देहरादून: राज्य की 2123.6 मेगावाट की 21 जल विद्युत परियोजना पर दिल्ली में हुई बैठक में जल शक्ति मंत्रालय ने फिर अड़ंगा लगा दिया है। अब तय हुआ है कि इस मामले पर प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रमुख सचिव पीएमओ की अध्यक्षता में बैठक कर निर्णय लिया जाएगा। उधर, पिछले माह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी पीएम मोदी को इस बाबत पत्र लिखा है।
दिल्ली में हुई बैठक में केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय, जल शक्ति मंत्रालय और वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव शामिल हुए। उत्तराखंड से बैठक में सचिव ऊर्जा आर मीनाक्षी सुंदरम और यूजेवीएनएल के एमडी डॉ. संदीप सिंघल शामिल शामिल हुए। बैठक में प्रदेश में प्रस्तावित 21 जल विद्युत परियोजनाओं पर चर्चा की गई।
इनमें से 11 परियोजनाएं तो गैर विवादित हैं जबकि 10 परियोजनाएं ऐसी हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ समिति ने हरी झंडी दी हुई है। बैठक में जल शक्ति मंत्रालय के अफसरों का कहना था कि 2019 में पीएमओ में हुई बैठक में तय हो गया था कि ये परियोजनाएं नहीं बन सकती।
पीएमओ में होगी बैठक
इस पर राज्य सरकार ने बताया कि मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित विशेषज्ञ समिति की अंतिम रिपोर्ट 2020 में आई है। इस रिपोर्ट में इन परियोजनाओं को हरी झंडी दे दी गई है। बावजूद इसके बात नहीं बन पाई। तय हुआ कि अब इस मामले में पीएमओ में ही बैठक होगी।
जून माह में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस संबंध में प्रधानमंत्री मोदी को पत्र भेजा था। इसमें उन्होंने बताया था कि जल शक्ति मंत्रालय की असहमति होने पर इन परियोजनाओं का विकास संभव न होगा। मामले में सुप्रीम कोर्ट में अंतिम सुनवाई की तिथि सात अगस्त तय है। उन्होंने पत्र में कहा है कि पिछले साल सात जुलाई को प्रमुख सचिव पीएम कार्यालय की अध्यक्षता में हुई बैठक में चरणबद्ध तरीके से इन परियोजनाओं को अनुमति का अनुरोध किया गया था।
बैठक के निर्णय के संबंध में अब तक कोई दिशा निर्देश जारी नहीं हुए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की ओर से समीक्षा के लिए इन परियोजनाओं पर विशेषज्ञ समिति की अंतिम रिपोर्ट पेश करने और उसी हिसाब से प्रतिशपथ पत्र दाखिल करने की भी अपेक्षा की। मांग की थी कि इसकी समीक्षा की जाए। अभी पीएमओ में बैठक की तिथि तय नहीं हुई है।