देहरादूनः साल 2021 में तत्कालिन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के इस्तीफा के बाद 4 जुलाई 2021 को पुष्कर सिंह धामी को नेता सदन चुना गया था. मुख्यमंत्री बनते ही पुष्कर सिंह धामी ने त्रिवेंद्र सरकार के देवस्थान प्रबंधन बोर्ड को समाप्त किया था. क्योंकि उस दौरान चारधाम के तीर्थपुरोहित, हक हकूकधारी समेत पंडा समाज, चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का विरोध कर थे, जिसको देखते हुए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस बोर्ड को भंग कर दिया था. इसके अलावा साल 2021 में विधानसभा बजट सत्र के दौरान तात्कालिन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कमिश्नरी बनाने की घोषणा को भी सीएम त्रिवेंद्र वापस ले लिया था.
राज्य गठन से चला आ रहा मिथक टूटा
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कार्यकाल के दौरान हुए विधानसभा चुनाव 2022 में सबसे बड़ा मिथक टूटा. क्योंकि, उत्तराखंड राज्य में एक बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस के सत्ता पर काबिज होने की परिपाटी राज्य गठन से ही चली आ रही थी. लेकिन पहली बार साल 2022 में भाजपा दोबारा पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुई. हालांकि, इतना जरूर रहा कि साल 2017 के दौरान भाजपा को मिले परिणामों के मुकाबले साल 2022 में उतनी सीटें हासिल करने में भाजपा कामयाब नहीं हो पाई. इसके बाद साल 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में पांचों सीटों पर हैट्रिक लगाते हुए भाजपा ने पांचों लोकसभा सीटों पर तीसरी बार जीत दर्ज की.
आगामी चुनाव सरकार के लिए बड़ी चुनौती
साल 2022 विधानसभा चुनाव और साल 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिली बड़ी जीत के बाद अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए आगामी प्रदेश की दो विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव को जीतने की बड़ी चुनौती है. इसके साथ ही आगामी नगर निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत के चुनाव भी होने हैं. ऐसे में धामी सरकार इन चुनाव में भी विधानसभा और लोकसभा चुनाव की तरह कमाल दिखा पाएगी या नहीं यह एक बड़ा सवाल है. लेकिन इन चुनाव में भी बेहतर प्रदर्शन करना, सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है.
चारधाम, आपदा और कांवड़ यात्रा चुनौती
उत्तराखंड चारधाम की यात्रा चल रही है. हालांकि, मॉनसून सीजन के चलते धामों में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बेहद कम हो गई है. लेकिन इन मॉनसून सीजन के दौरान भी चारधाम की यात्रा सही ढंग से संचालित हो और सकुशल श्रद्धालु दर्शन कर अपने गंतव्य को वापस लौट जाए, यह सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है. मॉनसून सीजन के दौरान प्रदेश की स्थितियां बद से बदतर हो जाती है. क्योंकि अत्यधिक भारी बारिश के चलते प्रदेश की तमाम स्थानों पर आपदा जैसे हालात बन जाते हैं और इन्हीं आपदाओं के चलते काफी जान- माल का नुकसान होता है. इस आपदा सीजन में जान-माल के नुकसान को कम करने के लिए क्विक रिस्पांस और पुनर्वानुमान की बड़ी चुनौती है. यही नहीं, इसी महीने कांवड़ की यात्रा भी शुरू होने जा रही है. ऐसे में चारधाम यात्रा और आपदा सीजन के बीच कांवड़ यात्रा का बेहतर प्रबंधन सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है.
UCC विधेयक पास करने वाली पहली विधानसभा
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड सरकार देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जिसने यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने की दिशा में अंतिम चरण में काम कर रही है. दरअसल, साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता पर काबिज हुए सीएम धामी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने का निर्णय लिया था. जिसके लिए पांच सदस्य विशेषज्ञ समिति ने यूनिफॉर्म सिविल कोड का मसौदा तैयार किया. इसके बाद सारी प्रक्रियाओं को पूरा करते हुए फिर राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए राष्ट्रपति भवन भेजा गया. जिस पर मंजूरी मिलने के बाद राज्य सरकार ने गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया था. लेकिन अभी तक राज्य में उच्च लागू नहीं हो पाई है कि इसे लागू करने के लिए नियम तैयार करने की जरूरत थी. लिहाजा, यूसीसी के नियम और पोर्टल को तैयार करने के समितियां का गठन किया गया. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि अक्टूबर महीने तक उत्तराखंड राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो जाएगा.
