सीएम धामी ने जागर लोक संस्कृति उत्सव में की शिरकत, प्रीतम भरतवाण की किताब का किया विमोचन

खबर उत्तराखंड

देहरादून: दून में जागर लोक संस्कृति उत्सव का भव्य आयोजन किया गया। इसमें जागर, ढोल सागर के कलाविदों ने लोकगायन एवं लोकवादन की सुंदर प्रस्तुति दी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जागर और ढोल वादन हमारी सांस्कृतिक पहचान हैं। उन्होंने अमेरिका में साॅफ्टवेयर इंजीनियर एवं लेखक सचिदानंद सेमवाल की लिखी उत्तराखंड का लोक पुत्र प्रीतम भरतवाण पुस्तक का विमोचन भी किया गया। मुख्यमंत्री ने लोक गायक प्रीतम भरतवाण को उत्तराखंड की लोक संस्कृति का ब्रांड एंबेसडर बताया।

मंगलवार शाम सर्वे चौक स्थित आईआरडीटी सभागार में हेमलोक कला केंद्र की ओर से आयोजित जागर लोक संस्कृति उत्सव का शुभारंभ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन प्रदेश की सांस्कृतिक परंपराओं के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कहा कि पद्मश्री प्रीतम भरतवाण ने लोक परंपराओं एवं संस्कृति को विश्व में पहुंचाने का काम किया है। जागर को उत्तराखंड की संस्कृति में देवताओं के आह्वान का भी माध्यम माना गया है।

कहा, सरकार राज्य की लोककला, लोक संस्कृति की समृद्धि के लिए लगातार प्रयास कर रही है। नवोदित एवं उदीयमान प्रतिभावान साहित्यकारों को सम्मान दिए जाने की परंपरा शुरू की गई है। 60 वर्ष से अधिक आयु के लोक कलाकारों को तीन हजार रुपये महीना पेंशन दी जा रही हैं। कहा, पौराणिक मेलों को उनके मूल स्वरूप में स्थापित करने के लिए मदद दी जा रही है। पुस्तक के लेखक सचिदानंद सेमवाल ने कहा कि 2005 में वह पद्मश्री प्रीतम भरतवाण से अमेरिका में मिले थे। इसके बाद इंजीनियरिंग के साथ उन्होंने लोक संस्कृति पर आधारित यह पुस्तक लिखी। इस दौरान मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, गणेश जोशी, पूर्व डीजीपी व साहित्यकार सोमवारी लाल उनियाल, पूर्व डीजीपी अनिल रतूड़ी आदि मौजूद रहे।

जब पिता को याद कर भावुक हुए प्रीतम भरतवाण

लोकगायक प्रीतम भरतवाण अपने पिता को याद करते हुए भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि मेरे पिताजी 2002 में दुनिया को अलविदा कह गए थे। जब उन्हें लुधियाना में सम्मान मिला, जिसपर भागीरथी पुत्र लिखा था। जब वो सम्मान लेकर पिताजी के पास गया तो उस समय उनकी तबीयत खराब थी। सम्मान को छू कर मेरी तरफ देखते हुए पिता ने कहा कि बेटे कोई भी सम्मान, कोई भी तरक्की, कोई भी स्थान मिले तो ये मत सोचना कि ये आपकी योग्यता के कारण मिला है। सोचना कि इसके पीछे किसी और ने हाथ जोड़ा है। इंसान जब अपनी तरक्की पर इतराने लग जाता है तो वहीं से पतन शुरू हो जाता है। कहा कि कला और साहित्य के प्रति मुख्यमंत्री का जो लगाव है वो दर्शाता है कि वह स्वाभिमानी सैनिक पुत्र हैं।

 

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