नई दिल्ली: जातीय जनगणना की मांग को लेकर पिछले एक-डेढ़ साल से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोर्चा खोल रखा है. अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव जैसे नेता भी इसे लेकर मुखर हैं. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के घटक जनता दल (यूनाइटेड) और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान से लेकर यूपी में अपना दल (सोनेलाल) की प्रमुख अनुप्रिया पटेल तक जातीय जनगणना की मांग के साथ दिखे हैं. ओबीसी कल्याण को लेकर संसदीय कमेटी की हालिया बैठक में जब विपक्षी दलों ने जातीय जनगणना का मुद्दा उठाया तब जेडीयू जैसे एनडीए के घटक दल ने भी इस मांग का समर्थन किया था.
साफ है कि जातीय जनगणना सालों बाद एक ऐसा मुद्दा है जिसे लेकर बीजेपी और मोदी सरकार न सिर्फ विपक्ष बल्कि सहयोगियों का भी दबाव झेल रही हैं. हालांकि दोनों ने इस मुद्दे पर न तो हां किया है और न ही इससे इनकार किया है. जातीय जनगणना के मुद्दे पर इसी असमंजस में फंसी बीजेपी को अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्टैंड ने रास्ता दिखा दिया है.
दरअसल, केरल के पलक्कड़ में तीन दिन तक चली समन्वय बैठक के बाद संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने जातिगत प्रतिक्रियाओं को संवेदनशील मुद्दा बताते हुए कहा कि यह राष्ट्रीय एकीकरण के लिए महत्वपूर्ण है. उन्होंने जातीय जनगणना के समर्थन का संकेत देते हुए यह भी कहा कि इसका इस्तेमाल चुनाव प्रचार और चुनावी उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए. संघ से हरी झंडी मिलने के बाद अब जातीय जनगणना की गेंद बीजेपी के पाले में है.
बीजेपी की दुविधा ये है कि जातीय जनगणना कराने का ऐलान कर दिया तो कहीं स्थापना के समय से ही उसका कोर वोटर रहा ब्राह्मण और सवर्ण के साथ ही एससी-एसटी वोटर भी नाराज न हो जाए. अगर वो जनगणना नहीं कराती है तो कहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे और अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग समीकरणों की वजह से बीजेपी के साथ आया ओबीसी वोटर ना छिटक जाए. यही वजह रही है कि बीजेपी न कराएंगे, ना विरोध करेंगे की नीति पर चलती आई है. खुद अमित शाह भी यह कह चुके हैं कि बीजेपी जातीय जनगणना की विरोधी नहीं है. राज्य चाहें तो अपने स्तर पर जातीय जनगणना करा सकते हैं. अब संघ का ताजा स्टैंड इस मुद्दे पर बीच का रास्ता बताया जा रहा है.
यूपी-बिहार के ओबीसी वोट की मजबूरी
बिहार में जातीय जनगणना की मांग को लेकर नीतीश कुमार की अगुवाई में जिस सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी, उसमें बिहार बीजेपी के नेता भी शामिल थे. जातीय जनगणना हो या आरक्षण की सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव, बीजेपी ने इसका समर्थन भले ही न किया हो लेकिन कभी खुलकर विरोध भी नहीं किया. बीजेपी ने यूपी और बिहार की नॉन यादव ओबीसी जातियों पर फोकस किया और एक हद तक सफल भी रही. लेकिन हालिया लोकसभा चुनाव में जातीय जनगणना के मुद्दे पर सपा और आरजेडी जैसी पार्टियां यूपी-बिहार में ओबीसी वर्ग के बीच अपना आधार बढ़ाने में सफल रही थीं. अब माना जा रहा है कि बीजेपी के लिए इससे बचना मुश्किल होगा यानी पार्टी जातीय जनगणना पर कोई बीच का फॉर्मूला ला सकती है.
सरकार क्यों कर सकती है जातीय जनगणना का ऐलान
जातीय जनगणना को लेकर अब तक न्यूट्रल स्टैंड दिखाती आई बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार संघ के ग्रीन सिग्नल के बाद इस पर स्टैंड बदल सकती है. सरकार क्यों जातीय जनगणना का ऐलान कर सकती है, इसे इन पॉइंट्स से समझा जा सकता है.
1- ओबीसी विरोधी का टैग हटाने की कोशिश
ओबीसी की आबादी अनुमानों के मुताबिक करीब आधी है. बगैर ओबीसी के समर्थन के किसी भी दल के लिए केंद्र या राज्य की सत्ता तक पहुंच पाना मुश्किल है. जातीय जनगणना को लेकर विपक्ष बीजेपी को लेकर ओबीसी विरोधी का नैरेटिव गढ़ने की कोशिश में है. बीजेपी ओबीसी विरोधी का टैग हटाने, ओबीसी वोटबैंक को अपने पाले में बनाए रखने की कोशिश में जातीय जनगणना करा सकती है.
2- विपक्ष से मुद्दा छीनने की रणनीति
बीजेपी की रणनीति यह भी हो सकती है कि जातीय जनगणना कराने का ऐलान कर वह मुद्दा ही खत्म कर दिया जाए जिसे लेकर विपक्ष उसे घेर रहा है. लेकिन इसमें एक रिस्क यह भी है कि इसकी क्रेडिट कहीं विपक्ष ही लेकर न चला जाए. संघ के रुख को लेकर लालू यादव का सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट इसी तरफ संकेत कर रहा है. लालू ने एक्स पर पोस्ट कर कहा है कि इनसे उठक-बैठक करवाकर जातीय जनगणना कराएंगे.
3- रोहिणी कमीशन के बैकफायर करने का खतरा
साल 2017 में आरक्षण लाभ के न्यायसंगत वितरण को लेकर गठित रोहिणी कमीशन को जातीय जनगणना के दांव की काट का हथियार माना जा रहा था. रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट आती, उससे पहले ही सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी वर्ग में कोटा के भीतर कोटा को लेकर टिप्पणी पर जिस तरह सियासी हंगामा बरपा, बीजेपी को भी यह लग रहा है कि कहीं ये बैकफायर न कर जाए. रोहिणी कमीशन के जरिये ओबीसी में सबकैटेगरी बनाने की ही तैयारी थी.