देहरादून: जोशीमठ भू-धंसाव के कारणों का पता लगाने के लिए सर्वे कर रहीं केंद्रीय संस्थानों की रिपोर्ट पर सरकार फैसला लेगी। दो सप्ताह के भीतर अलग-अलग संस्थान रिपोर्ट सरकार को सौंप सकते हैं। रिपोर्ट के बाद कमेटी गठित की जाएगी। इसके बाद कैबिनेट में रिपोर्ट को रखा जाएगा।
सरकार वैज्ञानिकों की रिपोर्ट पर काम करेगी। शुक्रवार को कैबिनेट ब्रीफिंग के दौरान मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु ने बताया, जोशीमठ भू-धंसाव पर सीबीआरआई, वाडिया इंस्टीट्यूट, आईआईआरएस, एनजीआरआई हैदराबाद, भारतीय मृदा परीक्षण संस्थान, भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण संस्थान, आईआईटी रुड़की समेत अन्य संस्थानों के वैज्ञानिकों की टीमें कारणों का पता लगाने के लिए अध्ययन कर रही है। केंद्रीय संस्थानों ने एक से दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट देने की बात कही।
जोशीमठ में एनटीपीसी के हाइड्रो प्रोजेक्ट संग अन्य निर्माण कार्य पर रोक है। मुख्य सचिव ने बताया, सभी रिपोर्टों का निष्कर्ष निकालने के लिए सरकार की ओर से कमेटी गठित की जाएगी। इसके बाद रिपोर्ट को कैबिनेट में रखा जाएगा। बताया कि केंद्र सरकार ने एनटीपीसी प्रोजेक्ट की एक रिपोर्ट भेजी है, जो पूर्व में किए गए सर्वे पर आधारित है, लेकिन सरकार केंद्रीय संस्थानों के वैज्ञानिकों की रिपोर्ट पर फैसला लेकर काम करेगी।
जोशीमठ के 9 वार्डों में 4000 भवनों का आकलन किया जा रहा है। हम भवनों के विवरण का आकलन कर रहे हैं, कि भवन का निर्माण कैसे किया गया। किस सामग्री का उपयोग किया गया। क्या यह निर्धारित मानदंडों के अनुसार था।
– डॉ. अजय चौरसिया, मुख्य अभियंता, सीबीआरआई
मूल्यांकन रिपोर्ट उत्तराखंड सरकार को प्रस्तुत की जाएगी ताकि वे एक प्रशासनिक योजना बना सकें।
–डॉ. अजय चौरसिया, मुख्य अभियंता, सीबीआरआई
जिन घरों में दरारें आई हैं, उनकी स्थिति अच्छी नहीं है। सरकार ने पहले ही उन लोगों का पुनर्वास कर दिया है। हम देख रहे हैं कि क्या भूमि के और धंसने की संभावना है या क्या भूमि को उसकी मूल स्थिति में बहाल किया जा सकता है। यह हमारे लिए चुनौती है।
– डॉ. जेसी कुनियाल, वैज्ञानिक