देहरादून: उत्तराखंड राज्य सहकारी संघ सभागार में सहकारी समितियों के वित्तीय लेन-देन को प्रोत्साहित करने को लेकर सहकारिता कार्यशाला का आयोजन किया गया. सहकारी क्षेत्र को जमीनी स्तर पर मजबूत करने के लिए इस कार्यशाला का आयोजन किया गया. उत्तराखंड में गुजरात मॉडल की तर्ज पर जिला या राज्य सहकारी बैंक के जरिए प्राथमिक कृषि ऋण समितियों और प्राथमिक डेयरी सहकारी समितियों को तमाम बैंकिंग सेवाओं तक पहुंचाने के लिए सक्षम बनाया जा रहा है.
अभ्यर्थियों को सौंपा गया नियुक्ति पत्र
सहकारिता कार्यशाला में सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत ने आईबीपीएस के जरिए चयनित 167 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र भी सौंपा. चयनित 167 अभ्यर्थी हरिद्वार, देहरादून, टिहरी, उधमसिंह नगर, नैनीताल, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, कोटद्वार और चमोली जिले में ज्वॉइनिंग लेंगे. इन युवाओं का चयन वर्ग 3 लिपिक, वर्ग 2 कनिष्ठ सहायक, कनिष्ठ शाखा प्रबंधक के अलावा वरिष्ठ शाखा प्रबंधक के पदों पर हुआ है.
सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत ने अपने संबोधन में कहा कि उत्तराखंड राज्य आज सहकारिता के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है. उत्तराखंड की ज्यादातर सहकारी समितियां और जिला सहकारी बैंक आज मुनाफे की स्थिति में हैं. उत्तराखंड की सभी बड़ी सहकारी संस्थाएं फायदे में हैं.
रेशम फेडरेशन पिछले 7 सालों में लाभ की स्थिति में आ गया है. साथ ही कहा कि वो हर महीने में 10 दिन सहकारिता को देते हैं. जिसके तहत अब वो सभी जिलों में स्वयं सहकारिता के कार्यों का मूल्यांकन करेंगे और किसानों से सीधा संवाद कर गोष्ठी के माध्यम से फीडबैक लेंगे.
वहीं, सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड के ‘मुख्यमंत्री घसियारी योजना’ की देशभर में प्रशंसा हो रही है. साल 2025 सहकारिता वर्ष घोषित होने जा रहा है. ऐसे में उत्तराखंड राज्य को सहकारिता के क्षेत्र में अग्रणी राज्यों में शुमार करने का यह बेहतर समय है. उन्होंने कहा कि ग्रामीण स्तर पर भी बहुउद्देशीय समितियों का गठन किया जाएगा. जिन गांवों में संख्या कम है, वहां पर ग्राम सभा स्तर पर समितियों का गठन किया जाएगा. ये काम मार्च 2025 तक पूरा हो जाएगा.