देहरादून: उत्तराखंड के केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव का ऐलान हो गया है. जिसके बाद आचार संहिता लागू हो गई है. यह सीट केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत के निधन के बाद खाली हो गई थी. अब इस सीट उपचुनाव होना है. वहीं, केदारनाथ सीट को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों ने कमर कस ली है.
केदारनाथ उपचुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही मैदान में उतरकर माहौल बनाने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस ने जहां हरिद्वार से लेकर केदारनाथ तक ‘केदारनाथ बचाओ यात्रा’ निकाली तो वहीं बीजेपी संगठन भले ही अभी कुछ खास न कर पाया हो, लेकिन सरकार के स्तर पर जिस तरह से घोषणाएं हो रही हैं, वो बताती है कि सरकार केदारनाथ में होने वाले चुनाव को अपनी नाक का सवाल बना रही है. एक के बाद एक सरकार की तरफ से घोषणाएं की गई है. जिसके जरिए सरकार जनता को बताना चाह रही है कि अगर बीजेपी जीती तो केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में विकास की गंगा बहेगी.
बीजेपी की साख और नाक दोनों का सवाल है केदारनाथ उपचुनाव
बीजेपी के लिए यह चुनाव साख और नाक का सवाल बना हुआ है. क्योंकि, हाल ही में हुए दो उपचुनाव बीजेपी के लिए बेहद निराशाजनक रहे. बीजेपी को मंगलौर और बदरीनाथ विधानसभा सीट हारनी पड़ी. जिसके बाद बीजेपी ने अब केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव को अपने अहम की लड़ाई मान लिया है. बीजेपी संगठन ने केदारनाथ विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी के साथ पांच मंत्रियों की ड्यूटी लगाई है.
इतना ही नहीं संगठन की एक बड़ी फौज भी केदारनाथ में होने वाले चुनाव से पहले और घोषणा के बाद आम जनता तक पहुंचेगी भाजपा संगठन यह चाहता है कि जो परिणाम बद्रीनाथ चुनाव में आए हैं उसकी पुर्नवृत्ति केदारनाथ में ना हो. प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट कहते हैं कि केदारनाथ और पूरे उत्तराखंड की जनता यह जानती है कि राज्य में और केंद्र में बैठी भाजपा ने केदारनाथ के पुनः निर्माण और आसपास के पूरे क्षेत्र के लिए कितना काम किया है कांग्रेस का जो हाल हरियाणा में हुआ है वही हाल उत्तराखंड में होने वाले केदारनाथ विधानसभा चुनाव में होगा हमारी सरकार केदारनाथ में वह हर सुविधा मुहैया कर रही है जिसकी यहां आने वाले भक्तों और स्थानीय नागरिकों को जरूरत है.
हर हफ्ते कुछ ना कुछ केदार विधानसभा के लिए
इसमें कोई दो राय नहीं है कि संगठन से ज्यादा सरकार का फोकस अचानक से केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में बड़ा है हर हफ्ते कोई ना कोई घोषणा सरकार की तरफ से केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र के लिए हो रही है 14 अक्टूबर को भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की तरफ से केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र के लिए अलग-अलग विकास कार्यों के लिए 1389.75 लाख. इस धनराशि से केदार घाटी में स्थित अगस्त मुनि चंद्रपुरी सड़क का निर्माण और इसके साथ ही गोचर और अलकनंदा नदी पर डबल लाइन का बनाया जाएगा अलग-अलग कार्यों के लिए जारी किए गए यह पैसे केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में खर्च होने हैं.
विधायक के निधन के बाद घोषणा की झड़ी
शैला रानी रावत के निधन के बाद खाली हुई यह सीट कितनी जरूरी है मुख्यमंत्री की तरफ से हुई लगभग 39 घोषणा यह बताती है की राज्य सरकार इस चुनाव पर पूरी तरह से फोकस केंद्रित करना चाहती है अब तक जिन घोषणाओं को मुख्यमंत्री की तरफ से किया गया है उन घोषणा में 14 अक्टूबर को तो एक घोषणा हुई थी इसके साथ ही 7 अक्टूबर को भी 14 नई घोषणाएं केदारनाथ क्षेत्र के लिए की थी और इसके साथ ही ठीक एक दिन पहले मुख्यमंत्री की तरफ से ही 25 घोषणाएं और की गई थी यानी दो दिनों के भीतर ही 35 से अधिक घोषणाएं करके सरकार ने केदारनाथ क्षेत्र के मतदाताओं को साधने की पूरी कोशिश की है.
