‘जोशीमठ की समस्या टल सकती थी, अगर चेत जाती सरकार’, जानें राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर और क्या कहा

खबर उत्तराखंड

देहरादून: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को जोशीमठ मामले को लेकर बयान दिया है। उन्होंने इस मामले में सरकार को दोषी ठहराया है और कहा है कि ऋषिगंगा त्रासदी से सबक लेकर अगर सरकार समय रहते चेत जाती तो जोशीमठ भूधंसाव की समस्या से बचा जा सकता था। गांधी ने यह बात जम्मू—कश्मीर के ऊधमपुर जिले में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान पार्टी की उत्तराखंड इकाई के नेताओं से कही। राहुल गांधी ने प्रदेश के नेताओं से कहा कि नया हिमालय संवेदनशील है लेकिन उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत बनाए गए नियमों का पालन नहीं हो रहा है और विकास के नाम पर अनियंत्रित विस्फोट किए जा रहे हैं। 2021 में हुए ऋषिगंगा हादसे के बाद यदि समय रहते सरकार चेत गयी होती तो शायद जोशीमठ भूधंसाव जैसी यह नौबत नहीं आती। इसके अलावा क्षेत्र में चल रहे अन्य विकास कार्यों पर भी सरकार को एहतियाती कदम उठाने चाहिए थे तथा उन पर पैनी नजर रखनी चाहिए थी।

राहुल गांधी ने इसरो की वेबसाइट पर जोशीमठ के बारे में दी गई जानकारी हटाए जाने को भी दुखद बताया और कहा कि वैज्ञानिक संस्थानों द्वारा उपलब्ध कराये जाने वाले तथ्यों का इस्तेमाल जनता को बचाने के लिए किया जाना चाहिए। राहुल ने कहा है कि भारत जोड़ो यात्रा खत्म होने के बाद वह जल्द जोशीमठ आकर लोगों से मिलेंगे।

कांग्रेस की उत्तराखंड इकाई के अध्यक्ष करन माहरा ने पीटीआई/भाषा को बताया कि गांधी ने यह बात जम्मू—कश्मीर के ऊधमपुर जिले में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान पार्टी की उत्तराखंड इकाई के नेताओं से कही हैं।

बीजेपी ने किया राहुल पर पलटवार

बीजेपी ने भारत जोड़ो यात्रा में जोशीमठ आपदा का मुद्दा उठाने को लेकर कांग्रेस की कड़ी आलोचना की है और इसे दोहरा चरित्र करार दिया है। प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा है कि प्रदेश कांग्रेस के नेता एक ओर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिलकर आपदा पर सुझाव देते हैं और अगले दिन यात्रा में शामिल होकर इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देते हैं।

उन्होंने कहा, कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का एक दिन जोशीमठ आपदा को समर्पित करना उनकी नकारात्मक रणनीति का हिस्सा है। अगर ऐसा नहीं होता तो एक दिन पहले मुख्यमंत्री से मिलकर अपने सुझावों की लंबी सूची के साथ उनकी प्रशंसा करने वाले कांग्रेस के नेता दूसरे ही दिन जम्मू—कश्मीर में इसे राष्ट्रीय मुद्दा बनाने का प्रयास करते नहीं नज़र आते।

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