12 दिन से धरने पर बैठे हैं विस से बर्खास्त कर्मचारी, मांगी इच्छा मृत्यु की अनुमति, राष्ट्रपति को भेजा पत्र

खबर उत्तराखंड

देहरादून: उत्तराराखंड विधानसभा के बाहर 12 दिन से धरने पर बैठे विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त कर्मचारियों ने राष्ट्रपति को सामूहिक हस्ताक्षर युक्त पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है। कर्मियों का कहना है कि नौकरी से हटाने से परिवार का भरण पोषण नहीं कर पा रहे हैं। शुक्रवार को धरनास्थल पर बर्खास्त कर्मियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की माता के निधन पर दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। कर्मियों ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को पत्र लिखकर न्याय न मिलने की स्थिति में इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है। पत्र में अवगत कराया कि राज्य गठन के समय से ही विधानसभा सचिवालय में सभी भर्तियां एक प्रक्रिया के तहत हुई हैं, लेकिन भर्तियों को अवैध बताकर विधानसभा की ओर से वर्ष 2016 से 2021 में नियुक्त 228 कर्मचारियों को बर्खास्त करने की कार्रवाई की गई।

वर्ष 2000 से 2015 तक नियुक्त कर्मचारी नियमित होने से उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। हटाए गए कार्मिकों में कई विकलांग, विधवा होने के साथ ही कई ओवरएज हो चुके हैं, जिससे उनके परिवार के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। धरना प्रदर्शन के दौरान बर्खास्त कर्मियों के बच्चों की ओर से न्यू ईयर पर बनाए गए शुभकामनाएं ग्रीटिंग कार्ड विधानसभा अध्यक्ष को पोस्ट किए। इस मौके पर गीता नेगी, सरस्वती कठैत, प्रतिभा, रिशु सूर्या, मयंक रावत, सुरेंद्र रौतेला, आशीष शर्मा, कौशिक, कुलदीप सिंह, दीप भट्ट, हिमांशु पांडे आदि मौजूद थे।

मेरिट में आए अभ्यर्थियों की टूटी उम्मीदें, छलके आंसू

पेपर लीक मामले की जांच में घिरी तीन भर्तियों पर अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के फैसले से मेरिट में आए अभ्यर्थियों की उम्मीदें टूट गईं हैं। आयोग कार्यालय के बाहर एकत्रित अभ्यर्थियों के आंसू छलक पड़े। गुस्साए अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन कर सिर मुंडवाया। उनका कहना था कि हमारा क्या कसूर है। रोजाना 12 घंटे पढ़ाई करने के बाद उन्हें सफलता मिली है।

शुक्रवार सुबह 11.30 बजे स्नातक स्तरीय, वन दरोगा और सचिवालय रक्षक भर्ती पर चयन आयोग के फैसले से पहले ही कई अभ्यर्थी कार्यालय के बाहर एकत्रित होने शुरू हो गए थे। जैसे ही आयोग ने तीन भर्तियों की परीक्षा दोबारा करने का फैसला लिया, बाहर मौजूद अभ्यर्थियों ने भी आयोग के खिलाफ नारेबाजी कर प्रदर्शन शुरू कर दिया। अभ्यर्थी कार्यालय के मुख्य गेट पर बैठकर नियुक्तिपत्र देने की मांग करने लगे। इस दौरान अभ्यर्थियों के आंसू भी छलक पड़े। कई महिला अभ्यर्थी रोते हुए फोन पर अपने परिजनों को भर्ती रद्द होने की जानकारी दे रहे थे।

अभ्यर्थियों का कहना है कि आयोग की नाकामियों के चलते मेहनत करने वाले युवाओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। वन दरोगा भर्ती की परीक्षा ऑनलाइन हुई है, जिसमें गड़बड़ी होने की कोई संभावना नहीं रहती है। आयोग ने किस आधार पर भर्ती को रद्द किया है। सरकार ने भी इस बात को कहा था कि मेहनत करने वाले अभ्यर्थियों के साथ अन्याय नहीं किया जाएगा। प्रदर्शन के दौरान अभ्यर्थियों ने सिर मुंडवा कर सरकार और आयोग के प्रति रोष जताया।

दो भर्ती परीक्षाओं में आई मेरिट, अब कहां जाएं

प्रवीण असवाल ने बताया कि स्नातक स्तरीय ग्राम पंचायत विकास अधिकारी के पद के लिए 300 रैंकिंग और वन दरोगा भर्ती में मेरिट में स्थान मिला था। दोनों भर्ती परीक्षा रद्द होने से अब कहां जाएं। मेहनत कर जो अभ्यर्थी परीक्षा में सफल रहे, उन्हें सरकार ने नए साल का तोहफा दिया है। जो लोग भर्तियों में गड़बड़ी करवाने में संलिप्त हैं, सरकार उनका नाम सार्वजनिक करे।

2015 से कर रहा था तैयारी

अगस्त्यमुनि के गौरव का कहना है कि 2015 से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा हूं। मेडिकल में चयन नहीं हुआ था। उसके बाद समूह ग पदों की भर्ती के लिए तैयारी की। वन दरोगा भर्ती में टॉप-10 मेरिट में आया था।

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