मणि माई मंदिर में भंडारे की तैयारी कर रहे थे लोग, तभी आ धमके दो हाथी, जमकर मचाया तांडव

खबर उत्तराखंड

डोईवाला: देहरादून और हरिद्वार में राजाजी नेशनल पार्क से लगे इलाकों में आए दिन जंगली जानवरों के आतंक की खबरें मिलती रहती है. शनिवार को भी ऐसा ही हुआ. डोईवाला इलाके में शनिवार शाम को मनि माई मंदिर के पास भंडारे की तैयारी चल रही थी, तभी वहां अचानक जंगल से निकलकर दो हाथी आ गए. दोनों हाथियों ने वहां जमकर उत्पात मचाया. इस दौरान हाथी ने एक व्यक्ति को पटककर गड्ढे में भी डाल दिया था.

हाथियों का आतंक: हाथियों को देखकर पंडाल में अफरा-तफरी की माहौल हो गया था. लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागते हुए नजर आए. इस दौरान एक हाथी ने ट्राली को भी पलट दिया था. राहत की बात ये है कि ट्रैक्टर पर बैठे व्यक्ति की जान बच गई. बताया जा रहा है कि दोनों हाथियों ने करीब एक घंटे इलाके में उत्पात मचाया.

हाथी ने एक व्यक्ति पर हमला भी किया: डोईवाला के सभासद मनीष धीमान ने बताया कि जिस हाथी ने व्यक्ति पर हमला किया, वह सिद्धपुरम हर्रावाला का रहने वाला है. उसका नाम संजय बताया जा रहा है. वहीं उन्होंने बताया कि हाथियों ने लगभग एक घंटे तक उत्पात मचाया. जिस व्यक्ति पर हाथी ने हमला किया था, उसका पता भी आधे घंटे बाद चला. क्योंकि हाथी ने व्यक्ति को पटक कर गड्ढे में डाल दिया था.

डीजे की आवाज सुनकर भागे हाथी: बताया जा रहा है कि भंडारे का आयोजन करा रहे लोगों ने हाथियों को भगाने के लिए जोर से डीजे बजाया. इसलिए डीजे की आवाज में घायल व्यक्ति की आवाज किसी को भी सुनाई नहीं दी. एक राहगीर की नजर घायल व्यक्ति पर पड़ी, तभी उसने सभासद मनीष धीमान को उसकी जानकारी. मनीष धीमान ने तत्काल पुलिस और 108 को कॉल किया. जिसके बाद पुलिस और एंबुलेंस मौके पर पहुंची. घायल व्यक्ति को तत्काल हॉस्पिटल भेजा गया है, जहां उसका उपचार चल रहा है.

बता दें कि देहरादून-ऋषिकेश हाईवे पर भी अक्सर हाथियों का झुंड सड़कों पर आ जाता हैं, जिस वजह से कई बार ट्रैफिक रोकना पड़ता है. कई बार तो वन्यजीवों की वजह से राहगीर सड़क हादसों का शिकार भी हो जाते हैं. राजाजी नेशनल पार्क से लगे रिहायशी इलाके में रहने वाले लोगों को आए दिन वन्यजीवों का डर बना रहा था. एक तरह जहां हाथी खेतों में खड़ी फसलों को बर्बाद कर देते है तो वहीं गुलदार और तेंदुए जैसे जानवर घरों में घुसकर मवेशियों और इंसानों को अपना शिकार बनाते हैं. इन्हीं वजहों से उत्तराखंड में इंसानों और वन्यजीवों के संघर्ष की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं.

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