हाल ही में हुई जो घोषणाएं
1- मणिगुहा में नंदाबाड़ी से सरकारी अस्पताल को जोड़ते हुए धौनिक तक दो किमी सड़क बनेगी।
2- मचकंडी से सौर भूतनार्थ (अगस्त्यमुनि) मंदिर तक तीन किमी मोटर मार्ग बनेगा।
3- बासवाडा जलई किरधू गौर कंडार द्वितीय चरण मोटर मार्ग बनेगा।
4- अंधेरगढ़ी से धार तोलियों मोटर मार्ग के सुधारीकरण एवं डामरीकरण होगा।
5-ऊखीमठ आंतरिक मोटर मार्ग से किमाडा तक मोटर मार्ग का सुधारीकरण एवं डामरीकरण होगा।
6-त्यूंग बैंड से नहरा-कुण्डलिया मोटर मार्ग का सुधारीकरण एवं डामरीकरण होगा।
7-उनियाणा से किरमोडी पौल्दीद्वणी होते हुए कालीशिला मोटर मार्ग का निर्माण होगा।
8-गोंडार बंडतोती मोरखंडा नदी पर पुल बनेगा।
9-चौमासी से खाम रेकाधार से केदारनाथ पैदल ट्रैकिंग मार्ग का अवशेष कार्य होगा।
10-वासवाड़ा मोहनखाल मोटर मार्ग का चौड़ीकरण व डामरीकरण होगा।
11-आपदा ग्रस्त ग्राम सभा किणझाणी का विस्थापन होगा।
12-सारणेश्वर मंदिर सिल्ला बमड़ गांव (अगस्त्य मुनि) का सौंदर्यीकरण का कार्य होगा।
13-पठारी धार (अगस्त्यमुनि) में खेल मैदान का निर्माण होगा।
14- अगस्त्यमुनि रा. स्नातकोत्तर महाविद्यालय में ऑडिटोरियम बनाया जाएगा।
घोषणा बता रही है की किसी भी कीमत पर कांग्रेस को मौका नहीं देना चाहती सरकार
ये घोषणा तो मात्र उस क्षेत्र के लिए है जहा वोटर निवास करते है इसी बीच सरकार की तरफ से केदारनाथ मंदिर मार्ग से जुडी भी कई घोषणा की गई है जिसमे हालही में 31 जुलाई को घाटी में हुई अतिवृष्टि में क्षतिग्रस्त कार्यों व मार्गों के निर्माण एवं पुनर्स्थापना कार्यों के लिए मुख्यमंत्री की तरफ से बाकायदा एक पैकेज दिया गया जिसमे 4836.63 लाख रुपए की धनराशि जारी जारी की गई। लोक निर्माण विभाग की 29 एवं सिंचाई विभाग की 12 कार्य योजना स्वीकृत भी दी गई । ये तमाम घोषणा बताती है की सरकार केदारनाथ में किस तरह के कार्य करना चाहती है और इन घोषणाओं के मार्फत कैसे वह वोटरों को लुभाने चाहती है.
बीजेपी के पास कई चेहरे
घोषणाओं के अलावा दोनों ही पार्टियों अपने-अपने प्रत्याशियों को तलाशने में भी जुटी हुई है आपको बता दें कि केदारनाथ में अब तक भारतीय जनता पार्टी की विधायक शेला रानी रावत थी लेकिन उनके निधन के बाद बीजेपी को नया चेहरा तलाशना है बीजेपी के पास कई ऐसे चेहरे हैं जो पहले भी यहां पर चुनाव में अपनी मौजूदगी दर्ज करवा चुके हैं जिसमें पूर्व विधायक आशा नौटियाल और स्वर्गीय विधायक शैला रानी रावत की बेटी ऐश्वर्या रावत के साथ-साथ कुलदीप रावत और चंडी प्रसाद भट्ट जैसे दिग्गजों के नाम शामिल है. भारतीय जनता पार्टी बीते 15 दिनों से इस पूरे क्षेत्र में अलग-अलग सर्वे करवरकर यह जानने की कोशिश कर रही है कि माहौल और जनता किसके पक्ष में है.
कांग्रेस के पास कौन है दांव लगाने के लिए
वही बात अगर कांग्रेस की की जाए तो कांग्रेस उत्तराखंड में हुए बीते दिनों दो विधानसभा चावन को जीतकर फिलहाल उत्साहित नजर आ रही है हालांकि हरियाणा के परिणाम से काफी हद तक निराशा थी लेकिन उत्तराखंड के मौजूदा हालातो को देखकर कांग्रेस को यही लगता है कि केदारनाथ में जनता उनके साथ देगी कांग्रेस के पास पूर्व विधायक मनोज रावत और हरक सिंह रावत जैसे नाम शामिल थे लेकिन हरक सिंह रावत के चुनाव न लड़ने की घोषणा के बाद कई स्थानीय नए चेहरे भी शामिल है हालांकि अभी दोनों ही पार्टियों ने यह साफ नहीं किया है कि पार्टी किसको अपना उम्मीदवार बनाएगी चुनाव की घोषणा होने के तत्काल बाद दोनों ही पार्टियों अपने-अपने उम्मीदवार घोषित करेंगी.
दिलचस्प होगा चुनाव
बता दें कि केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में शामिल है इसी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर भी आता है 1951 में उत्तर प्रदेश में जब उत्तराखंड था तब यहां पर पहला आम चुनाव हुआ था अमूमन अब तक का इतिहास यही बताता है की सबसे अधिक बार यहां पर भारतीय जनता पार्टी ही चुनाव जीती है लगभग 92000 मतदाताओं वाले इस विधानसभा क्षेत्र में आगामी चुनाव कौन जीतेगा यह देखना बेहद दिलचस्प होगा.