देहरादून: ऋषिकेश में हुए एक सड़क हादसे ने उत्तराखंड के एक जननेता और राज्य आंदोलनकारी को छीन लिया है. एक शादी समारोह में शामिल होने गए त्रिवेंद्र पंवार को बेकाबू ट्रक ने टक्कर मार दी. इस हादसे में उनकी मौत हो गई. ट्रक ने दो और समेत 3 लोगों की जान ले ली. इस हादसे से उत्तराखंड में खासकर राज्य आंदोलनकारियों और यूकेडी में शोक की लहर है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी यूकेडी के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान में संरक्षक त्रिवेंद्र पंवार के निधन पर शोक जताया है.
यूकेडी ने त्रिवेंद्र पंवार के निधन पर जताया दुख
उत्तराखंड क्रांति दल यानी यूकेडी ने त्रिवेंद्र पंवार पर दुख जताया है. दल के केंद्रीय उपाध्यक्ष जय प्रकाश उपाध्याय का कहना है कि त्रिवेंद्र सिंह पंवार ने राज्य आंदोलन में इंद्रमणि बडोनी के सानिध्य में सक्रिय भूमिका निभाई थी. राज्य भर के आंदोलनकारियों के साथ उनके संघर्ष को देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री देवगौड़ा ने वार्ता के लिए बुलाया था. लाल किले के प्राचीर से तत्कालीन प्रधानमंत्री देवगौड़ा ने उत्तराखंड राज्य बनाने की घोषणा की थी.
राज्य आंदोलन के दौरान संसद में फेंका था लेटर बम
त्रिवेंद्र पंवार ने राज्य आंदोलन के लिए भारत की संसद में लेटर बम फेंका था. इससे उन्होंने उत्तराखंड राज्य आंदोलन की तरफ सांसदों का ध्यान आकर्षित किया था. राज्य आंदोलन के दौरान वह यमुना नदी में भी गिर गए थे. तब वो गंभीर रूप से घायल हुए थे. लंबे समय तक उनका इलाज चला था. लेकिन इस दौरान भी वो राज्य और उससे जुड़े सरोकारों की चिंता करते रहे.
दो बार चुने गए थे यूकेडी के अध्यक्ष
1995 में वो उत्तराखंड क्रांति दल के अध्यक्ष चुने गए. 2011 में वो दोबारा उत्तराखंड क्रांति दल के अध्यक्ष चुने गए थे. वर्तमान में वह उत्तराखंड क्रांति दल के संरक्षक थे. जय प्रकाश ने बताया कि त्रिवेंद्र पंवार सच्चे हिमालय पुत्र थे. राज्य के हित में उन्होंने अनेक आंदोलन किए और कई बार जेल गए. राज्य के मूल निवासियों के हित में सरकारों से लड़ना उन्होंने अपना कर्तव्य समझा. वह कर्तव्य निष्ठा के कारण कभी भी सरकारों की आगे नहीं झुके.
निर्भीक और जुझारू नेता थे त्रिवेंद्र पंवार
यूकेडी के केंद्रीय उपाध्यक्ष जय प्रकाश ने कहा कि त्रिवेंद्र पंवार एक निर्भीक, जुझारू और ईमानदार नेता थे. उनके योगदान और संघर्ष को उत्तराखंड के लोग कभी नहीं भूलेंगे. हमने उत्तराखंड का एक सच्चा सिपाही और निर्भीक नेता खो दिया है. उनकी भरपाई नामुमकिन है. हम उनके संघर्ष और योगदान से प्रेरित होकर उनके पथ पर चलने की शपथ लेते हैं. यही हमारी उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी.