देहरादूनः उत्तराखंड में मौसम विभाग के भारी बारिश के अलर्ट के बाद केदारनाथ यात्रा सस्पेंड कर दी गई है. केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग पर कई जगह भूस्खलन होने से यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए केदारनाथ यात्रा फिलहाल रोक दी गई है. उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार का कहना है कि यात्रा मार्ग पर जब तक मलबा और लैंडस्लाइड की घटना न के बराबर नहीं हो जाती तब तक यात्रा को रोका जाएगा.
टिहरी और रुद्रप्रयाग जिलों में भारी बारिश के कारण उत्पन्न स्थिति पर डीजीपी अभिनव कुमार का कहना है कि, ‘हमें राज्य में 48 घंटों तक भारी बारिश की चेतावनी मिली थी. इस चेतावनी के मद्देनजर पुलिस, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन को अलर्ट पर रखा गया है. बुधवार रात से बारिश शुरू होने के बाद, हमें विभिन्न क्षेत्रों से भूस्खलन, चट्टानें गिरने आदि की खबरें मिलनी शुरू हो गईं. रात में ही बचाव और राहत के लिए कई स्थानों पर टीमें भेजी गईं. सभी राज्य और केंद्रीय एजेंसियां बचाव और राहत में लगी हुई हैं.
वहीं, सीएम ने टिहरी और रुद्रप्रयाग जिलों का दौरा किया और प्रभावितों से मुलाकात की. अब तक, विभिन्न जिलों में 11 लोगों की मौत हो गई है और 8 गंभीर रूप से घायल हैं. बुधवार सुबह तक केदारनाथ में करीब 1000 लोग फंसे हुए थे और 800 लोग वहां ट्रेक रूट पर थे. उन्हें बचाने का काम जारी है. मौसम की चेतावनी के कारण हमने गुरुवार और शुक्रवार के लिए यात्रा स्थगित कर दी है. केदारनाथ ट्रेक रूट पर तीर्थयात्रियों की आवाजाही को प्रतिबंधित कर दिया है. राज्य सरकार ने भारतीय वायुसेना और निजी क्षेत्र की मदद ली है. केदारनाथ में फंसे लोगों को बचाने के लिए हेलीकॉप्टर भेजे गए हैं. एनडीआरएफ की 12 टीमें और एसडीआरएफ की 60 टीमें बचाव कार्य में लगी हैं.
यात्रियों का रेस्क्यू
रुद्रप्रयाग जिले में एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, डीडीआरएफ, जिला पुलिस और जिला प्रशासन के बेहतर समन्वय से केदारनाथ यात्रा मार्ग में फंसे यात्रियों को सुरक्षित निकाला जा रहा है. केदारनाथ यात्रा मार्ग पर भीमबली, रामबाड़ा, लिंचोली में फंसे करीब 700 यात्रियों को एयरलिफ्ट किया गया है. इसके अलावा पैदल यात्रा मार्ग में सोनप्रयाग और भीमबली के बीच फंसे 3300 यात्रियों को वैकल्पिक मार्ग बनाकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है. केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग पर कई जगह भूस्खलन होने से यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए केदारनाथ यात्रा फिलहाल रोक दी गई है. जल्द ही वायुसेना के MI-17 और चिनूक हेलीकॉप्टर की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जाएगा.
रेस्क्यू होने पर यात्रियों ने जताया प्रशासन का आभार
हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू हुए यात्रियों ने बताया की बुधवार रात वह काफी डर गए थे. लगातार बारिश हो रही थी और रुकने का नाम नहीं ले रही थी और लगातार आसमान में बिजली भी चमक रही थी. हम रात भर सो नहीं पाए. भीमबली में घटना घटी, लेकिन असर केदारनाथ धाम तक हो रहा था. सुबह के समय मौसम साफ होने पर कुछ राहत की सांस ली. जब प्रशासन ने सभी यात्रियों को हेलीपैड पर एकत्रित करवाया और रेस्क्यू की बात की तो सांस आई. क्योंकि पैदल मार्ग पर भी पूर्ण रूप से आवाजाही बंद हो गई थी. हेलीकॉप्टर में बैठने के लिए यात्री आपस में बहस कर रहे थे, लेकिन प्रशासन ने बारी-बारी से सभी को हेली से रेस्क्यू किया. यात्रियों ने बताया कF बुधवार की रात कभी न भूलने वाली रात थी. उम्मीद भी नहीं थी की वह बच पाएंगे. यात्रियों ने कहा कि रेस्क्यू होने के बाद प्रशासन ने खाने की भी पूरी व्यवस्था की थी.
श्रद्धालुओं के लिए देवदूत बने डीएम सौरभ गहरवार
रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी डॉ. सौरभ गहरवार पैदल मार्ग पर फंसे यात्रियों के लिए देवदूत बनकर सामने आए. रात के समय जिलाधिकारी यात्रा कंट्रोल रूम से हर गतिविधि पर नजर बनाए हुए थे और रेस्क्यू टीमों को अलर्ट कर दिया था. वहीं सुबह होते ही डीएम पहले सोनप्रयाग और फिर लिनचोली और भीमबली पहुंच गए. सबसे पहले डीएम ने जगह-जगह रात को सुरक्षित स्थानों पर रोके गए यात्रियों को लिनचोली हेलीपैड पर एकत्रित किया और फिर तीन हेलीकॉप्टरों को रेस्क्यू में लगा दिया.
खुद डीएम कभी शेरशी से तो कभी लिनचोली में रेस्क्यू अभियान में जुटे रहे. डीएम ने अलग से रेस्क्यू टीम भी पैदल मार्ग के अन्य जगह भेज दी. जबकि कुछ टीमों को भीमबली से नीचे फंसे यात्रियों के रेस्क्यू में लगा दिया. डीएम ने नदी किनारे और पैदल रास्तों पर भी जवानों को भेजा, जिससे पता चल सके कि कोई कही फंसा हुआ तो नहीं है. डीएम की सतर्कता से एक बार फिर हजारों लोगों की जान बच पाई.
पीएमओ से मिली चिनूक की मदद
केदारनाथ रेस्क्यू अभियान के लिए पीएमओ ने भी हाथ बढ़ाया है. रेस्क्यू के लिए एयर फोस का चिनूक केदारनाथ धाम के लिए रवाना हो गया है. इसके अलावा तीन टैंकर एटीएफ की मदद भी भेजी गई है. डीएम सौरभ गहरवार ने केंद्र सरकार से मिली मदद पर पीएम नरेंद्र मोदी का आभार जताया है.