उत्तराखंड में इस बार होगी अधिक ठंड और बारिश, जानें वैज्ञानिकों से इसका कारण

खबर उत्तराखंड

देहरादून: उत्तराखंड में रविवार से अधिकतर इलाकों में जबरदस्त ठंड का प्रकोप है. मैदानी इलाकों में शीतलहर तो पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी जारी है. अगर आप यह सोच रहे हैं कि आने वाले कुछ दिनों में मौसम सही हो जाएगा, तो आप गलत हैं. मौसम वैज्ञानिक मान रहे हैं कि इस बार सर्दी लोगों को रुलाने वाली है. इतना ही नहीं आने वाले दिनों में बारिश भी लोगों को परेशान कर सकती है. मौसम वैज्ञानिक मानते हैं कि मानसून में इस साल बारिश भी अधिक हो सकती है. इसके पीछे की वजह क्या है, चलिए हम आपको बताते हैं.

बर्फबारी नहीं इसमें भी होगा इजाफा

इस बार हिमालय में लगातार इतनी बर्फबारी होगी कि वो कई सालों के रिकॉर्ड तोड़ सकती है. जनवरी महीने में और अधिक ठंड पड़ेगी. पहाड़ी इलाकों में जिन जगहों पर सालों पहले बर्फ पड़ी थी, संभवत यह भी हो सकता है कि उन जगहों पर इस साल बर्फबारी देखने के लिए मिल जाए. वैज्ञानिक मान रहे हैं कि इस बार पश्चिमी विक्षोभ पर ला नीना का असर कुछ ऐसा दिखाई दे रहा है कि मौसम में अधिक बदलाव आएगा. खासकर ये बदलाव हिमालय में देखा जाएगा. मौसम के जानकार जहां इसे पर्यावरण के लिए सही मान रहे हैं, वहीं किसानों के लिए भी इसे हितकारी बता रहे हैं.

क्या होगा आगे

ला नीना का असर एक हफ्ते पहले शुरू हो गया था. इसके बाद हिमालयी क्षेत्र में मौसम अचानक बदला. आपको याद होगा कि दिसंबर महीने में बर्फबारी के लिए पहाड़ तरस गए थे. अचानक से न केवल बर्फबारी हुई, बल्कि ऐसी बर्फबारी हुई कि पहाड़ी राज्य कश्मीर और हिमाचल प्रदेश से लेकर उत्तराखंड तक बर्फ की सफेद चादर में ढक गए.

वैज्ञानिकों का है ये अनुमान

नैनीताल में मौजूद आर्यभट्ट विज्ञान शोध संस्थान के वैज्ञानिक डॉ नरेंद्र इस पर गहनता से नजर बनाने के बाद कहते हैं कि यह बदलाव दिसंबर महीने में ही शुरू हो गया था. देश में 60% से अधिक ला नीना की संभावना बताई जा रही थी और ये सही साबित भी हुआ. हो सकता है कि इस बार ऐसी जगह पर बर्फबारी हो जाए जहां पर सालों पहले कभी बर्फबारी हुआ करती थी. इसका असर मौसम पर बेहतर पड़ता है.

3 महीने तक दिख सकता है ला नीना का असर

वहीं मौसम वैज्ञानिक बीरेंद्र सिंह कहते हैं कि अच्छा है कि पहाड़ों में बर्फबारी बेहतर हुई है. पिछले कुछ सालों में हम देख रहे थे कि बर्फबारी में कुछ कमी आ रही थी. ला नीना का असर साफ देखा जा रहा है. ऐसा नहीं है कि इसका असर एक दो दिन दिखाई देगा, बल्कि आप और हम 3 महीने तक इसका असर देखेंगे. संभावना यही है कि इस बार बारिश में भी इजाफा होगा.

कृषि को मिलेगा फायदा

जानकार मानते हैं कि इसका असर कृषि के क्षेत्र में भी बेहतर पड़ेगा. अच्छी बर्फबारी से फल सब्जी और अन्य फसल की पैदावार में इजाफा होगा. हमारे पहाड़ों में कई ऐसी फसलें हैं, जो बर्फबारी का इंतजार करती हैं. अगर ऐसे में अत्यधिक बर्फबारी होती है, तो स्वाभाविक है कि किसानों को इसका फायदा मिलेगा.

क्या होगा ला नीना के असर से

मौसम विज्ञान केंद्र से मिली जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड ही नहीं पूरे भारत में इसका असर अगर अधिक होगा तो आने वाला मानसून बेहद प्रभावी रहेगा. हो सकता है कि पूरे भारत और खासकर उत्तराखंड में अधिक बारिश देखने के लिए मिले. हवाओं की गति तेज होगी और ठंड लंबे समय तक लोगों को महसूस होगी.

क्या है ला नीना?

विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने कहा कि फरवरी 2025 तक यह संभावना है कि ला नीना की प्रबलता 60 फीसदी तक बढ़ सकती है. ला नीना का मतलब मध्य और पूर्वी भूमध्य रेखीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के तापमान में बड़े पैमाने पर होने वाली गिरावट से है. ये गिरावट उष्ण कटिबंधीय वायुमंडलीय परिसंचरण जैसे- हवा, दबाव और वर्षा में परिवर्तन से जुड़ा हुआ है. यह मुख्य रूप से भारत में मानसून के मौसम के दौरान तीव्र और लंबे समय तक होने वाली बारिश और उत्तरी भारत में सामान्य से अधिक ठंड से जुड़ा है.

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