देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में जमीनों की खरीद-फरोख्त का कारोबार जितनी तेजी से बढ़ा है, उतनी ही रफ्तार से फर्जीवाड़े भी सामने आये हैं. दो साल पहले उजागर हुए फर्जी रजिस्ट्री घोटाले में पुलिस अब तक 20 लोगों को जेल चुकी है, लेकिन SIT (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) की जांच में जो खुलासे हो रहे हैं, वो इस पूरे गोरखधंधे की गहराई को उजागर कर रहे हैं.
अभी तक की जांच में जो सामने आया है, उसके हिसाब से आरोपियों ने 2000 एकड़ यानी 9 करोड़ स्क्वायर फीट जमीन के फर्जी दस्तावेज तैयार कर करोड़ों की सरकारी और निजी संपत्तियों पर फर्जी हक जताने की साजिश रची. वहीं सैकड़ों शिकायतें आने के बाद मुकदमे भी हुए हैं.
1948 के दस्तावेजों में हेराफेरी की गई: पुराने रिकॉर्ड हटाकर फर्जी कागजात तैयार किए गए और इस तरह लाखों-करोड़ों रुपए की जमीनों पर अवैध कब्जे का खेल खेला गया. इतना ही नहीं उस दौरान आरोपियों के पिता ने अपने नाबालिग बच्चों के नाम फर्जी तरीके से जमीन कराई और अब बच्चे उस जमीन को दूसरों के नाम कर रहे हैं. यह खेल आरोपी अकेला नहीं करता था, बल्कि इस खेल में हैंडराइटिंग एक्सपर्ट के साथ सहारनपुर में स्थित रजिस्ट्रार कार्यालय के कर्मचारियों की मिलीभगत से खेल होता था.
रजिस्ट्रियों के फर्जीवाड़े में जो बेस बनाया गया है, वो 1948 के रिकॉर्ड को बनाया गया, जिसका रिकॉर्ड भी यूपी के सहारनपुर जिले में रखा हुआ था. आरोपियों ने पुराने दस्तावेजों को हटाकर वहां पर नए दस्तावेज लगा दिए. इसी तरह से आरोपियों ने ये दिखाने का प्रयास किया कि, वो उसके असली मालिक हैं, जबकि ऐसा नहीं था. करीब दो हजार एकड़ जमीन का फर्जीवाड़ा हुआ है. बाकी अभी जांच चल रही है.
अतुल कुमार, निबंधन अधिकारी
जानिए धोखाधड़ी का तरीका: जांच में पता चला है कि रजिस्ट्रार कार्यालय के कर्मचारी असली रजिस्ट्री निकाल कर जो फर्जी रजिस्ट्री बनाई जाती तो उसको वहां पर रख देते थे. अब इस मामले की गंभीरता को देखते हुए हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की मदद ली जा रही है और सभी संदिग्ध रजिस्ट्रियों की गहन जांच जारी है. जांच में सामने आया है कि देहरादून के भूमि रिकॉर्ड जब सहारनपुर में रखे गए थे, तब उसका फायदा उठाकर आरोपियों ने आराम से कागजों में छेड़छाड़ कर दी. यानी सरकारी सिस्टम की ढील और अपराधियों की चालाकी, दोनों ने मिलकर इस घोटाले को परवान चढ़ाया.
सीएम धामी के निर्देश पर गठित हुई थी एसआईटी: साल 2023 में फर्जी रजिस्ट्री मामले सामने आने के बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर एसआईटी का गठन किया गया था. पहले एसआईटी का कार्यकाल नवंबर 2023 तय किया गया था, लेकिन शिकायतों के बढ़ने के क्रम को देखते हुए इसका कार्यकाल मार्च 2024 तक बढ़ाया गया. हालांकि आम जनता की शिकायतों को ध्यान में रखते हुए दूसरी बार एसआईटी का कार्यकाल सितंबर 2024 तक और फिर फरवरी 2025 तक बढ़ाया गया.
एसआईटी को मिली 378 शिकायतें: अपने कुल चार कार्यकाल में एसआईटी को कल 378 शिकायत मिली. इनमें से 97 शिकायतों पर मुकदमा दर्ज करने के लिए निर्देश दिए गए थे, जिसमें से अभी तक 70 मुकदमे दर्ज किए गए हैं. बाकी पर प्रक्रिया गतिमान है.
बता दें कि जुलाई 2023 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सामने रजिस्ट्री कार्यालय में धोखाधड़ी का मामला सामने आया था. इसके बाद सीएम धामी ने देहरादून रजिस्ट्री कार्यालय में छापा मारा था. जहां सीएम धामी के सामने कई गड़बड़ियों आई थी. इसी के बाद सीएम धामी के निर्देश पर एसआईटी गठित की गई थी.
अब सरकार ने आदेश दिया है कि सभी संदिग्ध रजिस्ट्रियों की गहन जांच के बाद ही मुकदमा दर्ज किया जाए, ताकि कोई दोषी बच न सके और बेगुनाह फंसे नहीं. बिना एसआईटी के जांच के लिखे जा रहे मुकदमों पर भी आईजी गढ़वाल ने सवाल उठाये. साथ ही अब गढ़वाल के सभी एसएसपी और एसपी को निर्देशित किया जाएगा. जमीन के मुकदमों के मामले में अब पीड़ित को सहूलियत दी जाएगी.
अगर थाने स्तर पर जमीन से धोखाधड़ी की कोई शिकायत आती है तो उसकी जांच दूसरे थाने के अधिकारी करें, इस पर विचार चल रहा है. इस बारे में जिले के एसएसपी और एसपी को भी रिपोर्ट देने को कहा गया है. ताकि इस तरह की शिकायतों को काफी हद तक दूर किया जा सके.
राजीव स्वरूप,आईजी गढ़वाल