नैनीतालः हल्द्वानी के वनभूलपुरा में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में हाईकोर्ट ने अतिक्रमणकारियों को एक हफ्ते का नोटिस देकर अतिक्रमण ध्वस्त करने के आदेश दिए हैं. यह आदेश मंगलवार को न्यायमूर्ति शरद शर्मा और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने दिए. इससे पहले यानी एक नवंबर को हुई सुनवाई में खंडपीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. जिस पर आज फैसला सुनाया है. बता दें कि इससे पहले हुई सुनवाई के दौरान अतिक्रमणकारियों की तरफ से कहा गया कि उनका पक्ष रेलवे ने नहीं सुना था. इसलिए उनको भी सुनवाई का मौका दिया जाए. जिस पर रेलवे की तरफ से कहा गया कि रेलवे ने सभी अतिक्रमणकारियों को पीपी एक्ट के तहत नोटिस जारी कर सुना है. वहीं, राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि यह राज्य सरकार की भूमि नहीं है, यह रेलवे की भूमि है.
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि कोर्ट के बार-बार आदेश होने के बाद भी अतिक्रमण नहीं हटाया गया. पूर्व में कोर्ट ने सभी अतिक्रमणकारियों से अपनी-अपनी आपत्ति पेश करने को कहा था. कोर्ट ने सभी आपत्तियों और पक्षकारों को सुनने के बाद आज मामले में फैसला सुनाया है. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई.
गौर हो कि बीती 9 नवंबर 2016 को नैनीताल हाईकोर्ट ने रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई की थी. उस दौरान कोर्ट ने 10 हफ्ते के भीतर रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश (railway land in Haldwani) दिया था. कोर्ट ने कहा था कि जितने भी अतिक्रमणकारी हैं, उनको रेलवे पीपी एक्ट के तहत नोटिस देकर जन सुनवाई करे.
वहीं, रेलवे की तरफ से कहा गया कि हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण (Haldwani Railway Land Encroachment) किया गया है. जिनमें करीब 4,365 अतिक्रमणकारी मौजूद हैं. हाईकोर्ट के आदेश पर इन लोगों को पीपी एक्ट में नोटिस दिया गया. जिनकी रेलवे ने पूरी सुनवाई कर ली है. किसी भी व्यक्ति के पास जमीन के वैध कागजात नहीं पाए गए.
क्या है अतिक्रमण का ये मामला
दरअसल हाईकोर्ट में यह मामला 2016 से चल रहा है. रेलवे द्वारा अदालत को बताया गया है कि हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ से भी ज्यादा जमीन है. इस पर 4300 से ज्यादा अतिक्रमणकारियों ने कब्जा कर रखा है. तब हाईकोर्ट की ओर से अतिक्रमण को हटाने के आदेश दिए गए थे. हालांकि उसके बाद विभिन्न पक्षों की ओर से अदालत में आवेदन करने के बाद मामला आगे बढ़ गया था. अब अदालत में सभी पक्षों ने अपना अपना पक्ष रख लिया है. उसके बाद अदालत की ओर से यह फैसला सुनाया गया है. फैसले में रेलवे को आदेश दिया गया है कि 1 हफ्ते का नोटिस देकर सभी अतिक्रमण को ध्वस्त कर दिया जाए.