देहरादून: शीत लहर के साथ ही लगातार हवा में बढ़ रहे प्रदूषण से जहां एक तरफ उत्तराखंड की राजधानी देहरादून की हवा में जहर घुलता जा रहा है, तो वहीं राजधानी के अस्पतालों में भी इसका असर साफ तौर से देखने को मिल रहा है.
AQI के मामले में देहरादून ने यूपी के शहरों को पछाड़ा
देहरादून की आबोहवा अब ज्यादा प्रदूषित होने लगी है. चिंताजनक बात यह है कि यहां के प्रदूषण का स्तर गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर जैसे शहरों से भी अधिक होने लगा है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक देहरादून, भारत के उन 298 शहरों की सूची में 9वें स्थान पर है, जहां वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा है. सीपीसीबी की रिपोर्ट के मुताबिक देहरादून में एयर क्वालिटी इंडेक्स AQI 300 तक पहुंच गया है. देहरादून के पड़ोसी शहर ऋषिकेश और कुमाऊं के मैदान में मौजूद काशीपुर में AQI 250 के आसपास झूल रहा है, जो सबसे खराब श्रेणी में आता है. यह लोगों के स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है.
पीसीबी ने बताया ये कारण
इस पूरे हालातों पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव डॉ पराग मधुकर धकाते ने बताया कि गर्म हवा ऊपर नहीं जा पा रही है. प्रदूषण के कारण नीचे ही बनी है. हवा की गति भी कम होने की वजह से प्रदूषण बढ़ता ही चला जा रहा है. वहीं उन्होंने कहा है कि आसपास के प्रदेश में जलने वाली पराली का धुआं हवाओं के साथ घाटी में आ कर यहां फंस रहा है. इससे मौसम पर भी असर पड़ रहा है. इस कारण लोगों को एहतियात बरतने की सलाह दी जा रही है.
बढ़ते AQI से अस्पताओं में बढ़ रहे हैं सांस के मरीज
देहरादून में एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 के करीब पहुंच गया है. इससे खास तौर पर सांस के मरीजों को काफी दिक्कतें होने लगी हैं. दून अस्पताल विभाग के चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि राजधानी में प्रदूषण का असर सेहत पर पड़ने लगा है. प्रदूषण से ऑक्सीजन का स्तर कम होने लगा है. इससे लोगों की सांस फूल रही है. साथ ही फ्लू का खतरा बढ़ गया है.
दून अस्पताल की ओपीडी में बढ़े मरीज
दून अस्पताल के मेडिसिन बाल रोग और स्वास्थ्य चिकित्सा विभाग की ओपीडी में मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है. सबसे अधिक परेशानी बच्चों और अधिक उम्र के लोगों को हो रही है. दून अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक और स्वास रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अनुराग अग्रवाल ने बताया कि सामान्य दिनों में दून अस्पताल के मेडिसिन बाल रोग और स्वास्थ्य चिकित्सा विभाग की ओपीडी में प्रतिदिन करीब 500 से 600 मरीज आते थे. इन दिनों संख्या काफी बढ़ गई है.
‘इन दिनों मरीजों की संख्या में 15 से 20% तक की बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है. फ्लू के मरीजों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है. वहीं सांस फूलने से लेकर ऑक्सीजन का स्तर कम होने के मामले भी सामने आ रहे हैं. इस तरह के रोगियों को एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इसके अलावा मरीजों को शाम और सुबह के समय बाहर नहीं निकलना चाहिए.‘
–डॉ अनुराग अग्रवाल, चिकित्सा अधीक्षक, दून अस्पताल–