नागपुर: पिछले एक साल में दिल संबंधी बीमारी के कारण मौत की कई घटनाएं सामने आई हैं। लोगों को अचानक बैठे-बैठे, नाचते, कसरत करते हुए हार्ट अटैक आने के वीडियो सामने आए हैं। वीडियो में दिख रहा है लोग हार्ट अटैक के कारण अचानक गिर जाते हैं और उनकी मौत हो जाती है। कुछ लोगों को पहले से दिल संबंधी बीमारियों के होने की बात भी सामने आई है, हालांकि इनमें से किसी भी मामले के कोविड से जुड़े होने के प्रमाण नहीं मिले हैं लेकिन कुछ लोग हार्ट अटैक को कोरोना महामारी के प्रभाव के रूप में देख रहे हैं। वे इसका जिम्मेदार वैक्सीन को मानते हैं, लेकिन वैक्सीन की वजह से न तो किसी की मौत हुई है और न ही किसी तरह के साइड इफेक्ट।
यह बातें इंटरनेशनल फार्मास्युटिकल एक्सीसिएंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया (आईपीईसी) के सेक्रेटरी जनरल कौशिक देसाई ने लोकमत समाचार से बात करते हुए कही। उन्होंने बताया कि मौत पहले भी होती थी, लेकिन इसे सिर्फ अफवाह बनाकर फैलाया जा रहा है, जबकि आज तक वैक्सीन की वजह से मौत के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं।
नागपुर में जल्द खुले अनुसंधान और विकास केंद्र
आईपीईसी के सेक्रेटरी जनरल ने आगे कहा कि नागपुर में जल्द ही फार्मा क्षेत्र में अनुसंधान और विकास के लिए एक विशेष नीति लाकर केंद्र स्थापित करना चाहिए। इसके साथ ही फार्मेसी में नवाचार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण खोज करने वाले वैज्ञानिकों को लगातार प्रोत्साहित कर उन्हें पुरस्कृत करना चाहिए। भारत फार्मास्युटिकल के क्षेत्र में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन अब समय आ गया है कि नागपुर में भी फार्मेसी का अनुसंधान और विकास केंद्र स्थापित करना चाहिए।
सस्ती दवाइयां बनाने पर फोकस
डॉ. कौशिक देसाई ने आगे कहा कि भारत में हमें फार्मेसी के क्षेत्र में अभी भी आयात का प्रतिशत ज्यादा है। हम 70 से 75 प्रतिशत आयात कर रहे हैं, तो वहीं निर्यात के मामले में हम अभी पीछे हैं। जब आयात से ज्यादा निर्यात होगा तो हम आम लोगों को भी आसानी से और कम कीमत में दवा उपलब्ध करा सकेंगे, इसके लिए सरकार के साथ-साथ फार्मेसी इंडस्ट्री में भी लगातार कार्य हो रहा है।
दुनिया में अनुसंधान को बढ़ावा, भारत में क्यों नहीं?
डॉ. देसाई ने बताया कि भारत में अभी भी आर एंड डी यानी रिसर्च एंड डेवलपमेंट को बढ़ावा नहीं मिल रहा है, जबकि पूरी दुनिया फार्मेसी के क्षेत्र में रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर ही फोकस कर रही है। भारत में फार्मेसी के क्षेत्र में ज्यादा फोकस करने की जरूरत है। साथ ही रिसर्च के लिए प्रोत्साहन देना चाहिए, ताकि फार्मेसी के क्षेत्र में विश्व में हमारी पहचान हो।