तमाम कानूनों को लेकर चर्चाओं में आए सीएम धामी
राज्य की कमान संभालने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने इन तीन सालों के कार्यकाल के दौरान कई बड़े निर्णय के तहत कई ऐसे कानूनों को धरातल पर उतारा जो एक नजीर बन गए हैं. इन बड़े कानूनों में नकल विरोधी कानून, धर्मांतरण कानून, दंगारोधी कानून, लैंड जिहाद के खिलाफ कार्रवाई, भ्रष्टाचार रोकने के लिए 1064 बनाया गया, हाउस ऑफ हिमालयन ब्रांड तैयार किया. प्रदेश की महिलाओं को 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण का लाभ देने का प्रावधान किया गया. इसके साथ ही तमाम अन्य योजनाएं जैसे कि वात्सल्य योजना, लखपति दीदी योजना, नई खेल नीति, घर-घर प्रमाण पत्र पहुंचने की व्यवस्था, सरकारी अस्पतालों में 207 निशुल्क जांच की सुविधा के साथ ही तमाम अन्य महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए. इन्हीं निर्णयों के चलते सीएम धामी चर्चाओं में आए. इसके साथ ही राज्य आंदोलनकारी को 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण का लाभ देने का प्रावधान भी किया गया.
चारधाम यात्रा और वनाग्नि कांड पर झेलनी पड़ी फजीहत
उत्तराखंड चारधाम यात्रा शुरू होने के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालू धामों के दर्शन करने पहुंचे थे. जिसके चलते धामों में की गई व्यवस्थाएं चरमरा गई थी. अत्यधिक भीड़ होने के कारण शुरुआती दौर में श्रद्धालुओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. चारधाम यात्रा के दौरान पर्याप्त व्यवस्था न होने के चलते सरकार को फजीहत झेलनी पड़ी थी. इसके बाद सीएम धामी ने खुद यात्रा की कमान संभाली और वीवीआईपी दर्शन पर रोक लगाने के साथ ही श्रद्धालुओं को संख्या सीमित कर दी थी. इसके अलावा, हालही में हुए वनाग्नि कांड के दौरान वन विभाग के कई कर्मचारियों की मौत हो गई थी. जिस दौरान भी सीएम धामी को काफी फजीहत झेलनी पड़ी. हालांकि, सरकार इस घटना पर बड़ा एक्शन लेते हुए कई अधिकारियों पर कार्रवाई की.
विधानसभा भर्ती घोटाले में हुई फजीहत
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कार्यकाल के दौरान जुलाई 2022 में विधानसभा भर्ती घोटाला का मामला सामने आया था. साथ ही अगस्त 2022 में विधानसभा में हुई भर्तियों की सूची वायरल हुई. इसके बाद सीएम धामी के निर्देश पर मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय विशेषज्ञ जांच समिति का गठन किया गया. फिर रिपोर्ट की सिफारिश के आधार पर साल 2016 में की गई 150 तदर्थ नियुक्तियां, साल 2020 में हुईं 6 तदर्थ नियुक्तियां, साल 2021 में हुईं 72 तदर्थ नियुक्तियों के साथ ही उपनल के माध्यम से हुईं 22 नियुक्तियां रद्द की गई थी.
वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह ने तीन साल का कार्यकाल पूरा होने पर प्रदेश की जनता, पीएम मोदी और भाजपा के आलाकमान का धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्हें देवभूमि उत्तराखंड में मुख्य सेवक के रूप में काम करने का अवसर मिला. इन तीन सालों में ऐतिहासिक निर्णय लिए गए. साथ ही कहा कि राज्य गठन के बाद पहली बार किसी पार्टी पर जनता ने लगातार दूसरी बार भरोसा जताया. जिसके चलते पार्टी के मूल सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए कामों को आगे बढ़ाया है. इन तीन सालों में 14 हजार 800 पदों पर भर्तियां की गई. स्वरोजगार के क्षेत्र में काम किया. महिला उत्थान के लिए काम किया. इसके साथ ही इन तीन सालों में तमाम महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं.