देहरादून: उत्तराखंड में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराए जाने को लेकर लगातार प्रयास कर रही है. बावजूद इसके अभी भी खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति बदतर है. यही वजह है कि खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा कर प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं को पहुंचाने के लिए लगातार जोर दे रहे हैं. इसी कड़ी में सीएम धामी ने प्रदेश में मौजूद हीमोफीलिया मरीजों की स्थिति और उनको मिलने वाले स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर स्वास्थ्य सचिव के साथ बैठक की.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार को उत्तराखंड में मौजूद सभी हीमोफीलिया से ग्रसित मरीजों को हीमोफीलिया फैक्टर और दवाइयों की कोई कमी न होने देने के निर्देश दिए हैं. साथ ही इस बात पर ध्यान देने को कहा कि इन सभी मरीजों को सरकारी सुविधाओं का लाभ मिले.
उत्तराखंड में हीमोफीलिया के 273 मरीज रजिस्टर्ड
वहीं, स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार ने बताया कि उत्तराखंड में 273 हीमोफीलिया से ग्रसित मरीज रजिस्टर्ड हैं. जिनके इलाज के लिए राज्य सरकार की ओर से जरूरी हीमोफीलिया फैक्टर (सात, आठ और नौ) निःशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है.
स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार ने कहा कि पहले हीमोफीलिया से ग्रसित रोगियों को फैक्टर के लिए राजकीय दून मेडिकल कॉलेज देहरादून, एसएसजे बेस हल्द्वानी और संयुक्त अस्पताल कोटद्वार जाना पड़ता था, लेकिन बीते 5 सालों से प्रदेश के सभी हीमोफीलिया से ग्रसित मरीजों को इलाज के लिए हीमोफीलिया फैक्टर उनके नजदीक मौजूद चिकित्सा इकाई पर ही उपलब्ध कराए जा रहे हैं.
उन्होंने बताया कि वर्तमान में राज्य में फैक्टर 7 पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. स्वास्थ्य महानिदेशालय की ओर से जल्द ही इन सभी अस्पतालों को फैक्टर 8 और फैक्टर 9 भी उपलब्ध करा दिए जाएंगें. स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि स्वास्थ्य महानिदेशक को निर्देश दिए गए हैं कि वो व्यक्तिगत रूप में हर महीने हीमोफीलिया से ग्रसित मरीजों को मिल रही सुविधाओं की समीक्षा करें.
साथ ही सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारी अपने जिलों के जिला नोडल अधिकारियों को इस बाबत निर्देश दें कि वो हर महीने हीमोफीलिया मरीजों को मिल रही सुविधाओं की जानकारी लें. साथ ही इस बीमारी को लेकर सरकार की ओर से दी जा रही निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारी जनता को उपलब्ध कराएं.
क्या है हीमोफीलिया बीमारी?
स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार ने बताया कि हीमोफीलिया एक वंशानुगत रक्त विकार है. जिसमें मरीज के खून का थक्का पूरी तरह नहीं बनता है. क्योंकि, हीमोफीलिया पीड़ित के खून में थक्का जमाने वाले आवश्यक प्रोटीन (फैक्टर) की कमी होती है और चोट लगने पर खून बहने का सिलसिला जारी रहता है. यह रोग आमतौर पर पुरुषों को प्रभावित करता है. महिलाओं में इसके लक्षण अक्सर दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन महिलाएं रोग की वाहक होती हैं. कुछ केस में ये रोग महिलाओं को प्रभावित करता है.