला मलिन बस्ती में शुरू हुई अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के बाद परेशान हो रहे लोगों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुईं. निश्चित तौर से इससे स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर भी दबाव है. यहां से जीत कर आए विधायकों का एक बड़ा वोट बैंक भी है. ऐसे में सरकार की इस कार्रवाई से जहां ज्यादातर लोग मौन धारण किए हुए हैं तो वहीं सरकार के ही कुछ विधायक हैं जो कि इस कार्रवाई को लेकर अपनी तीखी प्रतिक्रिया जाहिर कर रहे हैं.
दरअसल सरकार के एक आदेश के अनुसार 11 मार्च 2016 के बाद देहरादून में हुए अतिक्रमण पर चल रही नगर निगम और एमडीडीए की कार्रवाई पर भाजपा विधायक और वरिष्ठ नेता विनोद चमोली ने अपनी प्रक्रिया जाहिर करते हुए सरकार को सुझाव दिए हैं. उन्होंने कहा कि जो अतिक्रमण हुआ उसमें हाईकोर्ट को यह भी दिशा निर्देश देने चाहिए कि उन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए जिनके संरक्षण में भूमि कब्जा हुई है. भाजपा के धर्मपुर विधानसभा सीट से विधायक विनोद चमोली ने भले ही अतिक्रमण को गलत कर दिया है, लेकिन इसके पीछे सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत का आरोप भी लगाया है. यह सीधे तौर पर सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है.
वहीं दूसरी तरफ जब भाजपा के विधायक द्वारा इस तरह की तीखी प्रतिक्रिया आने के बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट से इस बारे में सवाल किया गया. महेंद्र भट्ट ने कहा कि सरकार सभी नियमों के तहत अपनी कार्रवाई कर रही है. किसी के साथ भी अन्याय नहीं होगा. यदि किसी ने सरकारी भूमि पर अतिक्रमण किया है तो उसके खिलाफ भी न्याय संगत कार्रवाई होगी. उनसे जब पूछा गया कि आपके अपने ही विधायक द्वारा सरकार की इस कार्रवाई पर खड़े किए जा रहे हैं तो उन्होंने इस पर चुप्पी साध ली. मतलब साफ है कि सरकार भले ही न्यायालय के आदेशों का पालन कर रही है और अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई कर रही है, उस पर विपक्ष कुछ बोले या ना बोले, लेकिन सरकार की मुश्किलें उनके अपने ही विधायक बढ़ा रहे हैं.