उत्तराखंड मे  निकाय चुनाव कल, इन सीटों पर दिलचस्प होगा मुकाबला, पार्टियों के समझने पर भी नहीं माने बागी बढ़ाई पार्टियों की टेंशन!

खबर उत्तराखंड

देहरादून: उत्तराखंड में मंगलवार (21 जनवरी) शाम पांच बजे चुनावी शोर थम गया था. अब सभी को वोटिंग का इंतजार है. उत्तराखंड नगर निकाय चुनाव में 100 निकायों में 23 जनवरी को वोटिंग होनी है. वोटिंग से पहले बीजेपी और कांग्रेस के तमाम स्टार-प्रचारकों ने प्रदेश में धुआंधार प्रचार किया. सीएम पुष्कर सिंह धामी की बात करें तो इस दौरान उन्होंने रोजाना करीब तीन जनसभाएं कीं. इसके अलावा कई रोड शो भी किए. चुनाव प्रचार को देखकर तो लग रहा है कि ये चुनाव काफी दिलचस्प रहने वाला है.

सीएम ने की ताबड़तोड़ जनसभाएं

उत्तराखंड मुख्यमंत्री दफ्तर से मिली जानकारी के अनुसार- निकाय चुनाव में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने करीब 12 दिनों में 52 चुनावी कार्यक्रम किए. निकाय चुनावों में सीएम धामी ने इस प्रचार अभियान में ठीक वैसे ही प्रचार किया जैसे विधानसभा और लोकसभा चुनावों में होता है.

स्थानीय चुनाव में छाए रहे नेशनल मुद्दे

ये चुनाव भले ही नगर निकाय को हों, लेकिन इन चुनावों में बीजेपी ने लोकल मुद्दों की जगह राष्ट्रीय मसलों पर ज्यादा ध्यान दिया. सीएम धामी ने अपने प्रचार-प्रसार के दौरान लैंड जिहाद, थूक जिहाद और यूसीसी यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड जैसे मुद्दों को जोर-शोर से उठाया. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने कांग्रेस पर वोट बैंक, तुष्टिकरण और सनातन के विरोध की राजनीति करने के आरोप लगाए.

इन दो सीटों पर निर्दलीय भी दे रहे टक्कर

उत्तराखंड में नगर निकायों की 100 सीटों पर चुनाव हो रहा है, जिसमें करीब 5405 प्रत्याशी मैदान में हैं. अधिकतर सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस की ही टक्कर दिख रही है. हालांकि, दो सीटें ऐसी हैं, जहां निर्दलीय प्रत्याशी बीजेपी और कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकते हैं. ये दोनों सीटें गढ़वाल रीजन में आती हैं. राजनीतिक जानकार आदेश त्यागी की मानें तो ऋषिकेश और श्रीनगर में निर्दलीय मामला बिगाड़ सकते हैं.

पहली सीट ऋषिकेश नगर निगम

ऋषिकेश में मेयर के लिए बीजेपी ने शंभू पासवान को मैदान में उतार रखा है. कांग्रेस ने दीपक जाटव पर दांव खेला है. इस बीच कांग्रेस से ही बागी हुए दिनेश चंद्र मास्टर ने अपने चुनाव प्रचार में बाहरी और स्थानीय प्रत्याशियों का मुद्दा उठाकर इस मुकाबले को रोचक बना दिया है. वहीं, यूकेडी की ओर से महेंद्र सिंह चुनावी मैदान में हैं. आदेश त्यागी बताते हैं कि, इस तरह का मुकाबला देखकर कहा जा सकता है कि ऋषिकेश नगर निगम में मेयर प्रत्याशियों में खींचतान का मुकाबला नजर आ रहा है. बता दें कि, ये सीट इस दफा आरक्षित है.

श्रीनगर सीट पर भी दिलचस्प होगा मुकाबला

ऋषिकेश के अलावा पौड़ी जिले में श्रीनगर नगर निगम सीट पर भी निर्दलीय, बीजेपी और कांग्रेस को बराबर की टक्कर दे रहे हैं. श्रीनगर नगर निगम में मेयर पद की निर्दलीय प्रत्याशी आरती भंडारी ने बीजेपी और कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी है. दरअसल, बीजेपी ने श्रीनगर नगर निगम में मेयर पद के लिए आशा उपाध्याय को मैदान में उतारा था. वहीं बीजेपी से लखपत सिंह भंडारी भी अपनी पत्नी के लिए टिकट मांग रहे थे, लेकिन जब टिकट नहीं मिला तो उन्होंने अपनी पत्नी आरती भंडारी को निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतार दिया.

वहीं, कांग्रेस ने मीना रावत को मैदान में उतारा है. इसके अलावा कांग्रेस से बागी होकर पूर्व पालिका अध्यक्ष पूनम तिवाड़ी भी इस बार मैदान में हैं. आदेश त्यागी की मानें तो श्रीनगर नगर निगम में बागियों की स्थिति देखकर कहा जा सकता है कि यहां मेयर पद के लिए चुनाव आसान नहीं होगा. बागी जहां टेंशन बढ़ा रहे हैं वहां मुकाबले को दिलचस्प भी बना रहे हैं.

बता दें कि उत्तराखंड में कुल 11 नगर निगम हैं, जिसमें तीन सामान्य महिला (पिथौरागढ़, रुड़की और श्रीनगर) और एक (हरिद्वार) ओबीसी महिला के लिए आरक्षित है. वहीं एक सीट एससी (ऋषिकेश) और एक सीट (अल्मोड़ा) ओबीसी के लिए रिजर्व है. वहीं पांच सीटें सामान्य हैं.

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