लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने पलायन पर गीत गाया तो भावुक हुए लोग, ‘कल फिर जब सुबह होगी’ पुस्तक का भी विमोचन

खबर उत्तराखंड

देहरादून: उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोकगायक ‘गढ़रत्न’ नरेंद्र सिंह नेगी के जन्मदिन पर एकाग्र पुस्तक ‘कल फिर जब सुबह होगी’ का विमोचन किया गया. यह किताब नरेंद्र सिंह नेगी की 101 गानों पर आधारित है. जिसे वरिष्ठ साहित्यकार ललित मोहन रयाल की ओर से तैयार की गई है. जिसका विमोचन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया. इस दौरान मौके पर लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने प्रदेश में हो रहे पलायन पर आधारित गीत के साथ ही ‘ठंडो रे ठंडो’ गीत भी गया.

लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी के जन्मदिन और नेगी दा के गानों पर बनी पुस्तक के विमोचन पर सीएम धामी ने उन्हें शुभकामनाएं दी. सीएम धानी ने कहा कि कुछ दिन पहले ही उनकी मुलाकात नरेंद्र सिंह नेगी से हुई थी. उस दौरान ही उन्होंने नरेंद्र नेगी को जन्मदिन की अग्रिम बधाई दे दी थी. साथ ही सीएम धामी ने लेखक ललित मोहन रयाल को बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने गीतों को एक पुस्तक में पिरोकर राज्य की विरासत को संयोजित करने का काम किया है.

सीएम धामी बोले- वो खुद भी हैं नेगी दा के प्रशंसक

वहीं, कार्यक्रम के दौरान नरेंद्र सिंह नेगी ने कुछ गीतों को गाया, जिस पर लोग झूमते भी नजर आए. सीएम धामी ने कहा कि नरेंद्र सिंह नेगी अपने गीतों के माध्यम से संस्कृति को बचाए हुए हैं. लोगों को गुनगुनाने का मौका भी दे रहे हैं. साथ ही कहा कि नरेंद्र सिंह नेगी हमेशा अपने प्रशंसकों का ख्याल रखते हैं. वो खुद भी उनके प्रशंसक हैं और जब भी उनके किसी भी कार्यक्रम में होते हैं तो उनको नरेंद्र सिंह नेगी का गीत याद आ जाता है और वो उसको गुनगुनाते हैं.

सीएम धामी ने भेंट किया 2.51 लाख का चेक

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी को उत्तराखंड लोक सम्मान से सम्मानित कर 2.51 लाख का चेक भेंट किया. जबकि, ललित मोहन रयाल के प्रयासों की सराहना कर इस पुस्तक को भावी पीढ़ी के लिए संरक्षित करने वाला काम बताया. रयाल ने नेगी दा के 101 गीतों की विवेचना 400 पृष्ठों के ग्रंथ यानी एक किताब के रूप में लोगों के सामने रखा है.

हिमालय जैसे अडिग व्यक्तित्व वाले हैं नेगी दा

सीएम धामी ने कहा कि नरेंद्र सिंह नेगी हिमालय जैसे अडिग व्यक्तित्व वाले देवभूमि के महान सपूत हैं. उनके गीत हमें अपने परिवेश के साथ पहाड़ की चुनौतियों से परिचित कराने का काम करते हैं. उनके गीतों में प्रकृति, परंपरा, परिवेश, विरह वियोग और व्यथा मिश्रण मिलता है, जो हमें अपनी समृद्ध परंपराओं एवं लोक संस्कृति से जोड़ने का काम करती है. उनके गीत हमारी विरासत की समृद्ध परंपरा को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाने का काम करेगी. साथ ही युवाओं को प्रेरित करने का भी काम करेगी.

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